devar bhabi x | छोटे देवर ने तीन भाभियाँ को चोदा xxx khaniya

देवर ने तीन भाभियाँ को चोदा devar bhabi x

devar bhabi x: नमस्ते, में हूँ मंगल. आज में आप को हमारे खंडन की सबसे खनगी बात बताने जा रहा हूँ मेरे हिसाब से मैंने कुछ बुरा किया नहीं है हालन की काई लोग मुझे पापी समज़ेंगे. कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा की जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं.

कहानी काई साल पहले की उन दीनो की है जब में अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया, काशी राम चौथी शादी करना सोच रहे थे.

हम सब राजकोट से पच्चास किलोमेटर दूर एक छ्होटे से गाओं में ज़मीदार हैं एक साओ बिघन की खेती है और लंबा चौड़ा व्यवहार है हमारा. गाओं मे चार घर और कई दुकानें है मेरे माता-पिताजी जब में दस साल का था तब मार गए थे. मेरे बड़े भैया काश राम और भाभी सविता ने मुझे पल पोस कर बड़ा किया.

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भैया मेरे से तेरह साल बड़े हें. उन की पहली शादी के वक़्त में आठ साल का था. शादी के पाँच साल बाद भी सविता को संतान नहीं हुई. कितने डॉकटर को दिखाया लेकिन सब बेकार गया. भैया ने डूसरी शादी की, चंपा भाभी के साथ तब मेरी आयु तेरह साल की थी.

लेकिन चंपा भाभी को भी संतान नहीं हुई. सविता और चंपा की हालत बिगड़ गई, भैया उन के साथ नौकरानीयों जैसा व्यवहार कर ने लगे. मुझे लगता है की भैया ने दो नो भाभियों को छोड़ना चालू ही रक्खा था, संतान की आस में.

डूसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की, सुमन भाभी के साथ. उस वक़्त में सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में फ़र्क पड़ना शुरू हो गया था. सब से पाहेले मेरे वृषाण बड़े हो गाये बाद में कखह में और लोडे पैर बाल उगे और आवाज़ गाहेरा हो गया. मुँह पैर मुच्च निकल आई. लोडा लंबा और मोटा हो गया. रात को स्वप्न-दोष हो ने लगा. में मूट मारना सिख गया.

सविता और चंपा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे मान में छोड़ने का विचार तक आया नहीं था, में बच्चा जो था. सुमन भाभी की बात कुच्छ ओर थी. एक तो वो मुज़से चार साल ही बड़ी थी. दूसरे, वो काफ़ी ख़ूबसूरत थी, या कहो की मुझे ख़ूबसूरत नज़र आती थी. उसके आने के बाद में हैर रात कल्पना किए जाता था की भैया उसे कैसे छोड़ते होंगे और रोज़ उस के नाम मूट मार लेता था. भैया भी रात दिन उसके पिच्छे पड़े रहते थे. सविता भाभी और चंपा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीं थी.

में मानता हूँ है की भैया चांगे के वास्ते कभी कभी उन दो नो को भी छोड़ते थे. तजुबई की बात ये है की अपने में कुच्छ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीं थे. लंबे लंड से छोड़े और ढेर सारा वीरय पत्नी की छूट में उंदेल दे इतना काफ़ी है मर्द के वास्ते बाप बनाने के लिए ऐसा उन का दरध विस्वास था. उन्होने अपने वीरय की जाँच करवाई नहीं थी.

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उमर का फ़ासला काम होने से सुमन भाभी के साथ मेरी अचची बनती थी, हालन की वो मुझे बच्चा ही समाजति थी. मेरी मौजूदगी में कभी कभी उस का पल्लू खिसक जाता तो वो शरमति नहीं थी. इसी लिए उस के गोरे गोरे स्तन देखने के कई मौक़े मिले मुझे. एक बार स्नान के बाद वो कपड़े बदल रही थी और में जा पहुँचा. उस का आधा नंगा बदन देख में शरमा गया लेकिन वो बिना हिच किचत बोली, ‘दरवाज़ा खीत ख़िता के आया करो.’

दो साल यूँ गुज़र गाये में अठारह साल का हो गया था और गाओं की सचूल की 12 वी में पढ़ता था. भैया चौथी शादी के बारे में सोचने लगे. उन दीनो में जो घटनाएँ घाटी इस का ये बयान है

बात ये हुई की मेरी उम्र की एक नोकारानी, बसंती, हमारे घर काम पे आया करती थी. वैसे मैंने उसे बचपन से बड़ी होते देखा था. बसंती इतनी सुंदर तो नहीं थी लेकिन चौदह साल की डूसरी लड़कियों के बजाय उस के स्तन काफ़ी बड़े बड़े लुभावने थे. पतले कपड़े की चोली के आर पार उस की छोटी छोटी निपपलेस साफ़ दिखाई देती थी.

में अपने आप को रोक नहीं सका. एक दिन मौक़ा देख मैंने उस के स्तन थाम लिया. उस ने ग़ुस्से से मेरा हाथ ज़टक डाला और बोली, ‘आइंदा ऐसी हरकत करोगे तो बड़े सेठ को बता दूँगी’ भैया के दर से मैंने फिर कभी बसंती का नाम ना लिया.

एक साल पहले सत्रह साल की बसंती को ब्याह दिया गया था. एक साल ससुराल में रह कर अब वो दो महीनो वास्ते यहाँ आई थी. शादी के बाद उस का बदन भर गया था और मुझे उस को छोड़ने का दिल हो गया था लेकिन कुच्छ कर नहीं पता था. वो मुज़ से क़तराती रहती थी और में darका मारा उसे दूर से ही देख लार तपका रहा था.

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अचानक क्या हुआ क्या मालूम, लेकिन एक दिन महॉल बदल गया. दो चार बार बसंती मेरे सामने देख मुस्कराई. काम करते करते मुझे गौर से देखने लगी मुझे अचच्ा लगता था और दिल भी हो जाता था उस के बड़े बड़े स्तनों को मसल डालने को. लेकिन दर भी लगता था. इसी लिए मैंने कोई प्रतिभव नहीं दिया. वो नखारें दिखती रही.

एक दिन दोपहर को में अपने स्टूदय रूम में पढ़ रहा था. मेरा स्टूदय रूम अलग मकान में था, में वहीं सोया करता था. उस वक़्त बसंती चली आई और रोटल सूरत बना कर कहने लगी ‘इतने नाराज़ क्यूं हो मुज़ से, मंगल ?’

मैंने कहा ‘नाराज़ ? में कहाँ नाराज़ हूँ ? में क्यूं हौन नाराज़?’

उस की आँखों में आँसू आ गाये वो बोली, ‘मुझे मालूम है उस दिन मैंने तुमरा हाथ जो ज़टक दिया था ना ? लेकिन में क्या करती ? एक ओर दर लगता था और दूसरे दबाने से दर्द होता था. माफ़ कर दो मंगल मुझे.’

इतने में उस की ओधनी का पल्लू खिसक गया, पता नहीं की अपने आप खिसका या उस ने जान बुज़ के खिसकया. नतीजा एक ही हुआ, लोव कूट वाली चोली में से उस के गोरे गोरे स्तनों का उपरी हिस्सा दिखाई दिया. मेरे लोडे ने बग़ावत की नौबत लगाई.

में, उस में माफ़ करने जैसी कोई बात नहीं है म..मैंने नाराज़ नहीं हूँ तो मुझे मागणी चाहिए.’

मेरी हिच किचाहत देख वो मुस्करा गयी और हास के मुज़ से लिपट गयी और बोली, ‘सच्ची ? ओह, मंगल, में इतनी ख़ुश हूँ अब. मुझे दर था की तुम मुज़ से रुत गाये हो. लेकिन में तुम माफ़ नहीं करूंगी जब तक तुम मेरी चुचियों को फिर नहीं छ्छुओगे.’ शर्म से वो नीचा देखने लगी मैंने उसे अलग किया तो उस ने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ अपने स्तन पैर रख दिया और दबाए रक्खा.

‘छोड़, छोड़ पगली, कोई देख लेगा तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’

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‘तो होने दो. मंगल, पसंद आई मेरी च्छुचि ? उस दिन तो ये कच्ची थी, छ्छू ने पैर भी दर्द होता था. आज मसल भी डालो, मज़ा आता है

मैंने हाथ छ्छुड़ा लिया और कहा, ‘चली जा, कोई आ जाएगा.’

वो बोली, ‘जाती हूँ लेकिन रात को आओुंगी. आओउन ना ?’

उस का रात को आने का ख़याल मात्र से मेरा लोडा टन गया. मैंने पूच्छा, ‘ज़रूर आओगी?’ और हिम्मत जुटा कर स्तन को छ्ुा. विरोध किए बिना वो बोली,

‘ज़रूर आओुंगी. तुम उपर वाले कमरे में सोना. और एक बात बताओ, तुमने किस लड़की को छोड़ा है ?’ उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर हटाया नहीं.

‘नहीं तो.’ कह के मैंने स्तन दबाया. ओह, क्या चीज़ था वो स्तन. उस ने पूच्छा, ‘मुझे छोड़ना है ?’ सुन ते ही में छोंक पड़ा.

‘उन्न..ह..हाँ

‘लेकिन बेकिन कुच्छ नहीं. रात को बात करेंगे.’ धीरे से उस ने मेरा हाथ हटाया और मुस्कुराती चली गयी

मुझे क्या पता की इस के पिच्छे सुमन भाभी का हाथ था ?

रात का इंतज़ार करते हुए मेरा लंड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मूट मरने के बाद भी. क़रीबन दस बजे वो आई.

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‘सारी रात हमारी है में यहाँ ही सोने वाली हूँ उस ने कहा और मुज़ से लिपट गयी उस के कठोर स्तन मेरे सीने से डब गाये वो रेशम की चोली, घाघारी और ओधनी पहेने आई थी. उस के बदन से मादक सुवास आ रही थी. मैंने ऐसे ही उस को मेरे बहू पाश में जकड़ लिया

‘हाय डैया, इतना ज़ोर से नहीं, मेरी हड्डियान टूट जाएगी.’ वो बोली. मेरे हाथ उस की पीठ सहालाने लगे तो उस ने मेरे बालों में उंगलियाँ फिरनी शुरू कर दी. मेरा सर पकड़ कर नीचा किया और मेरे मुँह से अपना मुँह टीका दिया.

उस के नाज़ुक होत मेरे होत से छूटे ही मेरे बदन में ज़्रज़ुरी फैल गयी और लोडा खड़ा होने लगा. ये मेरा पहला चुंबन था, मुझे पता नहीं था की क्या किया जाता है अपने आप मेरे हाथ उस की पीठ से नीचे उतर कर छूटड़ पर रेंगने लगे. पतले कपड़े से बनी घाघारी मानो थी ही नहीं. उसके भारी गोल गोल नितंब मैंने सहलाए और दबोचे. उसने नितंब ऐसे हिलाया की मेरा लंड उस के पेट साथ डब गया.

थोड़ी देर तक मुह से मुँह लगाए वो खड़ी रही. अब उस ने अपना मुँह खोला और ज़बान से मेरे होत चाटे. ऐसा ही करने के वास्ते मैंने मेरा मुँह खोला तो उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. मुझे बहुत अचच्ा लगा. मेरी जीभ से उस की जीभ खेली और वापस चली गयी अब मैंने मेरी जीभ उस के मुँह में डाली. उस ने होत सिकूड कर मेरी जीभ को पकड़ा और चूस. मेरा लंड फटा जा रहा था.

उस ने एक हाथ से लंड टटोला. मेरे तटर लंड को उस ने हाथ में लिया तो उत्तेजना से उस का बदन नर्म पद गया. उस से खड़ा नहीं रहा गया. मैंने उसे सहारा दे के पलंग पैर लेताया. चुंबन छोड़ कर वो बोली, ‘हाय, मंगल, आज में पंद्रह दिन से भूकि हूँ पिच्छाले एक साल से मेरे पति मुझे हर रोज़ एक बार छोड़ते है लेकिन यहाँ आने के मुझे जलदी से छोड़ो, में मारी जा रही हूँ

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मुसीबत ये थी की में नहीं जनता था की छोड़ने में लंड कैसे और कहाँ जाता है फिर भी मैंने हिम्मत कर के उस की ओधनी उतर फेंकी और मेरा पाजामा निकल कर उस की बगल में लेट गया. वो इतनी उतावाली हो गई थी की चोली घाघारी निकल ने रही नहीं. फटाफट घाघारी उपर उठाई और जांघें चौड़ी कर मुझे उपर खींच लिया. यूँ ही मेरे हिप्स हिल पड़े थे और मेरा आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अंधे की लकड़ी की तरह इधर उधर सर टकरा रहा था, कहीं जा नहीं पा रहा था.

उस ने हमारे बदन के बीच हाथ डाला और लंड को पकड़ कर अपनी भोस पैर दीरेक्ट किया. मेरे हिप्स हिल ते थे और लंड छूट का मुँह खोजता था. मेरे आठ दस धक्के ख़ाली गाये हैर वक़्त लंड का मट्ता फिसल जाता था. उसे छूट का मुँह मिला नहीं. मुझे लगा की में छोड़े बिना ही ज़द जाने वाला हूँ लंड का मट्ता और बसंती की भोस दोनो काम रस से तार बतर हो गाये थे. मेरी नाकामयाबी पैर बसंती हास पड़ी. उस ने फिर से लंड पकड़ा और छूट के मुँह पैर रख के अपने छूटड़ ऐसे उठाए की आधा लंड वैसे ही छूट में घुस गया.

तुरंत ही मैंने एक धक्का जो मारा तो सारा का सारा लंड उस की योनी में समा गया. लंड की टोपी खीस गयी और चिकना मट्ता छूट की दीवालों ने कस के पकड़ लिया. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की में रुक नहीं सका. आप से आप मेरे हिप्स तल्ला देने लगे और मेरा लंड अंदर बाहर होते हुए बसंती की छूट को छोड़ने लगा. बसंती भी छूटड़ हिला हिला कर लंड लेने लगी और बोली, ‘ज़रा धीरे छोड़, वरना जल्दी ज़द जाएगा.’

मैंने कहा, ‘में नहीं छोड़ता, मेरा लंड छोड़ता है और इस वक़्त मेरी सुनता नहीं है

‘मार दालोगे आज मुझे,’ कहते हुए उस ने छूटड़ घुमए और छूट से लंड दबोचा. दोनो स्तानो को पकड़ कर मुँह से मुँह छिपका कर में बसंती को छोड़ते चला. devar bhabi x

धक्के की रफ़्तार में रोक नहीं पाया. कुच्छ बीस पचीस तल्ले बाद अचानक मेरे बदन में आनंद का दरिया उमड़ पड़ा. मेरी आँखें ज़ोर से मूँद गयी मुँह से लार निकल पड़ी, हाथ पाँव आकड़ गाये और सारे बदन पैर रोएँ ए खड़े हो गाये लंड छूट की गहराई में ऐसा घुसा की बाहर निकल ने का नाम लेता ना था. लंड में से गरमा गरम वीरय की ना जाने कितनी पिचकारियाँ छ्छुथी, हैर पिचकारी के साथ बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी थोड़ी देर में होश खो बेइता.

जब होश आया तब मैंने देखा की बसंती की टाँगें मेरी कमर आस पास और बाहें गार्दन के आसपास जमी हुई थी. मेरा लंड अभी भी ताना हुआ था और उस की छूट फट फट फटके मार रही थी. आगे क्या करना है वो में जनता नहीं था लेकिन लंड में अभी गुड़गूदी होती रही थी. बसंती ने मुझे रिहा किया तो में लंड निकल कर उतरा.

‘बाप रे,’ वो बोली, ‘इतनी अचची छुड़ाई आज कई दीनो के बाद की.’

‘मैंने तुज़े ठीक से छोड़ा ?’

‘बहुत अचची तरह से.’

हम अभी पलंग पैर लेते थे. मैंने उस के स्तन पैर हाथ रक्खा और दबाया. पतले रेशमी कपड़े की चोली आर पार उस की कड़ी निपपले मैंने मसाली. उस ने मेरा लंड टटोला और खड़ा पा कर बोली, ‘अरे वाह, ये तो अभी भी तटर है कितना लंबा और मोटा है मंगल, जा तो, उसे धो के आ.’

में बाथरूम में गया, पिसब किया और लंड धोया. वापस आ के मैंने कहा, ‘बसंती, मुझे तेरे स्तन और छूट दिखा. मैंने अब तक किसी की देखी नहीं है

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उस ने चोली घाघारी निकल दी. मैंने पहले बताया था की बसंती कोई इतनी ख़ूबसूरत नहीं थी. पाँच फ़ीट दो इंच की उँचाई के साथ पचास किलो वज़न होगा. रंग सांवला, चहेरा गोल, आँखें और बल काले. नितंब भारी और चिकाने. सब से अचच्े थे उस के स्तन. बड़े बड़े गोल गोल स्तन सीने पैर उपरी भाग पैर लगे हुए थे. मेरी हथेलिओं में समते नहीं थे. दो इंच की अरेओला और छोटी सी निपपले काले रंग के थे. चोली निकल ते ही मैंने दोनो स्तन को पकड़ लिया, सहलाया, दबोचा और मसला.

उस रात बसंती ने मुझे पुख़्त वाय की भोस दिखाई. मोन्स से ले कर, बड़े होत, छ्होटे होत, क्लटोरिस, योनी सब दिखाया. मेरी दो उंगलियाँ छूट में डलवा के छूट की गहराई भी दिखाई, ग-स्पोत दिखाया. वो बोली, ‘ये जो क्लटोरिस है वो मरद के लंड बराबर होती है छोड़ते वक़्त ये भी लंड की माफ़िक कड़ी हो जाती है दूसरे, तू ने छूट की दिवालें देखी ?

कैसी कारकरी है ? लंड जब छोड़ता है तब ये कारकरी दीवालों के साथ घिस पता है और बहुत मज़ा आता है हाय, लेकिन बच्चे का जन्म के बाद ये दिवालें चिकानी हो जाती है छूट चौड़ी हो जाती है और छूट की पकड़ काम हो जाती है

मुझे लेता कर वो बगल में बेइत गयी मेरा लंड तोड़ा सा नर्म होने चला था, उस को मुट्ठि में लिया. टोपी खींच कर मट्ता खुला किया और जीभ से चटा. तुरंत लंड ने तुमका लगाया और तटर हो गया. में देखता रहा और उस ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी मुँह में जो हिस्सा था उस पैर वो जीभ फ़ीयरती थी, जो बाहर था उसे मुट्ठि में लिए मूट मरती थी. दूसरे हाथ से मेरे वृषाण टटोलती थी. मेरे हाथ उस की पीठ सहला रहे थे.

मैंने हस्ट मैथुन का मज़ा लिया था, आज एक बार छूट छोड़ने का मज़ा भी लिया. इन दोनो से अलग किसम का मज़ा आ रहा था लंड चूसवाने में. वो भी जलदी से एक्शसीते होती चली थी. उस के तुँक से लाड़बड़ लंड को मुँह से निकल कर वो मेरी जांघे पैर बेइत गयी अपनी जांघें चौड़ी कर के भोस को लंड पैर टिकया. लंड का मट्ता योनी के मुख में फसा की नितंब नीचा कर के पूरा लंड योनी में ले लिया. उस की मोन्स मेरी मोन्स से जुट गयी

‘उहहहहह, मज़ा आ अगया. मंगल, जवाब नहीं तेरे लंड का. जितना मीठा मुँह में लगता है इतना ही छूट में भी मीठा लगता है कहते हुए उस ने नितंब गोल घुमए और उपर नीचे कर के लंड को अंदर बाहर कर ने लगी आठ दस धक्के मार ते ही वो तक गयी और ढल पड़ी. मैंने उसे बात में लिया और घूम के उपर आ गया. उस ने टाँगें पसारी और पाँव अड्धार किया. पॉसीटिओं बदलते मेरा लंड पूरा योनी की गहराई में उतर गया. उस की योनी फट फट करने लगी

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सिखाए बिना मैंने आधा लंड बाहर खींचा, ज़रा रुका और एक ज़ोरदार धक्के के साथ छूट में घुसेद दिया. मोन्स से मोन्स ज़ोर से टकराई. मेरे वृषाण गांड से टकराए. पूरा लंड योनी में उतर गया. ऐसे पाँच सात धक्के मारे. बसंती का बदन हिल पड़ा. वो बोली, ‘ऐसे, ऐसे, मंगल, ऐसे ही छोड़ो मुझे. मारो मेरी भोस को और फाड़ दो मेरी छूट को.’bhabhi stories – devar bhabi x

भगवान ने लंड क्या बनाया है छूट मार ने के लिए कठोर और चिकना; भोस क्या बनाई है मार खाने के लिए घनी मोन्स और गद्दी जैसे बड़े होत के साथ. जवाब नहीं उन का. मैने बसंती का कहा माना. फ़्री स्टयले से तापा ठप्प में उस को छोड़ ने लगा. दस पंद्रह धक्के में वो ज़द पड़ी. मैंने पिस्तोनिंग चालू रक्खा. उस ने अपनी उंगली से क्लटोरिस को मसला और डूसरी बार ज़ड़ी.

उस की योनी में इतने ज़ोर से संकोचन हुए की मेरा लंड डब गया, आते जाते लंड की टोपी उपर नीचे होती चली और मट्ता ओर टन कर फूल गया. मेरे से अब ज़्यादा बारदस्त नहीं हो सका. छूट की गहराई में लंड दबाए हुए में ज़ोर से ज़ड़ा. वीरय की चार पाँच पिचकारियाँ छ्छुथी और मेरे सारे बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी में ढल पड़ा.

आगे क्या बतौँ ? उस रात के बाद रोज़ बसंती चली आती थी. हमें आधा एक घंटा समय मिलता था जब हम जाम कर छुड़ाई करते थे. उस ने मुझे काई टेचनक सिखाई और पॉसीटिओं दिखाई. मैंने सोचा था की काम से काम एक महीना तक बसंती को छोड़ ने का लुफ्ट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक हपते में ही वो ससुराल वापस छाई गयी

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असली खेल अब शुरू हुआ.

बसंती के जाने के बाद तीन दिन तक कुच्छ नहीं हुआ. में हैर रोज़ उस की छूट याद कर के मूट मरता रहा. चौथे दिन में मेरे कमरे में पढ़ ने का प्रयत्न कर रहा था, एक हाथ में तटर लंड पकड़े हुए, और सुमन भाभी आ पहॉंची. ज़त पाट मैंने लंड छोड़ कपड़े सरीखे किया और सीधा बेइत गया. वो सब कुच्छ समाजति थी इस लिए मुस्कुराती हुई बोली, ‘कैसी चल रही है पढ़ाई, देवर्जी ? में कुच्छ मदद कर सकती हूँ ?’

भाभी, सब ठीक है मैंने कहा.

आँखों में शरारत भर के भाभी बोली, ‘पढ़ते समय हाथ में क्या पकड़ रक्खा था जो मेरे आते ही तुम ने छोड़ दिया ?’

नहीं, कुच्छ नहीं, ये तो..ये में आगे बोल ना सका.

तो मेरा लंड था, यही ना ?’ उस ने पूच्छा.

वैसे भी सुमन मुझे अचची लगती थी और अब उस के मुँह से ‘लंड’ सुन कर में एक्शसीते होने लगा. शर्म से उन से नज़र नहीं मिला सका. कुच्छ बोला नहीं.

उस ने धीरे से कहा, ‘कोई बात नहीं. मे समाजति हूँ लेकिन ये बता, बसंती को छोड़ना कैसा रहा? पसंद आई उस की काली छूट ? याद आती होगी ना ?’

सुन के मेरे होश उड़ गाये सुमन को कैसे पता चला होगा? बसंती ने बता दिया होगा? मैंने इनकार करते हुए कहा, ‘क्या बात करती हो ? मैंने ऐसा वैसा कुच्छ नहीं किया है

‘अचच्ा ?’ वो मुस्कराती हुई बोली, ‘क्या वो यहाँ भजन करने आती थी?’

‘वो यहाँ आई ही नहीं,’ मैंने डरते डरते कहा. सुमन मुस्कुराती रही.

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‘तो ये बताओ की उस ने सूखे वीरय से आकदी हुई निक्केर दिखा के पूच्छा, निक्केर किस की है तेरे पलंग से जो मिली है ?’

में ज़रा जोश में आ गया और बोला, ‘ऐसा हो ही नहीं सकता, उस ने कभी निक्केर पहेनी ही में रंगे हाथ पकड़ा गया.

मैंने कहा, ‘भाभी, क्या बात है ? मैंने कुच्छ ग़लत किया है ?’

उस ने कहा,’वो तो तेरे भैया नाक़की करेंगे.’

भैया का नाम आते ही में दर गया. मैंने सुमन को गिदगिड़ा के बिनती की जो भैया को ये बात ना बताएँ. तब उस ने शर्त रक्खी और सारा भेद खोल दिया.

सुमन ने बताया की भैया के वीरय में शुक्राणु नहीं थे, भैया इस से अनजान थे. भैया तीनो भाभियों को अचची तरह छोड़ते थे और हैर वक़्त ढेर सारा वीरय भी छोड़ जाते थे. लेकिन शुक्राणु बिना बच्चा हो नहीं सकता. सुमन चाहती थी की भैया चुआटी शादी ना करें. वो किसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तुली थी. इस के वास्ते दूर जाने की ज़रूर कहाँ थी, में जो मोज़ूड़ था ? सुमन ने तय किया की वो मुज़ से छुड़वाएगी और मा बनेगी.

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अब सवाल उठा मेरी मंज़ूरी का. में कहीं ना बोल दूं तो ? भैया को बता दूं तो ? मुझे इसी लिए बसंती की जाल में फासया गया था.

बयान सुन कर मैंने हास के कहा ‘भाभी, तुज़े इतना कष्ट लेने की क्या ज़रूरत थी ? तू ने कहीं भी, कभी भी कहा होता तो में तुज़े छोड़ने का इनकार ना करता, तू चीज़ ऐसी मस्त हो.’

उस का चहेरा लाल ला हो गया, वो बोली, ‘रहने भी दो, ज़ूते कहीं के. आए बड़े छोड़ने वाले. छोड़ ने के वास्ते लंड चाहिए और बसंती तो कहती थी की अभी तो तुमारी नुन्नी है उस को छूट का रास्ता मालूम नहीं था. सच्ची बात ना ?’

मैंने कहा, ‘दिखा दूं अभी नुन्नी है या लंड ?’

‘ना बाबा, ना. अभी नहीं. मुझे सब सावधानी से करना होगा. अब तू चुप रहेना, में ही मौक़ा मिलने पैर आ जौंगी और हम करेंगे की तेरी नुन्नी है

दोस्तो, दो दिन बाद भैया दूसरे गाँव गाये तीन दिन के लिए उन के जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई. में कुच्छ पूचछुन इस से पहले वो बोली, ‘कल रात तुमरे भैया ने मुझे तीन बार छोड़ा है सो आज में तुम से गर्भवती बन जाओउं तो किसी को शक नहीं पड़ेगा. और दिन में आने की वजह भी यही है की कोई शक ना करे.

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वो मुज़ से छिपक गयी और मुँह से मुँह लगा कर फ़्रेंच क़िसस कर ने लगी मैंने उस की पतली कमर पैर हाथ रख दिए मुँह खोल कर हम ने जीभ लड़ाई. मेरी जीभ होठों बीच ले कर वो चुस ने लगी मेरे हाथ सरकते हुए उस के नितंब पैर पहुँचे.

भारी नितंब को सहलाते सहलाते में उस की सारी और घाघारी उपर तरफ़ उठाने लगा. एक हाथ से वो मेरा लंड सहलाती रही. कुच्छ देर में मेरे हाथ उस के नंगे नितंब पैर फिसल ने लगे तो पाजामा की नदी खोल उस ने नंगा लांद मुट्ठि में ले लिया.

में उसको पलंग पर ले गया और मेरी गोद में बिताया. लंड मुट्ठि में पकड़े हुए उस ने फ़्रेंच क़िसस चालू रक्खी. मैंने ब्लौसे के हूक खोले और ब्रा उपर से स्तन दबाए. लंड छोड़ उस ने अपने आप ब्रा का हॉक खोल कर ब्रा उतर फेंकी. उस के नंगे स्तन मेरी हथेलिओं में समा गाये शंकु आकर के सुमन के स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छ्होटे और कड़े थे.

अरेओला भी छोटी सी थी जिस के बीच नोकदर निपपले लगी हुई थी. मैंने निपपले को छिपति में लिया तो सुमन बोल उठी, ‘ज़रा होले से. मेरी निपपलेस और क्लटोरिस बहुत सेंसीटिवे है उंगली का स्पर्श सहन नहीं कर सकती.’ उस के बाद मैंने निपपले मुँह में लिया और चूस.

में आप को बता दूं की सुमन भाभी कैसी थी. पाँच फ़ीट पाँच इंच की लंबाई के साथ वज़न था साथ किलो. बदन पतला और गोरा था. चहेरा लुंब गोल तोड़ा सा नरगिस जैसा. आँखें बड़ी बड़ी और काली. बल काले , रेशमी और लुंबे. सीने पैर छ्होटे छ्होटे दो स्तन जिसे वो हमेशा ब्रा से धके रखती थी. पेट बिल्कुल सपाट था. हाथ पाँव सूदोल थे. नितंब गोल और भारी थे. कमर पतली थी. वो जब हसती थी तब गालों में खड्ढे पड़ते थे.

मैंने स्तन पकड़े तो उस ने लंड थाम लिया और बोली, ‘देवर्जी, तुम तो तुमरे भीया जैसे बड़े हो गाये हो. वाकई ये तेरी नुन्नी नहीं बल्कि लंड है और वो भी कितना तगड़ा ? हाय राम, अब ना तड़पाओ, जलदी करो.’

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मैंने उसे लेता दिया. ख़ुद उस ने घाघरा उपर उठाया, जांघें छड़ी की और पाँव अड्धार लिए में उस की भोस देख के दंग रह गया. स्तन के माफ़िक सुमन की भोस भी चौदह साल की लड़की की भोस जितनी छोटी थी. फ़र्क इतना था की सुमन की मोन्स पैर काले ज़नट थे और क्लटोरिस लुंबी और मोटी थी. भीया का लंड वो कैसे ले पति थी ये मेरी समाज में आ ना सका. में उस की जांघों बीच आ गया.

उस ने अपने हाथों से भोस के होत चौड़े पकड़ रक्खे तो मैंने लंड पकड़ कर सारी भोस पैर रग़ादा. उस के नितंब हिल ने लगे. अब की बार मुझे पता था की क्या करना है मैंने लंड का माता छूट के मुँह में घुसाया और लंड हाथ से छोड़ दिया. छूट ने लंड पकड़े रक्खा. हाथों के बल आगे ज़ुक कर मैंने मेरे हिप्स से ऐसा धक्का लगाया की सारा लंड छूट में उतर गया. मोन्स से मोन्स टकराई, लंड तमाक तुमक कर ने लगा और छूट में फटक फटक हो ने लगा.

में काफ़ी उत्तेजित हुआ था इसी लिए रुक सका नहीं. पूरा लंड खींच कर ज़ोरदार धक्के से मैंने सुमन को छोड़ ना शुरू किया. अपने छूटड़ उठा उठा के वो सहयोग देने लगी छूट में से और लंड में से चिकना पानी बहाने लगा. उस के मुँह से निकलती आााह जैसी आवाज़ और छूट की पूच्च पूच्च सी आवाज़ से कामरा भर गया.

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पूरी बीस मिनिट तक मैंने सुमन भाभी की छूट मारी. दरमियाँ वो दो बार ज़ड़ी. आख़िर उस ने छूट ऐसी सीकुडी की अंदर बाहर आते जाते लंड की टोपी छाड़ उतर करने लगी मानो की छूट मूट मार रही हो. ये हरकट में बारदस्त नहीं कर सका, में ज़ोर से ज़रा. ज़र्रटे वक़्त मैंने लंड को छूट की गहराई में ज़ोर से दबा र्खा था और टोपी इतना ज़ोर से खीछी गयी थी की दो दिन तक लोडे में दर्द रहा. वीरय छोड़ के मैंने लंड निकाला, हालन की वो अभी भी ताना हुआ था. सुमन टाँगें उठाए लेती रही कोई दस मिनिट तक उस ने छूट से वीरय निकल ने ना दिया.

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दोस्तो, क्या बतौँ ? उस दिन के बाद भैया आने तक हैर रोज़ सुमन मेरे से छुड़वाटी रही. नसीब का करना था की वो प्रेज्ञांत हो गयी फमिल्य में आनंद आनंद हो गया. सब ने सुमन भाभी को बढ़ाई दी. भाहिया सीना तां के मुच मरोड़ ते रहे. सविता भाभी और चंपा भाभी की हालत ओर बिगड़ गयी इतना अचच्ा था की प्रेज्नांस्य के बहाने सुमन ने छुड़वा ना माना कर दिया था, भैया के पास डूसरी दो नो को छोड़े सिवा कोई चारा ना था.

जिस दिन भैया सुमन भाभी को डॉकटोर के पास ले आए उसी दिन शाम वो मेरे पास आई. गभड़ती हुई वो बोली, ‘मंगल, मुझे दर है की सविता और चंपा को शक पड़ता है हमारे बारे में.’

सुन कर मुझे पसीना आ गया. भैया जान जाय तो आवश्य हम दोनो को जान से मार डाले. मैंने पूच्छा, ‘क्या करेंगे अब ?’

‘एक ही रास्ता है वो सोच के बोली.

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रास्ता है?’

‘तुज़े उन दोनो को भी छोड़ना पड़ेगा. छोड़ेगा?’

‘भाभी, तुज़े छोड़ ने बाद डूसरी को छोड़ ने का दिल नहीं होता. लेकिन क्या करें ? तू जो कहे वैसा में करूँगा.’ मैंने बाज़ी सुमन के हाथों छोड़ दी.

सुमन ने प्लान बनाया. रात को जिस भाभी को भैया छोड़े वो भही दूसरे दिन मेरे पास चली आए. किसी को शक ना पड़े इस लिए तीनो एक साथ महेमन वाले घर आए लेकिन में छोदुं एक को ही.

थोड़े दिन बाद चंपा भाभी की बारी आई. महवरी आए तेरह डिनहुए थे. सुमन और सविता दूसरे कमरे में बही और चंपा मेरे कमरे में चली आई.

आते ही उस ने कपड़े निकल ना शुरू किया. मैंने कहा, ‘भाभी, ये मुझे करने दे.’ आलिनगान में ले कर मैंने फ़्रेंच किस किया तो वो तड़प उठी. समय की परवाह किए बिना मैंने उसे ख़ूब चूमा. उस का बदन ढीला पद गया. मैंने उसे पलंग पैर लेता दिया और होले होले सब कपड़े उतर दिए मेरा मुँह एक निपपले पैर छोंत गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दूसरा क्लटोरिस के साथ खेलने लगा. थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी

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उस ने ख़ुद टांगे उठाई और चौड़ी पकड़ रक्खी. में बीच में आ गया. एक दो बार भोस की दरार में लंड का मट्ता रग़ादा तो चंपा के नितंब डोलने लगे. इतना हो ने पैर भी उस ने शर्म से अपनी आँखें पैर हाथ रक्खे हुए थे. ज़्यादा देर किए बीन्सा मैंने लंड पकड़ कर छूट पैर टिकया और होले से अंदर डाला. चंपा की छूट सुमन की छूट जितनी सीकुडी हुई ना थी लेकिन काफ़ी तिघ्ट थी और लंड पैर उस की अचची पकड़ थी.

मैंने धीरे धक्के से चंपा को आधे घंटे तक छोड़ा. इस के दौरान वो दो बार ज़ड़ी. मैंने धक्के किर आफ़्तर बधाई तोचंपा मुज़ से लिपट गयी और मेरे साथ साथ ज़ोर से ज़ड़ी. ताकि हुई वो पलंग पैर लेती रही, मेईन कपड़े पहन कर खेतों मे चला गया.

दूसरे दिन सुमन अकेली आई कहने लगी ‘कल की तेरी छुड़ाई से चंपा बहुत ख़ुश है उस ने कहा है की जब चाहे मे समाज गया.

अपनी बारी के लिए सविता को पंद्रह दिन रह देखनी पड़ी. आख़िर वो दिन आ भी गया. सविता को मैंने हमेशा मा के रूप में देखा था इस लिए उस की छुड़ाई का ख़याल मुझे अचच्ा नहीं लगता था. लेकिन दूसरा चारा कहाँ था ?

हम अकेले होते ही सविता ने आँखें मूँद ली. मेरा मुँह स्तन पैर छिपक गया. मुझे बाद में पता चला की सविता की चाबी उस के स्तन थे. इस तरफ़ मैंने स्तन चूसाना शुरू किया तो उस तरफ़ उस की भस ने काम रस का फ़ावरा छोड़ दिया.

मेरा लंड कुच्छ आधा ताना था.और ज़्यादा अकदने की गुंजाइश ना थी. लंड छूट में आसानी से घुस ना सका. हाथ से पकड़ कर धकेल कर मट्ता छूट में पैठा की सविता ने छूट सिकोडी. तुमका लगा कर लंड ने जवाब दिया.

इस तरह का प्रेमलप लंड छूट के बीच होता रहा और लंड ज़्यादा से ज़्यादा अकदता रहा. आख़िर जब वो पूरा टन गया तब मैंने सविता के पाँव मेरे कंधे पैर लिए और लंबे तल्ले से उसे छोड़ने लगा. सविता की छूट इतनी तिघ्ट नहीं थी लेकिन संकोचन कर के लंड को दबाने की त्रिक्क सविता अचची तरह जानती थी. बीस मिनुटे की छुड़ाई में वो दो बार ज़ड़ी. मैंने भी पिचकारी छोड़ दी और उतरा.

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दूसरे दिन सुमन वही संदेशा लाई जो की चंपा ने भेजा था. तीनो भाभिओं ने मुझे छोड़ने का इज़ारा दे दिया था.

अब तीन भाभिओं और चौथा में, हम में एक समजौता हुआ की कोई ये राज़ खोलेगा नहीं. सुमन ने भैया से चुदवाना बंद किया था लेकिन मुज़ से नहीं. एक के बाद एक ऐसे में तीनो को छोड़ता रहा. भगवान कृपा से दूसरी दोनो भी प्रेज्ञांत हो गयी भैया के आनंद की सीमा ना रही.

समय आने पर सुमन और सविता ने लड़कों को जन्म दिया तो चंपा ने लड़की को. भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाओं में मिठाई बाँटी. अचच्ा था की कोई मुझे याद करता नहीं था. भाभीयो की सेवा में बसंती भी आ गयी थी और हमारी रेगूलर छुड़ाई चल रही थी. मैंने शादी ना करने का निश्चय कर लिया.

सब का संसार आनंद से चलता है लेकिन मेरे वास्ते एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है भैया सब बच्चों को बड़े प्यार से रखते है लेकिन कभी कभी वो जब उन से मार पीट करते है तब मेरा ख़ून उबल जाता है और मुझे सहन करना मुश्किल हो जाता है दिल करता है की उस के हाथ पकड़ लूं और बोलूं, ‘रह ने दो, ख़बरदार मेरे बच्चे को हाथ लगाया तो.’

ऐसा बोलने की हिम्मत अब तक मैंने जुट नहीं पाई.

मुझे हिन्दी कम ही आती है दोस्ते अगर आपको मेरी कहानी पढने में परिशानी हुई हो तो मुझे माफ़ कर देना.

आपको मेरी यह सच्ची सेक्स घटना कैसी लगी मुझे Telegram पर ज़रूर बताये में आपके comment और message का इंतज़ार करूगा. इसके अलावा आप कहानी पर नीचे कमेंट करके भी अपनी राय दे सकते हैं.

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Read in English

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devar bhabi x: Hello, I am Mars. Today I am going to tell you the most beautiful thing about our rebuttal, according to me, I have not done anything bad. After reading the story, you will decide whether what happened is right or not.

The story is of those Dino years ago when I was eighteen years old and my elder brother, Kashi Ram, was thinking of getting married.

We are twenty five kilometer away from Rajkot. Cows have four houses and many shops. My parents were killed when I was ten years old. My elder brother Kash Ram and sister-in-law Savita made me grow up by giving me a moment.

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Brother is 13 years older than me. He was eight years old at the time of his first marriage. Even after five years of marriage, Savita did not have children. Showed so many doctors but all went in vain. Bhaiya married second, then I was thirteen years old with Champa Bhabhi.

But Champa’s sister-in-law also did not have children. Savita and Champa’s condition deteriorated, brother started treating them like maids. I think that the brother had left the two sisters in charge, in anticipation of the child.

Three years after their second marriage, Bhaiya married a third, with Suman Bhabhi. At that time it was sixteen years old and my body started to fall apart. My Vrishan grew older than everyone else, later in the story and there grew load and hair and the voice became Gahera. Mouth and feet came out. Loda became tall and fat. At night, I felt a dream. I learned to mute.

When I saw Savita and Champa Bhabhi for the first time, the idea of ​​leaving my mind had not even come, I was a child. Suman sister-in-law was on the wrong side. One, she was only four years older than me. Secondly, she was very beautiful, or say that I looked beautiful.

In the night after his arrival, it was imagined that brother would have left him and every day he used to mute him. Brother also used to lie on his back day and night. There was no price for Savita Bhabhi and Champa Bhabhi.

I believe that for the sake of the brother-in-law, sometimes they used to leave those two no. The thing about Tajubai is that there could be some lack in itself, brother was not ready to believe that. Leave it with long cocks and pour in a lot of heroic wife’s exemption, it is so much that he had such a trust to make the father for the man. He did not get his valor checked.

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Due to the distance work of Omar, it was good for me to work with Suman Bhabhi. In my presence, sometimes her pallu would have slipped, she was not ashamed. That’s why I got many opportunities to see her white blonde boobs. Once after bathing she was changing clothes and reached in. Half of her body was ashamed to see her naked body, but she said without any hesitation, ‘Do the door without problems.’

Two years had passed, he turned eighteen years old and studied in the 12th standard of singing. Brother started thinking about fourth marriage. This statement of the events in those days is the valley

It happened that Basanti, a nocturnal of my age, used to come to our house for work. By the way, I had seen him growing up since childhood. Basanti was not so beautiful but instead of fourteen year old girls, her breasts were very attractive.

Her small nipples were seen clearly across the body of the thin dress. I could not resist. One day I got a chance and held her breast. He angrily pinned my hand and said, ‘If I do such an act, I will tell the elder Seth’ At the rate of brother, I never took Basanti’s name again.

Seventeen years old Basanti was married a year ago. After staying in her in-law’s place for a year, she came here for two months. After her marriage, her body was full and I was heartbroken to leave her but did not know anything. She used to keep shuddering from me and dar hit me and was drooling to see her from a distance.

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You know what happened all of a sudden, but one day the mahol changed. Basanti smiled in front of me two or four times. While working, I started to look closely and I felt good and I used to get hearty to mash her big breasts. But the rate also seemed to be. That is why I did not give any talent. She continued to see the tantrums.

One day in the afternoon I was studying in my study room. My study room was in a separate house, I used to sleep there. At that time, Basanti came and made Rotal Surat and said, ‘Why are you so angry with me, Mars?’

I said ‘angry’? Where am i angry Why am I angry? ‘

She cried with tears in her eyes, she said, ‘I know what I threw your hand on that day, didn’t you? But what do I do? On one side there was a rate and on the other, there was pain. Forgive me Mars. ‘

In this time, the pallu of his odor slipped, he did not know whether he slipped on his own or he slipped his life. The result was the same, the upper part of his white blonde breasts appeared in the low-bodied choli. My load caused a revolt.

I, there is nothing like forgiving him … I am not angry, so I want a prayer. ‘

Seeing my hiccup, she smiled and hugged Haas’s face and said, ‘True? Oh Mars, I am so happy now. I was interested in singing music to you. But I will not forgive you until you will touch my fingers again. ”She looked down in shame, I separated her, then she grabbed my wrist and put my hand on her breast and kept it pressed.

‘Quit, leave, go crazy, if someone sees, trouble will arise.’

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‘So let it be. Mars, liked my taste? It was raw that day, Chhchhu also had leg pain. Add muscle today, enjoy it

I left my hand and said, “Go away, someone will come.”

She said, ‘I go but I will come at night. Come on?

The idea of ​​her coming at night lost my load. I asked, ‘Will you come?’ She spoke without protesting,

‘Sure will come. You sleep in the upper room. And tell me one thing, which girl have you left? ’He held my hand but did not remove it.

Saying ‘No’. I pressed the breast. Oh, what was that breast. He asked, ‘Do I have to leave?’

Yes

‘But not a certain thing. We will talk at night. ”He slowly removed my hand and went on smiling.

What do I know that Suman Bhabhi had her hand on this side?

While waiting for the night, my cock remained standing, even after dying twice. She came around ten o’clock

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‘All night ours, I am going to sleep here,’ she said and she wrapped her mouth with my hard breasts. She came wearing silk choli, ghaghari and odhni. His body was getting intoxicated. I held him like this in my daughter-in-law’s loop

“Hi Dya, not so loud, my bones will break.” When my hands started to rub his back, he started moving fingers in my hair. Grabbed my head and lowered my mouth with my mouth.

When his delicate lips were left out of my lips, my body got spread in my body and Loda started to stand. This was my first kiss, I did not know what to do, automatically my hands came down from his back and started crawling on the ball. It was as if the ghagari made of thin cloth was not there. I stroked her heavy and round buttocks. He shook his ass such that my cock dabbed with his stomach.

She stood still for a while. Now he opened his mouth and licked my lips with the tongue. To do the same, I opened my mouth, then he put his tongue in my mouth. I felt very good. Played his tongue with my tongue and went back, now I put my tongue in his mouth. He narrowed his lips and grabbed my tongue and sucked it. My cock was being torn.

He searched for cocks with one hand. When he took my tentacles in his hand, his body became soft with excitement. He could not stand it. I supported him and took the legs of the bed. Quitting the kiss, she said, ‘Hi, Mangal, I am hungry for fifteen days today, my husband leaves me once every year for the last one year, but leave me soon after coming here, I am being killed

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Trouble was that I did not know how and where the cock goes in leaving, yet I dared to throw his chin off and my pajamas came out and lay next to him. She had become so fussy that the choli ghaghari nikal was not there. Instantly picked up the skirt and widened the thighs and pulled me up. Just like that, my hips were shaken and my eight inch long and two and a half inch thick cock was banging my head here and there like blind wood, I was not able to go anywhere.

He put his hand between our bodies and grabbed the cocks and directed his feast. My hips were moving and cocks used to search for relaxation. My eight ten hits were rendered empty at the time, the cottage was slipped. He did not get a waiver.

I felt that I am going to leave without leaving, both the lord of the cocks and the feast of Basanti were fed with juice. My failures were due to springy loss. He again grabbed the cocks and after putting his feet in the mouth of the rebate, raised his hand so that half the cock entered the rebate in the same way.

Immediately I hit a push, then all the cocks of Sara got covered in her cunt. The hat of cocks was smashed and the greasy matta was caught by the walls of relaxation. I was enjoying it so much that I couldn’t wait. With you, you started to tighten my hips and while leaving my cock inside, started leaving the relaxation of Basanti. Basanti also began to shake cocks and said, “Leave it slowly, or else it will soon be frozen.”

I said, ‘I don’t give up, leave my cock and don’t listen to me right now

Saying ‘Mar dalog aaj me,’ he wandered off and grabbed the cocks with relaxation. Holding both the women, they kept hiding from mouth to mouth and left Basanti. devar bhabi x
Could not stop at the speed of the shock After twenty five twenty five floors suddenly, my body was filled with joy.

My eyes went out loud, saliva came out of my mouth, my hands and feet cried and all my body cried and cried in the depths of relaxation. Out of the lund, Garam Veerya’s figure did not know how many pitchakari chhutthi, with haircutty, spread zurzuri in the body, lost consciousness in a while.

When I regained consciousness, I saw that Basanti’s legs were fixed around my waist and arms around the neck. My cock was still taut and the relaxation of it was bursting. What was there to do next was not known to the public, but there was still some gud. When Basanti released me, I landed in Lund.

‘Father,’ she said, ‘such a good touch today after many days.’

‘I left you right?’

‘Very well.’

We used to take beds. I kept her hands and feet pressed. I put spices in the thin silk cloth across it. He found my cock and stood and said, “Oh wow, this is still the water, how long and thick Mars is, go, wash it.”

I went to the bathroom, slipped and washed the cocks. Coming back, I said, ‘Basanti, show me your breasts and relaxation. I haven’t seen anyone yet

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He removed the choli ghagari. I told earlier that Basanti was not so beautiful. Five feet will be fifty kilograms with a height of two inches. Color dark, checkered, eyes and force black. Butt heavy and smooth. Her breasts were the best. Big round, round breast, chest, legs, upper part, legs were engaged. Did not fit in my palms. The two-inch areola and small nipples were black. I caught both the breasts, caressed, squeezed and spiced.

That night Basanti showed me the feast of Pukht Vai. From mons, big hots, small hots, clitoris, cunts were all shown. My two fingers also showed the depth of Dalwa’s relaxation in relaxation, showed the c-spot. She said, “This is clitoris, it is equal to the cocks of Marad. When leaving, it also becomes hard for the other. Do you see the walls of relaxation?” What kind of business is it? When you leave the cocks, then you know it is worn with the carriage walls and it is a lot of fun, but after the birth of the child, these walls become smooth and the discount gets widened and the grip of the rebate becomes work.

After taking me, she went to the side and broke my cock, was going to be soft, took it in her mouth. Pulling the cap, the matta was opened and licked with the tongue. Immediately Lund put you and got swimming. I kept looking and he took the cocks in the mouth and started sucking that part of the mouth that had the tongue, the tongue which was outside, used to die mute with a fist in it. My Vrishan used to grope with the other hand. My hands were rubbing her back.

I enjoyed Hast bugger, today I also enjoyed leaving a discount. I was enjoying different kind of sex in sucking the cocks. She also used to exhale quickly. After getting out of the mouth of the cocks from his mouth, he got his thigh legs wide and widened his thighs and made Bhos to stick his cocks. Cocks of cocks, pulling the buttocks of the mouth into the mouth of the cunt, took the entire cocks in the cunt. His mons got attached to my mons

‘Uhhhhhh, have fun! Mars, no answer for your cock As sweet as it seems in the mouth, it seems sweet even in relaxation, saying that he turned the butt round and down and out of the cocks, he hit eight ten blows and went till the end. I talked to him and came over. He spread legs and fixed his legs. Changing the position, my cock landed in the depths of the entire vulva. Her cunt started ripping

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Without being taught, I pulled out half the cocks, stopped a bit and pushed into the rebate with a loud bang. Moons collide loudly. My Vrishan collided with the ass. The entire cock landed in the cunt. Five such five strikes. Basanti’s body was shaken. She said, ‘Such, such, Mars, leave me like this. Beat my food and tear my discount. ‘Bhabhi stories – devar bhabi x

What God has made cocks hard and smooth for relaxation What Bhos are made for eating with dense mons and big gaddi. The answer is no. I obeyed Basanti. I thought of leaving him in the heat of a freezing stall. She got stubborn in ten fifteen strikes. I kept on pistoning. With his finger he clasped the clitoris and for the second time. Her cunt shrinked so much that my cock dabbed, the cap of the cocks used to go down and swelled with tonsils. Could not get much better than me now. Loud in the depths of relaxation while licking. Four of the five pitchers of Veeray got rid of Chhuthi and Zurzuri spread in my whole body.

What to tell next? Basanti used to run daily after that night. We used to get half an hour when we used to jam. He taught me Kai Technac and showed the conditions. I thought that I would get a Luft to work except for Basanti for a month, but it did not happen. That mother-in-law was back in a week

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The real game started now.

After Basanti’s departure, there was no tussle for three days. I kept mute dying every day remembering his relaxation. On the fourth day, I was trying to study in my room, holding the cock in one hand, and Suman came in law. Zat Pat I left the cocks like clothes and went straight to Beit. She was all a little social, so she smiled and said, “How is the study going, Devji?” Can I help something? ‘

Sister in law, I said all right.

With mischief in her eyes, the sister-in-law said, ‘What was holding in the hand while reading, which you left when I came?’

No, not something, it could not speak further in this.

So I had cocks, right? ”He asked.

Anyway, Suman used to feel good to me and now I started getting exasperated after listening to ‘Lund’ from his mouth. Could not see them with shame. Did not say anything

He said softly, ‘It doesn’t matter. I am a society but tell me, how was it to leave the spring? Did you like his black discount? You must be missing?

How would Suman know when my senses flew away? Basanti may have told? I refused and said, “What do you talk?” I have not done anything like that

‘Achcha?’ She said smilingly, ‘Did she come here to do bhajan?’

‘She did not come here,’ I said fearfully. Suman kept smiling.

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‘So tell me that he showed a thick knicker with a dry valor, who is Nikkeer, who has got it from your bed?’

I got excited and said, ‘This cannot be done, he was caught red-handed in never wearing a knicker.

I said, ‘sister-in-law, what’s the matter? Have I done something wrong? ‘

He said, ‘They will do it to you brother.’

Bhaiya’s name was added as soon as he arrived. I requested Suman for Gidgida who should not tell this to brother. Then he opened the bet and opened up all the differences.

Suman told that there was no sperm in Bhaiya’s valor, Bhaiya was unaware of this. Bhaiya used to leave all the three sisters in a good way and at the same time he used to leave a lot of heroics too. But a child cannot be without sperm. Suman wanted brother to not marry Chuati. She was trying to have a child anyway. Where was it necessary to go away for this,

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Now the question arose of my approval. Should I say somewhere? Should I tell brother? That is why I was trapped in Basanti’s web.

Hearing the statement, I said to Haas’ sister, why did you have to take so much trouble? If you had said anywhere, anytime, I would not have refused to leave you, you should be such a cool thing. ‘

His face turned red, he said, “Let it be, let me go somewhere.” Big dropout came. For want of leave, he needed cocks and Basanti used to say that he is still a small woman, he did not know the way of relaxation. Is it true? ‘

I said, ‘Should I show you a small or cocks?’

‘No Baba, no. not now. I have to do everything carefully. Now you remain silent, I will get a chance to meet myself and we will see that you are small

Friends, after two days, Bhaiya sang another village, after three days of her departure, she came to my room in the afternoon. I said something before this, ‘last night, your brother has left me three times, so today If you become pregnant with you, no one will doubt. And the reason for coming in the day is also that no one should doubt.

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She hid from the law and I was engaged in French by kissing her mouth. I put her hands on her slim waist and legs and we fought tongue openly. Taking my tongue between her lips, she sucked my hand and reached her buttock legs. In caressing her heavy buttock, she began to lift all her and gaghari upwards. She kept stroking my cock with one hand. After some time my hands slipped his bare ass legs, then he opened the river of pajamas and took the naked lund in the fist.

I took him to bed and spent in my lap. He kept the French ring on while holding it in the cocks. I opened the blouse hook and pressed the breast from the bra top. Leaving the cocks, he opened the bra on himself and threw the bra off. Her bare breasts contained cones in my palms and Suman’s breasts were small and hard like the fourteen year old girl’s breasts.

Areola was also small, between which the nose was nipple. When I took Nipple in disguise, Suman exclaimed, “From the hole.” My nipples and clitoris are very sensitive. I cannot bear the touch of a finger. ‘After that, I took the nipple in the mouth and sucked it.

Let me tell you how Suman Bhabhi was. Five feet was five inches in length and weighed with kilos. The body was thin and fair. The face lumbar broke round like a Nargis. Eyes very big and black. Force black, silky and long. She had two small breasts in her chest, which she always kept from bra. The stomach was flat. Hands and feet were sudol. The buttocks were round and heavy. The waist was thin. When she was laughing, there were potholes in her cheeks.

When I caught the breast, he grabbed the cocks and said, ‘Devji, you have grown like you have grown. Really, this is not your small but cocks and how strong is that too? Hi Ram, don’t suffer now, do it fast. ‘

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I gave it to him. He himself lifted up the skirt, sticked his thighs and took his feet and was stunned to see his meal. Suman’s breast meal was also as small as a fourteen-year-old girl’s breast. The difference was that Suman’s mons legs were black and the clitoris was lumpy and thick. How did she take her husband’s cock, it could not come in my society. I came between her thighs.

He held his hands wide with the banquet so I grabbed the cocks and rubbed all the legs of the banquet. His ass started moving. Now this time I knew what to do, I inserted the mother of cocks in the mouth of relaxation and left the cocks by hand. The rebate kept the cocks on. By pushing forward with my hands, I pushed my hips in such a way that all the cocks got into relaxation. Mons collided with Mons, Lund Tamaak Tumak Karke felt and in exemptions, Phatak Phatak Ho.

I was so excited that I could not stop. I did not leave Suman by pulling the whole cock with a loud bang. He woke up with his hand and started helping him from the relaxation and started pouring smooth water from his cock. Kamra was filled with a voice like Aah coming out of her mouth and a loud voice of relaxation.

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For the entire twenty minutes I gave Suman Bhabhi a discount. In the middle she was twice After all, he started coming out of such a cucumber and started to come off the cock cap as if the exemption was mute. It could not hurry into the harkat, I was loud. At the time of the zeal, I pressed the cocks deeply into the depth of relaxation and the cap was pulled so hard that there was pain in the load for two days. I left cocks and pulled out the cocks, it was still taut. Suman continued to lift the legs for some ten minutes, he did not give the heroic nickel out of waiver.

Friends, what should I say? After that day, till the time Bhaiya arrives, every day Suman was rescued from me. Naseeb had to do that he became pregnant and became a joy in fame. Everyone increased Suman Bhabhi. Bhaiya Sina is a twisted man The condition of Savita Bhabhi and Champa Bhabhi worsened so much that it was so good that Suman did not accept her release on the pretext of prodigy, Bhaiya had no choice but to leave the second two.

The day Bhaiyya brought Suman Bhabhi to the Docktore, she came to me the same evening. She mumbled, ‘Mangal, I am Dar Hai Savita and Champa have doubts about us.’

I got sweated upon hearing this. Brother, if we know, we must kill both of them. I asked, ‘What will we do now?’

‘There is only one way to think.

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is the way?’

‘You have to leave both of them also. Leave? ‘

‘Sister-in-law, after you leave, do not have the heart to leave the dusery. But what to do? I will do whatever you say. ‘I left the stake to Suman.

Suman made a plan. The sister-in-law, who left her brother at night, came to me the next day. So that no one should doubt, the three came together to Maheman’s house, but I left only one.

A few days later, Champa’s sister-in-law’s turn came. Mahavari came thirteen. Suman and Savita came to my room in the book and Champa in the other room.

As soon as he came, he did not start taking clothes out. I said, “Sister-in-law, let me do it.” When I kissed French by taking it in intercourse, she yearned. I kissed him well, regardless of time. He lost his body. I gave him the legs of the bed and all the clothes were removed, my mouth was covered with a nipple, one hand pressed the breast, the other started playing with clitoris. She got hot in a while

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He raised his legs and kept a wide grip. I interrupted. Once in the cracks of Bhos rubbed the cottage of cocks, Champa’s buttocks began to shake. He had so much feet, he was holding his eyes and feet in shame. Beans for a long time I grabbed the cocks and rested my feet and poured them in. Champa’s exemption was not as tight as Suman’s exemption, but it was quite tighter and he had a good grip on the legs.

 I slowly left Champa for half an hour. During this period, she was reborn twice. I hugged my heart and greeted Tochampa Muz and loudly accompanied me. So that she continued to take the bed, dressed in maine and went to the fields.

On the second day Suman came alone and said, ‘Champa is very happy with your release tomorrow.

For her turn, Savita had to stay for fifteen days. Finally that day also came. I had always seen Savita as Maa, so I did not think well of her redemption. But where was the other bait?

Savita closed her eyes as soon as we were alone. My mouth breast lipped legs. I later learned that Savita’s key was her breasts. On the other hand, when I started sucking the breast, on the other hand, his devotion left the shovel of lust. My cock was half-taunted. There was no scope for more pain. Cocks could not easily enter the rebate. Savita shrugged by holding it with her hand and entered the rebate. Lund responded by putting you.

 This kind of courtship was happening between the cocks and the cocks were more and more accidental. Finally, when that whole ton was gone, I took Savita’s feet from my shoulder and started leaving her with a long foot. Savita’s exemption was not so sharp, but the triumvirate of shrinking and pressing cocks Savita knew very well. Twice a couple of minutes, she woke up twice. I too left the atrophy and landed.

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The other day Suman brought the same message that Champa had sent. All three sisters had given me permission to leave.

Now in the three sisters-in-law and the fourth, there is a consensus among us that no one will reveal this secret. Suman stopped Chudwana from Bhaiya but not from Muz. He kept dropping all three after one. By Lord Kripa, both of them have also become present, there is no limit to the joy of brother.

When the time comes, Suman and Savita give birth to boys and Champa gives birth to a girl. Bhaiya gave a big party and distributed sweets in all the villages. It was nice that no one remembered me. Basanti had also come in the service of sisters-in-law and our regular release was going on. I decided not to get married.

Everyone’s world goes on with joy, but a big problem has arisen for me brother, I love all children with great love, but sometimes when they beat them, my blood boils and I find it difficult to bear it. He wants me to hold his hand and say, ‘Rah, do it!

I could not muster the courage to speak so far.

I rarely know Hindi friends, forgive me if you have been diligent in reading my story.

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