दोस्त की चाची की गांड फाड़ी Desi antarvasna
Desi antarvasna: मैंने अपने दोस्त की चाची की गांड की चुदाई कर डाली … एक दिन मैं अपने दोस्त के घर गया तो उसकी चाची से नजर मिली. उनकी कामुक आँखों से पता चल गया कि माल चंचल है और लंड ले सकती है.
प्रणाम, मैं राहुल आप सबके लिए एक सेक्स कहानी लेकर उपस्थित हूँ. मैं काफी समय से MastHindiStory का पाठक हूँ. यह कहानी मेरे दोस्त राज से सम्बन्धित है.
मैं राज के घर अक्सर जाता रहता था. राज मुझसे करीब पाँच साल छोटा है और उसका शरीर व शक्ल एकदम लड़की के जैसा है. मैं उसको लड़की ही की तरह देखता था और उसकी गांड मारने के बारे में सोचता रहता था, पर वो इस सबसे अन्जान था.
एक रोज मैं राज से मिलने उसके घर गया, तो बगीचे में एक जवान मदमस्त औरत को देख कर दंग रह गया. छोटे बाल, गदराया बदन, मखमली गोरी जांघें, भरा हुआ चेहरा, भरे भरे गाल. उसे देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.
राज की आवाज सुनकर मैं चौंका और पूछने पर उसने बताया कि यह उसकी चाची है और कुछ दिनों के लिए आई है. क्योंकि मेरे घर वाले कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे है. इसलिए चाची मेरी देखभाल के लिए आ गई हैं.
मैं सोच रहा था कि अगर राज अकेला होता, तो मैं उसकी गांड मार सकता था. लेकिन अब मैं उसकी चाची की गांड भी मारने की सोचने लगा था.
चाची से मेरी निगाह मिली, तो उनकी कामुक आँखों ने मुझे काफी कुछ बता दिया था कि ये माल चंचल है और लंड ले सकती है.
मैंने राज से कहा- चल थोड़ा बाहर चल कर घूमते हैं.
वह मेरे साथ आ गया.
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मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर वाले कब जा रहे हैं?
तो उसने बताया- कल सुबह छह बजे की ट्रेन है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, पाँच छः दिन मस्ती करेंगे.
वो बोला- नहीं यार कालेज का एक बहुत जरूरी प्रोजेक्ट है, जिसमें मुझे बहुत व्यस्त रहना होगा.
मैं उससे बोला- कालेज की छुट्टी कर लो.
पर उसने एकदम से मना कर दिया.
मैंने उससे पूछा कि कालेज कब जाओगे?
वो बोला- सुबह आठ बजे और शाम को चार बजे वापस आऊंगा.
यह सुन कर तो मेरा लंड पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को हो गया … क्योंकि उतनी देर राज की चाची घर में अकेली रह जाने वाली थी. अब मैं उसकी चाची की गांड मारने की योजना बनाने लगा.
मैंने राज से कहा- चलो कल शाम को मिलते हैं.
रात भर राज की चाची मेरी आखों के सामने आती रहीं और मेरे लंड ने मुझको सारी रात सोने नहीं दिया. रात भर मैं उनको चोदने के बारे में सोचता हुआ कब सो गया, पता ही नहीं चला.
सुबह करीब आठ बजे मेरी आंख खुली, तो मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. रात भर मैं राज की चाची की कभी गांड, तो कभी चूत मारता रहा. वैसे मुझे गांड की चुदाई करने में ज्यादा मजा आता है.
मैं नहा धोकर तैयार हुआ और नाश्ता करने लगा. मेरे दिमाग में तो राज की चाची ही घूम रही थीं और आज मैं उनको हर हाल में चोदना चाहता था.
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मैंने अपने बदन पे तेल की अच्छी मालिश की और लंड की भी बहुत अच्छी तेल मालिश की. मैंने सिर्फ जीन्स पहनी, जिससे मेरा लंड बिल्कुल फ्री था. ऊपर मैंने टी-शर्ट डाल ली ताकि नंगा होने में आसानी रहे. सेक्स का मजा नंगे में ही आता है.
अब दस बज चुके थे. मुझको पता था कि राज कालेज जा चुका होगा और उसकी चाची अकेली होंगी.
मैं राज के घर की तरफ चल दिया और उसके घर से कुछ दूर मोटर साइकिल खड़ी दी. राज का घर थोड़ा सुनसान जगह पर सड़क से थोड़ी दूरी पर है. आसपास के घर भी थोड़ी दूरी पर बने हुए हैं.
मैं घर पर पहुंचा, तो सन्न रह गया. राज की चाची ने आसमानी रंग की स्कर्ट पहनी हुई थी और हल्के पीले रंग का टॉप पहन रखा था. वो नीचे बैठी हुई फूलों को देख रही थीं और अन्जाने में अपने संगमरमर जैसे जिस्म के दर्शन करा रही थीं. उनकी मखमली जांघों में से उनकी सफेद पैन्टी साफ़ दिखाई दे रही थी. उनके बड़े बड़े चूचों का उभार भी उनके चुस्त टॉप से साफ दिख रहा था.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया लेकिन मेरा लंड पूरा बेकाबू हो गया था और खड़ा हुआ साफ दिख रहा था.
मैंने कंपाउंड गेट खटखटाया, तो चाची ने मुझे देखा और पूछा- आप कौन हैं?
मैं- जी मैं राज का दोस्त हूँ.
चाची- राज तो घर पर नहीं है.
मैं- कहां गया है?
चाची- कालेज गया है.
मैं- कब तक आ जाएगा?
चाची- शाम तक ही आएगा, बोल रहा था कि काफी काम है.
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चाची का भरा पूरा बदन, मांसल गोरी जांघें, भरे भरे गाल … मेरे लंड की उठक बैठक करा रहे थे और शायद वो यह समझ भी गयी थीं. मैं उनसे बात करते हुए उनको घूर कर देख जो रहा था. मेरी निगाहें चाची के मदमस्त जोबन पर ही टिकी थीं. मैं उनको हर हाल में चोदना चाहता था.
मैं- आप कौन हैं?
चाची- मैं राज की चाची हूँ.
मैं- आप उसकी चाची लगती तो नहीं हो.
चाची- क्यों इसमें लगने वाली क्या बात है?
मैं- मेरा मतलब आप काफी कम उम्र की एक मार्डन और स्मार्ट लड़की सी लग रही हो ना … इसलिए कहा.
मेरी बात पर वो हँस पड़ीं और बोलीं- तुम कहां से आए हो?
मैंने बोला- काफी दूर से.
वो बोलीं- आओ बैठो, चाय लोगे?
मैं अब इस मौकै का फायदा उठाना चाहता था. मैं गेट खोल कर उनके सामने जाकर अपना तना लंड और आंखों में मचल रहे उनको चोदने के इरादे जता देना चाहता था. वो मेरी वासना में डूबी आंखें देख कर इस चाहत को बखूबी समझ भी गई थीं.
मैं उनके एकदम पास जाकर बोला- जी जरूर . … पर आपको तकलीफ होगी.
वो भी शायद अब मस्ती में आ गई थीं. वो इठला कर बोलीं- इसमें तकलीफ कैसी. आओ न मुझे भी अच्छा लगेगा.
मुझे अब उनकी तरफ से हरा सिग्नल मिल चुका था.
मैंने कहा कि मेरी मोटर साइकिल बाहर खड़ी है … मैं उसको लेकर आता हूँ.
वो बोलीं- ठीक है.
अब मैं थोड़ा रिलेक्स महसूस कर रहा था क्योंकि काफी हद तक मैंने उनको चोदने के लिए पटा लिया था. अब मैं आस पड़ोस के बारे में भी निश्चिंत हो जाना चाहता था कि ऐन वक्त पर कोई आ ना जाए. इस समय पड़ोस काफी सुनसान लग रहा था. लगता था कि जैसे कोई जंगल हो.
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मैंने अपनी मोटर साइकिल को घर में लाकर गेट बंद कर दिया. फिर मैं घर के अन्दर चला गया और दरवाजे को बन्द कर दिया. अन्दर मेरी कयामत रसोई में चाय बना रही थी.
राज का घर तो काफी बड़ा था, लेकिन रसोई में फ्रिज की वजह से बहुत तंग जगह हो गई थी. जिस वजह से एक सतह दो लोग आपस में मिले बिना आ जा नहीं सकते थे.
मेरी दिलरुबा रसोई में चाय बना रही थी. मैं तेजी से उनके पीछे आ गया और अपने लंड को उनके चूतड़ों के बीच घुसा के एक धक्का दे मारा.
चाची का मुँह लाल हो गया. वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने अन्जान बनते हुए कहा कि मैं पानी लेने जा रहा था.
वो बोलीं- मेरे को कह देते.
अब मेरा लंड उनकी गांड में लगा हुआ था. मैं बोला- मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता था.
यह बोल कर मैं उनकी जांघों को हाथ से सहलाते हुए हट कर कमरे में आ गया. चाची ने हंस कर मुझे समझ लिया.
थोड़ी देर बाद उनकी खनकती हुई आवाज आई- लो इधर आकर ले लो.
मैंने पूछा- क्या ले लूँ.
चाची हंस कर बोलीं- चाय ले लो.
मैं बोला- यहीं ले आओ.
वो चाय लेकर मेरे कमरे में आ गईं. वो जैसे ही कमरे में आईं, मैंने एकदम से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और उनको पीछे से पकड़ लिया. मेरा लंड उनकी गांड में लगा हुआ था और मेरे हाथ उनके चूचे मसल रहे थे.
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एकदम से ये सब होने से वो थोड़ा घबरा सी गईं, पर मेरे बदन और लंड की गर्मी ने उन्हें मस्त सा कर दिया था.
वो दबे हुए स्वर में बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- आज तेरी गांड मारने का मन है.
मैंने उनको जोर से जकड़ रखा था. मेरा लंड उनकी गांड में लगा हुआ था और मेरे हाथ उनके मम्मे मसल रहे थे.
मैं भी पूरा गर्म हो चुका था और उसे गालियाँ बके जा रहा था- तेरी माँ का भोसड़ा मारूं … हरामजादी कल से लंड तड़पा रखा है … कुतिया … रात भर तेरे गदराये बदन ने मेरी नींद उड़ा रखी थी साली … अब भुगत लंड का कहर.
मेरे ठोस बदन कड़कते लंड बदन की गर्मी ने उनको दर्द और मजा दोनों मिल रहा था. चाची के भरे बदन ने मुझे हैवान बना दिया था. मैं अपने लंड के धक्के उनकी गांड में मारे जा रहा था. मेरे दोनों हाथ चाची के चूचे निचोड़ रहे थे.
चाची भी अब तक गर्मा गयी थीं. मैंने मौका देख कर उनका टॉप अलग कर दिया. अब वो छिनाल ऊपर से पूरी नंगी मेरे सामने थी. मैंने जल्दी से अपनी टी-शर्ट उतार दी और अपने नंगे बदन से उनकी नंगी पीठ को सटा दी. मैं चाची के मम्मों की घुन्डियां मसलने लगा. वो भी अब थोड़ी मदहोश सी हो गई थीं.
वो जैसे ही कुछ ढीली पड़ीं, मैंने तेजी से हाथ नीचे ले जाकर उनकी कच्छी को उतार दिया.
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उफ्फ … अब उनके बदन पर सिर्फ स्कर्ट ही रह गयी थी. मेरे बदन में तो अब खून के बजाय सेक्स दौड़ रहा था. चाची की गोरी मांसल जांघों को तो मैं पहले ही देख चुका था और अब उनके नंगे कूल्हों ने मुझे मानो वहशी बना दिया था.
मैं उनकी फूली गुलाबी चिकनी चूत को देखकर पागल हो गया था.
मेरा लंड तो अब पूरा लोहा बन कर सीधा खड़ा हो गया था. मैं बिल्कुल जंगलियों की तरह चाची पर टूट पड़ा. मेरे बोझ की वजह से वो पास के बिस्तर पर दोनों हाथ टिका कर झुक गईं, तो मैंने अपनी जींस निकाल दी.
मेरा लंड छुट्टा सांड की तरह लाल होकर खड़ा था. मेरे दिमाग पे तो जैसे शैतान सवार हो चुका था. मैंने चाची की दोनों टांगों को अपने हाथों से उठा लीं. मेरे हाथों की पकड़ इतनी कसी हुई थी कि वो एक बार के लिए सिहर सी गईं.
मैं गौर से उनकी चूत और गांड देखकर उत्तेजना से हांफ रहा था और मेरा लंड ऊपर नीचे हो रहा था. वो भी अब चुदने को बिल्कुल तैयार थीं. पर मेरे शैतानी दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. अब मैं चाची को जरा तड़पाना चाहता था, उनको दर्द देना चाहता था. उनसे अपनी एक रात की तड़फन का बदला लेना चाहता था. मैं भी उनको तरसाना चाहता था.
मुझे पता था कि चाची एक हफ्ते तक तो मेरी ही हैं. मैंने चाची की गांड की चुदाई की सोची, जिससे कि वो चुदवाने को तरसे और गांड में मेरे लौड़े का दर्द झेल लें.
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मैंने उनकी टांगें छोड़ दीं, तो चाची ने चुदने के लिए अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर लीं.
मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी गांड के छल्ले के ऊपर करके लगा दिया और उनके चुच्चे मसलने लगा. मेरे लंड की गर्मी उनकी गांड के छल्ले को गर्म कर रही थी. पीछे से मेरा पूरा नंगा बदन उनको गर्म कर रहा था. मेरी गर्म सांसें धौंकनी की तरह उनके कानों को गर्माहट दे रही थीं.
वो अब निढाल हो गई थीं, उन्होंने जैसे ही अपनी गांड के छल्ले को थोड़ा ढीला छोड़ा, मैंने जोर मार कर अपने लंड को चाची की गांड में घुसा दिया.
वो दर्द से तड़प उठीं और ‘उईईई ईईईईई..’ चिल्लाते हुए बोलने लगीं- क्या कर रहे हो? वो गलत जगह है.
चाची मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थीं, मगर मेरी मजबूत पकड़ की वजह से उनको कोई मौका नहीं मिल पा रहा था.
मैं- साली मैं तेरी गांड मार रहा हूँ.
चाची- आह कुत्ते … मुझे दर्द हो रहा है … बाहर निकाल इसे.
मैं- कुतिया तूने कल से मुझे परेशान किया हुआ है … अब भुगत.
चाची- हरामजादे किसी लड़की से नहीं किया क्या कभी … या लड़कों की ही मारता रहा?
मैं- भोसड़ी की, तेरी तो आज गांड ही बजेगी.
यह बोल कर मैंने पूरी ताकत से पूरे लंड को चाची की गांड में अन्दर घुसा दिया. वो दर्द से बिलख पड़ीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
पूरा लंड पेलने के बाद मैंने उनको कुछ देर तक ऐसे ही जकड़े रखा. उसके बाद मैंने गांड की चुदाई शुरू की, हल्के हल्के धक्के मारने शुरू किए. वो दर्द से रोने लगीं, लेकिन मुझे उनको रोता देखकर मजा आ रहा था. मेरे धक्कों से जब वो बहुत रोने लगीं, तो मैंने उनको जकड़ कर लंड पूरा घुसा दिया और उनकी चूत सहलाने लगा. थोड़ी देर चूत सहलाने पर उनका दर्द कुछ कम हो गया.
अब मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में घुसा दी और चूत में उंगली करने लगा. इससे उनको दर्द और मजा दोनों आ रहे थे. मैंने लंड के धक्के मारने शुरू कर दिए … साथ ही साथ चूत में उंगली भी कर रहा था.
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कुछ ही पलों में वो एक अलग ही मस्ती में आ गई थीं. चाची दर्द और मजा दोनों एक साथ ले रही थीं. मैं भी अब अपने लंड को पूरा अन्दर बाहर कर रहा था और चाची की चूत में उंगली किए जा रहा था.
चाची को अब गांड मरवाने में मजा आने लगा था और वो अब मेरे लंड पे अपनी गांड के धक्के मार रही थीं. ये देख कर मैंने एक हाथ से उनके चूचे दबाने चालू कर दिए और दूसरा हाथ चूत में उंगली करने में लगाए रखा. मेरा लंड पिस्टन की तरह उनकी गांड में घचाघच करे जा रहा था.
थोड़ी देर में चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया और अपनी गांड भींच ली. तभी मेरा लंड भी फैलने लगा, वो दर्द से चिल्लाईं … लेकिन मैं अब गांड की तेज चुदाई करने लगा. थोड़ी देर बाद ही मैं झड़ गया. वो भी एकदम से निढाल हो गई थीं और मैं भी बेसुध उनके ऊपर पड़ गया था.
काफी देर बाद वो मेरे नीचे से निकलीं. मैंने भी जल्दी से कपड़े पहने. वो भी कपड़े पहन चुकी थीं.
मैंने उनको कसके अपनी छाती से लगा कर उनको बहुत चूमा- कैसा लगा मेरा अन्दाज?
वो शरमा गईं.
तब मैंने उनके होंठों को चूमते हुए कहा- आज आपकी गांड की चुदाई की … कल आपकी चूत चोदेंगे.
ये बोल कर मैंने उनकी चूत पकड़ ली.
वो हंस पड़ीं और मैं वहां से निकल गया.
चाची की गांड की चुदाई कहानी पर आप अपने मेल मुझे जरूर भेजिएगा.
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आपको मेरी यह सच्ची सेक्स घटना कैसी लगी मुझे Telegram पर ज़रूर बताये में आपके comment और message का इंतज़ार करूगा. इसके अलावा आप कहानी पर नीचे कमेंट करके भी अपनी राय दे सकते हैं.
Read in English
Dost ki Chachi ki Gand Mari Desi antarvasna
Desi antarvasna: I fuck my friend’s aunt’s ass… One day when I went to my friend’s house, I met her aunt. His sensual eyes revealed that the goods were fickle and could take cocks.
Hello, I am present with a sex story for you all. I am a reader of MastHindiStory for quite some time. This story is related to my friend Raj then Desi antarvasna.
I used to go to Raj’s house often. Raj is about five years younger than me and his body and appearance is like a girl. I used to see him like a girl and kept thinking about killing his ass, but he was ignorant of all this.
One day I went to meet Raj at his house, and was stunned to see a young drunk woman in the garden. Short hair, grainy body, velvety white thighs, full face, full cheeks. Seeing him, my cock immediately stood up for Desi antarvasna.
After listening to Raj’s voice, I was shocked and asked that he is his aunt and has come for a few days. Because my housemates are going out for a few days. That’s why Auntie has come to take care of me.
I was thinking that if Raj were alone, I could kill his ass. But now I started thinking of killing his aunt’s ass too like Desi antarvasna.
When I got my attention from my aunt, her erotic eyes had told me a lot that this material is fickle and can take cocks.
I told Raj – let’s walk a little outside.
He came with me then Desi antarvasna.
Desi antarvasna
I asked him- when are your family going?
So he told – Tomorrow is a six o’clock train.
I said, never mind, five to six days of fun.
He said – No, this is a very important project of the college, in which I have to be very busy.
I said to him – take leave of college.
But he refused completely.
I asked him when would you go to college?
He said – I will come back at eight in the morning and four in the evening like Desi antarvasna.
Hearing this, my cock was torn and came to come out… because Raj’s aunt was going to be left alone in the house. Now I started planning to assassinate her aunt.
I told Raj – Let’s meet tomorrow evening for Desi antarvasna.
Raj’s aunt kept coming in front of my eyes throughout the night and my cock did not let me sleep all night. I did not know when I slept all night thinking about Chodne.
At about eight o’clock in the morning my eye opened, so my cock was still standing. Throughout the night, I kept ass from Raj’s aunt, and sometimes I kept hitting her pussy. By the way, I enjoy ass fucking more the Desi antarvasna.
I got ready after taking a bath and started having breakfast. Raj’s aunt was roaming in my mind and today I wanted to fuck her in every situation.
Desi antarvasna
I gave a good massage of oil on my body and also a very good oil massage of cocks. I only wore jeans, so that my cock was absolutely free. I put a T-shirt on top to make it easier to get naked. The fun of sex comes in the bare.
It was ten past now. I knew that Raj would have gone to college and his aunt would be alone like Desi antarvasna.
I walked towards Raj’s house and parked his bike some distance away from his house. Raj’s house is a short distance away from the road. Nearby houses are also built a short distance away.
When I reached home, I was shocked. Raj’s aunt was wearing a sky colored skirt and was wearing a light yellow top. She was looking at the flowers sitting below and was seeing her marble-like body in the unknown. His white panty was clearly visible from his velvety thighs. The bulge of his big boobs was also visible from his tight top up Desi antarvasna.
I controlled myself with great difficulty, but my cock had become completely uncontrollable and was clearly visible.
I knocked at the compound gate, then aunt saw me and asked- who are you?
I – I’m a friend of Raj.
Aunt – Raj is not at home.
Where have I been?
Aunt has gone to college for Desi antarvasna.
How long will I come?
Aunt – will come till evening, saying that there is enough work.
Desi antarvasna
My aunt’s full body, fleshy white thighs, full cheeks … I was getting a big meeting of my cocks and she probably understood this too. While talking to him, I stared at him and saw what was happening. My eyes were fixed on my aunt’s sweetheart. I wanted to fuck him in any case.
Me- who are you?
Aunt- I am Raj’s aunt.
Me- You are not his aunt then Desi antarvasna.
Aunt- Why is this going to happen?
Me- I mean you are looking like a young and smart girl at a very young age… so I said.
She laughed at me and said- where have you come from?
I said – far enough away.
She said- Come sit, will you have tea?
I wanted to take advantage of this opportunity now. I wanted to open the gate and go in front of them and express my trunk and the intention of fucking them in the eyes. She had understood this desire well by seeing the eyes steeped in my lust the Desi antarvasna.
I went near to him and said – Yes, definitely. … But you will suffer.
She was also probably into fun. She flipped and said – how was the problem. Come on I will also like it.
I had now received a green signal from their side.
I said that my motorcycle is parked outside… I bring it.
She said – okay.
Now I was feeling a little bit relieved because to a large extent I had beaten him for fucking like Desi antarvasna. Now I wanted to be sure about the neighborhood so that no one would come at the last moment. The neighborhood seemed deserted at this time. Seemed like there was a forest.
Desi antarvasna
I closed the gate by bringing my motorcycle home. Then I went inside the house and closed the door. Inside, my doom was making tea in the kitchen.
Raj’s house was very big, but the kitchen had become very cramped due to the fridge. Because of which two people could not come together without meeting each other then Desi antarvasna.
My heart was cooking tea in the kitchen. I swiftly came after them and rammed my cock between their pussy and gave them a push.
Aunt’s face turned red. She said – what are you doing?
I became aware that I was going to get water.
She said – he would have told me for Desi antarvasna.
Now my cock was in his ass. I said – I did not want to disturb you.
Saying this, I moved away from his thighs by stroking his hand and came into the room. Aunty understood me by laughing.
After a while, his tinkling voice came – take it here.
I asked what should I take
Auntie laughed and said- Take tea.
I said – bring it here for Desi antarvasna.
She came to my room with tea. As soon as she came in the room, I immediately closed the door of the room and grabbed her from behind. My cock was in his ass and my hands were rubbing his cock.
Desi antarvasna
She became a little nervous due to all this, but the heat of my body and cocks had made her a bit nervous.
She said in a suppressed voice – what are you doing?
I said – today you want to kill your ass.
I held him tightly. My cock was in his ass and my hands were mashing him after Desi antarvasna.
I was also very hot and he was being abused – kill your mother’s Bhosda… Haramzadi has been torturing cocks since yesterday… Bitch… Your giddy body had made me sleep throughout the night… Sathi… now the havoc of cocks.
He was getting both pain and fun due to the heat of my body. My full body of aunt made me crazy. I was getting hit by his cock in his ass. Both my hands were squeezing aunty’s cock for Desi antarvasna.
Aunty was also hot by now. Seeing the opportunity, I separated his top. Now that clan was in front of me completely naked. I quickly took off my T-shirt and covered his bare back with my bare body. I started rubbing my aunt’s mums. She too became a little drunk then Desi antarvasna.
As soon as something was lying loose, I swiftly took my hand down and removed her Kutchi.
Desi antarvasna
Uff… now there was only a skirt on her body. In my body, sex was running instead of blood. I had already seen my aunt’s white muscular thighs and now her bare hips made me as impatient.
I was mad at his blooming pink smooth pussy.
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My cocks had become erect and now stood upright. I cracked on my aunt like a jungle. Because of my burden, she bent her both hands on the nearby bed, so I removed my jeans like Desi antarvasna.
My cock stood red like a holiday bull. As if Satan had rode on my mind. I lifted both aunt’s legs with my hands. The grip of my hands was so tight that she shivered for once then Desi antarvasna.
I was keenly gasping at the excitement of seeing her pussy and ass and my cock was getting up and down. She too was ready to fuck now. But something else was going on in my evil mind. Now I wanted to torture my aunt, I wanted to give them pain. He wanted to avenge his one-night torture. I also wanted to pity him like Desi antarvasna.
I knew that aunt was mine for a week. I thought of aunt’s ass fuck, so that she would crave sex and face the pain of my alore in the ass.
Desi antarvasna
I left her legs, then aunt widened her legs a bit for a fuck.
I put my cocks on their ass rings and started rubbing them. The heat of my cock was heating his ass rings. My whole naked body was heating them from behind. My warm breaths were warming their ears like a blower but Desi antarvasna.
She was now exhausted, as soon as she left her ass rings a little loose, I thrust my cock into aunt’s ass.
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She was moved with pain and started shouting ‘UEEE EEEEE ..’ – What are you doing? That is the wrong place.
Aunt was trying to get rid of me, but due to my strong grip she was not getting any chance.
I-I’m sister-in-law
Aunt- Ah dog… I am having a pain… get it out.
I – bitch, you have troubled me since yesterday… now suffer.
Aunt- Haramzade did not do any girl ever… or he kept hitting boys only?
Me- Bhosadi ki, your ass will ring today the Desi antarvasna.
Saying this, with full force, I inserted the whole cock into aunt’s ass. She sighed with pain ‘Ummh… Ahhh… Hah… Ohhh… ’
After drinking all the cocks, I kept them like this for a while. After that, I started ass fucking, started hitting me lightly. She started crying with pain, but I was enjoying seeing her cry. When she started crying a lot from my bumps, I grabbed them and rammed my cocks and started caressing her pussy. After a while rubbing her pussy, her pain subsided the Desi antarvasna.
Now I inserted my finger in her pussy and started to finger her pussy. He was having both pain and fun with this. I started banging cocks… I was also fingering her pussy.
Desi antarvasna
In a few moments, she had come to a different fun. Auntie was taking both pain and fun together. I too was now taking my cock in and out of my aunt’s finger.
Aunty was now enjoying having asshole and she was now banging her ass on my cock then Desi antarvasna. Seeing this, I started pressing his cock with one hand and kept the other hand in finger to pussy. My cock was being rammed into his ass like a piston.
In a short time, aunt’s pussy left the water and also took her ass. Then my cock also started spreading, she screamed with pain… but now I started to fuck her ass faster then Desi antarvasna. I collapsed after a while. She too was completely exhausted and I too fell on her.
After a long time she came out from under me. I also dressed quickly. She too was dressed like Desi antarvasna.
I tied him tightly to my chest and kissed him a lot – how did I guess?
She blushed.
Then I kissed his lips and said – today fuck your ass… tomorrow will fuck your pussy.
After saying this, I caught her pussy.
She laughed and I left.
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