पड़ोसन भाभी को उन्के घर में जा के चोदा Kamuk stories
Kamuk stories: नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है और मैं जयपुर के पास के एक गांव से हूं. मुझे भाभियों और आंटियों में बहुत ही ज्यादा दिलचस्पी रहती है. मैं भाभी की चूत या किसी आंटी की चूत चोदने का कोई मौका अपने हाथ से नहीं जाने देता हूं.
आज मैं आपके सामने अपनी एक और सत्य घटना लेकर आया हूं. इससे पहले कि मैं कहानी को आगे लेकर जाऊं मैं आपको अपने बारे में कुछ हल्की-फुल्की जानकारी देना चाहता हूं. मेरी उम्र 34 साल है और मेरा शरीर काफी फिट है. मैं रोज कसरत के लिए टाइम भी निकाल लेता हूं. यह मेरे रोज के रुटीन का हिस्सा है.
तो दोस्तो, बात आज से लगभग दो साल पहले की है. उस समय मैं एक कम्पनी के टेन्डर के काम से जयपुर गया हुआ था. वहां पर मैं किराये का रूम लेकर रह रहा था. पास में ही एक सुन्दर सी भाभी रहती थी जो बहुत ही हॉट लग रही थी देखने में. हॉट से मेरा मतलब फिगर से नहीं है. औरत को हॉट उसकी अदाएं बनाती हैं, मेरा ऐसा मानना है. वो भाभी भी वैसे तो देखने में थोड़ी सी मोटी थी जैसी कि मुझे पसंद आती हैं. मुझे सूखी सी महिलाएं ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाती हैं.
मुझे थोड़ी सेहतमंद भाभियों में ज्यादा रुचि रहती है. तो उस भाभी की उम्र करीबन 37 साल के आस-पास थी. वो देखने में उससे कम की ही लगती थी. उम्र का पता तो मुझे बाद में चला था लेकिन मैं आपकी जानकारी के लिए पहले ही यहां पर लिख रहा हूं ताकि आपको उसके बदन के बारे में कुछ आइडिया मिल जाये कि वो देखने में कैसी रही होगी.
पहली नजर में ही मैं उस भाभी पर फिदा हो गया था; उसको रोज ताड़ता था. जिस दिन वो नजर नहीं आती थी, उस दिन मन में एक बेचैनी सी रहती थी. इस तरह उसको रोज देखना मेरी आदत सी बन गई थी. कई बार वो भी मेरी तरफ देख लेती थी. उसके तीखे नैन-नक्श दिल पर जैसे छुरी चला देते थे. वो मेरी तरफ देखती भी थी लेकिन अभी कुछ रिएक्ट नहीं करती थी. मैं तो उस पर लाइन मारने की पूरी कोशिश करता रहता था.
वो भाभी शायद किसी कम्पनी में ही काम किया करती थी. इसलिए कई बार घर के बाहर भी आते-जाते उससे सामना हो जाया करता था.
वो दिवाली का टाइम था और उस दिन मुझे काम करते हुए शाम ही हो गई थी. मैं ऑफिस से करीब 6 बजे निकल कर अपनी कार से अपने रूम की तरफ जा रहा था. वैसे मैं हर रोज कार लेकर नहीं जाता था. लेकिन जिस दिन मुझे ये लगता कि आज काम की वजह से देर हो सकती है उस दिन मैं कार लेकर चला जाया करता था. बाकी के दिन मैं ऑटो से ही जाता था.
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तो उस दिन मैंने देखा कि वो एक बस स्टैंड पर खड़ी हुई शायद बस का इंतजार कर रही थी. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची. मैंने उसके पास जाकर गाड़ी रोक दी. कार रुकते ही उसकी नजर मुझ पर गई और उसने मुझे पहचान भी लिया.
लेकिन वो अभी शायद किसी असमंजस में थी कि मैंने अचानक इस तरह उसके सामने गाड़ी क्यों लगा दी. मैंने भाभी को नमस्ते किया तो वो भी हल्की सी स्माइल करने लगी.
फिर मैंने उनसे पूछा- आप यहां पर कैसे?
उसने थकावट भरी आवाज में जवाब दिया- बहुत देर से बस का इंतजार कर रही हूँ लेकिन अभी तक कोई उस तरफ की बस नहीं आई है.
मैंने झट से कहा- अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपको लिफ्ट दे देता हूं.
वो भी जानती थी कि मैं भी पास के ही मकान में रहता हूं.
एक बार तो वो मना करने लगी लेकिन मैंने फिर से कोशिश की.
मैंने कहा- भाभी, दिवाली का टाइम है. आप लेट हो जाओगे. मैं आपको घर छोड़ दूंगा.
फिर वो कुछ सोच कर गाड़ी में बैठ गई. वो मेरे बगल वाली सीट पर ही बैठी हुई थी. वो चुपचाप बैठी हुई थी. मैंने सोचा कि ऐसे तो बात नहीं बन पायेगी. मुझे ही बात छेड़नी पड़ेगी तो मैंने उससे पूछ लिया- आप यहां पर कैसे आज?
उसने बताया कि वो यहीं पर काम करती है.
इस तरह हम दोनों के बीच में बातों का दौर शुरू हो गया.
आगे बात करने पर पता चला कि वो अपने सास और ससुर के साथ यहां पर रहती है. उसके पति महीने या दो महीने में एक बार ही घर आते हैं. उसके ससुर की एक दुकान है और सुबह होते ही वो दुकान पर चले जाते हैं. सास अक्सर भजन कीर्तन में अपना टाइम काट लेती है. इस वजह से वो घर पर कई बार अकेली ही रहती है.
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मैंने उससे पूछा- आपके बच्चे कभी दिखाई नहीं दिये.
वो बोली- मुझे अभी सन्तान का सुख नहीं मिल पाया है. शादी को दस साल हो चुके हैं लेकिन पता नहीं हमें अभी तक औलाद क्यों नहीं हुई है.
उसके ये कहने पर मैं चुप हो गया. मैंने शायद गलत सवाल पूछ लिया था.
फिर वो भी चुप ही रही. कुछ ही देर में हम लोग उसके घर के बाहर पहुंच गये. उसने घर से कुछ दूरी पर ही गाड़ी रुकवा ली.
मैंने कहा कि मैं आपको घर के सामने तक छोड़ देता हूं लेकिन वो मना करने लगी. कहने लगी कि उससे ससुर ने देख लिया तो वो पता नहीं क्या सोचेंगे.
मैं भी उसकी बात से सहमत से हो गया. इसलिए उसके कहने पर मैंने गाड़ी को वहीं घर से कुछ दूरी पर ही रोक दिया.
वो उतर कर जाने लगी तो मैंने उससे उसका नम्बर मांग लिया. एक बार तो वो कहने लगी कि आप मेरे नम्बर का क्या करोगे.
फिर मैंने हिम्मत करके कह दिया कि वो सब मैं आपको बाद में बताऊंगा.
फिर उसने अपना नम्बर दे दिया और मुस्करा कर अन्दर चली गई.
मैं दिवाली मनाने के लिए अपने गांव के लिए निकल गया. घर जाकर ऐसे ही दो चार दिन निकल गये. फिर जब वापस रूम पर आया तो उस दिन आते ही भाभी के दर्शन हो गये. कयामत लग रही थी रानी भाभी.
उसको देखते ही दिल में हलचल सी मच गई और मैंने उसको टोकते हुए नमस्ते की तो वो भी मेरी तरफ देख कर हल्के से मुस्करा दी.
जब वो मुस्काराती थी तो मेरा दिन बन जाता था. उस दिन मेरा काम पर जाने का मन नहीं था. मैं रूम पर पड़ा हुआ बोर हो रहा था तो मैंने सोचा कि क्यों न आज भाभी को फोन करके देखा जाये. उसका नम्बर तो मेरे पास था ही.
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मैंने भाभी को फोन किया तो उसने प्यारी सी आवाज में हैल्लो किया. मैंने बताया कि मैं उनका पड़ोसी राज बोल रहा हूं. मैंने उनको नमस्ते किया और उन्होंने भी वहां से नमस्ते किया. फिर वो कुछ जल्दी में लग रही थी. पूछने पर उसने बताया कि वो पैकिंग करने में लगी हुई है.
मैंने पूछा कि कहीं पर जा रहे हो क्या आप?
भाभी ने बताया कि उसके सास-ससुर पांच दिन के लिए बाहर जा रहे हैं. उन्हीं का सामान पैक करने में लगी हुई थी.
मैंने भैया के बारे में पूछा तो भाभी ने बताया कि वो तो एक दिन पहले ही काम के लिए निकल गये थे. बस दिवाली पर दो दिन के लिए आये थे. उनको कुछ जरूरी काम था तो वो वापस चले गये.
फिर वो कहने लगी कि अभी वो पैकिंग करने में व्यस्त है. इसलिए उसने बाद में बात करने के लिए कहा और फोन रख दिया.
मेरे मन में तो लड्डू फूटने शुरू हो गये थे. भाभी घर पर अकेली थी. इससे अच्छा मौका क्या हो सकता था. मैं बाहर आकर खिड़की के पास भाभी के घर पर नजर लगा कर बैठ गया कि कब उसके सास और ससुर घर से निकलेंगे और मैं भाभी को पटाने के लिए फिर से अपनी कोशिश करूंगा.
आधे घंटे के बाद मैंने देखा कि उसके सास-ससुर अपना सामान ऑटो में रख कर निकल गये. भाभी ने गेट बंद कर लिया और अन्दर चली गई.
मैंने तुरंत भाभी को फोन लगाया तो भाभी ने फोन उठा लिया. फिर हमारे बीच में बातें होने लगीं.
ऐसे ही एक दो दिन भाभी से बात करते हुए हो गया तो हम दोनों में काफी कुछ बातें होने लगीं.
फिर एक दिन मैंने उनसे कहा कि आपने बच्चों के बारे में डॉक्टर से सलाह ली है क्या?
मेरी बात को वो टाल गई.
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फिर हमारे बीच में यहां-वहां की बातें होने लगीं. अगले दिन मैं घर पर ही था और भाभी भी काम पर नहीं गई थी. मैंने उनको दिन में फोन लगाया और हम दोनों घंटों तक बातें करते रहे.
फिर टाइम देखा तो शाम के 6 बज गये थे. भाभी से मैंने कहा कि अब मैं जरा खाना खाने के लिए बाहर जा रहा हूं क्योंकि मुझे काफी भूख लगने लगी थी.
वो पूछने लगी कि आप रूम पर खाना नहीं बनाते हो क्या?
मैंने बताया कि आज राशन खत्म हो गया है. इसलिए बाहर ही खाना पड़ेगा.
भाभी बोली- आप मेरे घर आकर खा लो. मैं घर पर अकेली ही हूं. मुझे भी आपका साथ मिल जायेगा और आपको बाहर खाने के लिए भी नहीं जाना पड़ेगा. जहां मैं अपने लिए खाना बनाऊँगी वहां दो लोगों के लिए बना दूंगी.
मैं भाभी की बात सुन कर खुश हो गया. मैंने तुरंत हां कह दिया. भाभी ने मुझसे 8 बजे तक आने के लिए कहा था. मेरे लिए अब टाइम काटना मुश्किल हो रहा था.
जैसे ही आठ बजे का समय हुआ तो मैं भाभी के घर के लिए चल पड़ा. मैंने अपने रूम का दरवाजा बंद कर दिया और ताला लगा दिया. मैंने एक टी-शर्ट और ढीली सी लोअर पहन रखी थी.
मैंने भाभी के घर के गेट पर जाकर बेल बजाई तो उन्होंने दरवाजा खोल दिया. मैंने उनको देखा तो मेरी नजर वहां से हट ही नहीं पाई.
भाभी ने एक रेशमी सा गाउन पहना हुआ था और उनके गीले बाल उनके कंधे पर बिखरे हुए थे. सिर भाभी ने एक स्टॉल सा डाला हुआ था लेकिन वो भी पूरी तरह से ढका नहीं हुआ था. भाभी शायद अभी-अभी नहा कर ही बाहर आयी थी.
फिर हम दोनों अंदर चले गये और भाभी ने खाना परोस दिया. भाभी के चूचों की दरार देखकर मेरी लोअर में मेरा लंड तन रहा था. वो जब-जब प्लेट में खाना डालने के लिए झुकती तो मैं भाभी के कबूतरों को अंदर तक ताड़ जाता था. उसने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी. जब भाभी एक बार झुकी तो मुझे उनके चूचे पूरे दिख गये. मेरा लौड़ा एकदम से तन गया.
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मैंने बड़ी मुश्किल से खाना खत्म किया. लंड बार-बार भाभी के चूचों के बारे में सोच कर उछल रहा था. मैंने बाथरूम में बहाने से जाकर मुट्ठ मारी तब जाकर कहीं लंड थोड़ा शांत हुआ. खाना खाने के बाद हम यहां-वहां की बातें करने लगे.
बातें करते हुए रात के 10-11 बज गये. भाभी ने अपनी तरफ से कोई पहल नहीं की. मेरा मन भाभी की चूत चोदने का हो रहा था. लेकिन ये समझ नहीं आ रहा था कि चुदाई बात छेड़ूं कैसे.
फिर मैं मन मार कर जाने लगा और भाभी को बोल दिया कि मैं अपने रूम पर जा रहा हूं.
भाभी पूछ बैठी- आपको अभी से नींद आ रही है क्या?
मैंने कह दिया कि नींद तो नहीं आ रही लेकिन जाकर लेट जाऊंगा तो आ जायेगी.
भाभी बोली- कुछ देर और रुक जाओ. मैं भी घर पर अकेली हूं और मुझे यहां डर भी लगने लगता है.
मेरा लंड भाभी के मुंह से ये बातें सुनकर मेरे लोअर में तनना शुरू हो गया. मैं खड़ा हो गया था तो लंड भी लोअर में हल्का सा तना हुआ दिखाई देने लगा था. भाभी ने एक नजर मेरे लंड की तरफ देखा और फिर नजर फेर ली. उसके मन में भी शायद कुछ चल रहा था लेकिन वो कुछ कह नहीं पा रही थी.
मैं दोबारा से भाभी के साथ बैठ गया. फिर मैंने बच्चों वाली बात छेड़ दी.
भाभी कहने लगी- हमने कई जगह टेस्ट कराया लेकिन कुछ पता नहीं लग पा रहा है कि कहां पर कमी है.
मैं तो पहले से ही भाभी की चूत चोदने की फिराक में था. इसलिए लंड बार-बार खड़ा होकर मुझे पहल करने के लिए उकसा रहा था.
पेशाब करने का बहाना करके मैं उठा ताकि भाभी को मेरा खड़ा हुआ लंड दिख जाये. मैं उठा तो भाभी ने मेरी लोअर में तना हुआ मेरा लंड देख लिया और फिर टीवी की तरफ देखने लगी.
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जब मैं बाथरूम से वापस आया तो भाभी मेरे लंड की तरफ ही देख रही थी. अब मैंने भी सोच लिया था कि जो होगा देखा जाएगा. पहल मुझे ही करनी होगी. मैं आकर भाभी के पास बैठ गया और मैंने भाभी के कंधे पर हाथ रख दिया. उसने मेरी तरफ अजीब सी नजरों से देखा लेकिन मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी. मैं भाभी की आंखों में देख रहा था और वो मेरी आंखों में.
मैं धीरे से अपने होंठों को भाभी के होंठों के पास ले गया और फिर मैंने उसके होंठों को चूम लिया. वो थोड़ी हिचकी लेकिन मेरे अंदर अब तूफान सा उठने लगा था. मैंने भाभी के होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही भाभी ने मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
मुझे तो चुदाई की जल्दी मची हुई थी. मैंने फटाक से भाभी को नंगी कर दिया. उसके गाउन को निकाल फेंका और उस पर टूट पड़ा. मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और उसकी चूत को चाटने लगा.
वो सिसकारियां लेने लगी. काफी देर तक भाभी की चूत को चाटने के बाद मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिये.
उसके होंठों को चूसते हुए मैंने अपने लंड को भाभी की चूत पर लगाया और लंड को चूत में पेल दिया. भाभी ने गच्च से मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया. मैं बिना देरी किये भाभी की चूत को चोदने लगा. भाभी के मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ बीच-बीच में मैं भाभी के चूचों को दबा भी रहा था और कभी उसके निप्पलों को पी रहा था.
बहुत ही गर्म माल थी रानी भाभी. उसकी चूत भी बहुत गर्म थी. उसकी चूत की गर्मी मुझे अपने लंड पर अलग से ही महसूस हो रही थी. मैंने लगभग दस मिनट तक भाभी की चूत की चुदाई की और फिर मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया.
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अब हमारे बीच में कोई दूरी नहीं रह गई थी. उस रात भाभी ने मुझे अपने घर पर ही रोक लिया और मैंने भाभी की चूत को रात में तीन बार चोदा और मैंने अलग-अलग पोजीशन में भाभी की चूत को चोद कर खुश कर दिया. फिर सुबह 4 बजे मैं अपने रूम पर चला गया क्योंकि भाभी ने कह दिया था कि किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मैं रात में उसके घर पर ही रुका हुआ था.
इस तरह अगले तीन दिन तक हमारा हनीमून चलता रहा. मैंने भाभी की चूत खूब चोदी. फिर चौथे दिन उसके सास और ससुर वापस आ गये.
फिर हमें चुदाई का ज्यादा मौका नहीं मिल पाता था. एक दो बार तो मैंने गाड़ी में ही भाभी की चूत मारी. वो भी मेरा लंड लेकर खुश रहने लगी थी. फिर मेरा काम वहां से खत्म हो गया और मैं अपने गांव वापस चला गया. उसके बाद मैंने उसको फोन करने की कोशिश की लेकिन उसका वो नम्बर बंद हो चुका था.
फिर मैंने भी उससे संपर्क करने की कोशिश नहीं की. लेकिन जब-जब मैंने उसकी चूत चोदी मुझे उसने बहुत मजा दिया.
तो दोस्तो.आपको ये भाभी सेक्स कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे बताना. मैं आप लोगों के लिए आगे भी अपने साथ हुई चुदाई की घटनाएं लेकर आता रहूंगा. मैंने Telgram आई-डी नीचे दी हुई है जिस पर आप मुझे मैसेज भी कर सकते हैं.
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Read in English
Padosn bhabhi ko choda unke ghar me Kamuk stories
Kamuk stories: Hello friends, my name is Raj and I am from a village near Jaipur. I am very much interested in sisters and aunts. I do not let any opportunity to fuck Bhabhi’s pussy or any aunt’s pussy.
Today I have brought one more truthful incident in front of you. Before I take the story forward, I want to give you some light information about myself. I am 34 years old and my body is quite fit. I also take time off for daily exercise. This is part of my daily routine Kamuk stories.
So friends, it is about two years ago. At that time, I had gone to Jaipur as a tender of a company. I was staying there with a rental room. There lived a beautiful sister-in-law nearby who was looking very hot. By hot I don’t mean figure. Hot makes a woman adore her, I believe so. That sister-in-law was also a bit thick to watch as I like it. Dry women do not attract me much in Kamuk stories.
I am more interested in slightly healthier sisters. So the age of that sister-in-law was around 37 years. She used to look less than that. I came to know the age later, but I am already writing here for your information so that you can get some idea about her body, how she must have looked for Kamuk stories.
At first sight, I was floored on that sister-in-law; He used to get tortured daily. The day she did not see, that day there was a restlessness in the mind. In this way it became a habit to see him everyday. Many times she also looked at me. His sharp nan-naks used to strike knives on his heart. She used to look at me but still did not react. I kept trying my best to hit the line on him the Kamuk stories.
That sister-in-law probably worked in a company only. Therefore, at times, even outside the house, I used to face him for Kamuk stories.
It was time for Diwali and it was evening when I was working that day. I left the office at about 6 o’clock in my car and was going towards my room. By the way, I did not take a car everyday. But the day I felt that it could be late due to work today, I used to drive with a car on that day. The rest of the day I used to go by auto the Kamuk stories.
Kamuk stories
So that day I saw that she was standing at a bus stand, probably waiting for the bus. I thought of taking advantage of the opportunity. I went to him and stopped the car. As soon as the car stopped, his eyes went on me and he recognized me the Kamuk stories.
But she was probably still confused about why I suddenly put a car in front of her like this. When I greeted her sister-in-law, she also started smiling a little.
Then I asked him – how are you here?
He replied in a tired voice – I have been waiting for the bus for a long time, but no one has come to that side yet for Kamuk stories.
I quickly said – if you don’t mind, I give you a lift.
She also knew that I too live in a nearby house.
Once she refused but I tried again.
I said – sister-in-law, it’s Diwali time. You will be late I will leave you home the Kamuk stories.
Then she sat in the car after thinking something. She was sitting on the seat next to me. She was sitting quietly. I thought that such a thing would not be made. If I have to deal with the same thing, then I asked him – how are you here today?
She told that she works here Kamuk stories.
In this way, a conversation started between us.
After further talk, it was found that she lives here with her mother-in-law and father-in-law. Her husband comes home only once in a month or two months and Kamuk stories. His father-in-law has a shop and in the morning he goes to the shop. Mother-in-law often spends her time in bhajan kirtan. Because of this, she is often alone at home.
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I asked her – Your children never showed up.
She said – I have not got the happiness of children yet. It has been ten years of marriage, but we do not know why we have not got children yet.
I became silent when he said this. I might have asked the wrong question.
Then she too remained silent. We reached outside his house in a while. He stopped the car at some distance from the house for Kamuk stories.
I said that I leave you in front of the house but she started refusing. She started saying that she did not know what she would think if her father-in-law saw it.
I too agreed with her. Therefore, at his behest, I stopped the car at some distance from the house.
When she started going down, I asked for her number. Once she started saying what would you do to my number then Kamuk stories.
Then I dared to say that I will tell you all of that later.
Then he gave his number and smiled and went inside.
I left for my village to celebrate Diwali. Two days passed after going home. Then when I came back to the room, on that day, my sister appeared. Rani bhabi was feeling doom like Kamuk stories.
Seeing her, there was a stir in my heart and I greeted her, and she also smiled lightly looking at me.
When she used to smile, my day was made. I did not feel like going to work that day i got Kamuk stories. I was getting bored lying on the room, so I thought why not call her sister-in-law today. I already had his number
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When I called her sister-in-law, she did a lovely voice. I told that I am speaking their neighbor Raj. I greeted him and he also said hello from there. Then she was looking in some hurry. On asking, she told that she is engaged in packing.
I asked, are you going somewhere?
Sister-in-law told that her mother-in-law is going out for five days. Was busy in packing his belongings the Kamuk stories.
When I asked about brother, sister-in-law told that he had left for work a day earlier. Just came for two days on Diwali. If he had some important work, he went back.
Then she started saying that she is busy packing now. So he asked to talk later and hung up for Kamuk stories.
The laddus started bursting in my mind. Sister-in-law was alone at home. What could have been a better opportunity than this. I came out and sat near the window, looking at the sister-in-law’s house when her mother-in-law and father-in-law would come out of the house and I would try again to impress her Kamuk stories.
After half an hour I saw that his mother-in-law left his luggage in the auto. Sister-in-law closed the gate and went inside.
I immediately called the sister-in-law, then the sister-in-law picked up the phone. Then things started happening between us.
In the same way, while talking to sister-in-law for two days, a lot of things started happening in both of us for Kamuk stories.
Then one day I told him that you have consulted the doctor about the children.
She postponed my talk.
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Then things started happening here and there among us. The next day I was at home and sister-in-law also did not go to work. I called him during the day and we both talked for hours.
When I saw the time, it was 6 in the evening. I told sister-in-law that now I am going out to eat a little food because I was feeling very hungry for Kamuk stories.
She started asking that you do not cook in the room?
I told that the ration is over today. So we have to eat outside.
Sister-in-law said – you come to my house and eat. I am alone at home I will also support you and you will not have to go out to eat. Where I will cook for myself, I will make it for two people.
I was happy to hear the law. I immediately said yes. Sister-in-law asked me to come by 8 o’clock. It was difficult for me to cut time now.
As soon as it was eight o’clock, I left for my sister-in-law’s house. I closed the door of my room and locked it. I was wearing a T-shirt and loose lower for Kamuk stories.
When I rang the bell by going to the gate of her sister’s house, she opened the door. When I saw them, my eyes could not move away from there then start Kamuk stories.
Sister-in-law was wearing a silky gown and her wet hair was scattered over her shoulder. The head sister-in-law had put on a stall, but that too was not completely covered. Sister-in-law had just come out after taking a bath and enjoy Kamuk stories.
Then both of us went inside and the sister-in-law served food. Seeing the crack of her sister’s pussy, my cock was tanning in my lower in Kamuk stories. When she would bend over to put food in the plate, I used to go to the pigeon in law. She was not even wearing a bra from below. When the sister-in-law bowed once, I saw her legs full. My Alida got tanned completely.
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I finished eating with great difficulty. Lund was bouncing again and again thinking about sister-in-laws. I fisted after going to the bathroom on the pretext, and then the cocks got a little quieter. After eating food, we started talking here and there.
It was 10–11 in the night while talking. Sister-in-law did not take any initiative from her side. My mind was going to fuck Bhabhi’s pussy. But it was not understood how to tease the fuck the Kamuk stories.
Then I started beating my heart and told my sister-in-law that I am going to my room.
Sister-in-law sat asking- Are you feeling sleepy now?
I said that I am not able to sleep but if I go and lie down, I will come.
Sister-in-law said – wait for a while I am also alone at home and I feel scared here too.
Hearing these things from my son-in-law’s mouth, my lower body started to get taut. When I stood up, the cocks also started to appear a little taut in the lower. Sister-in-law looked at my cock and then took a look. Perhaps something was going on in her mind but she was unable to say anything for Kamuk stories.
I sat down again with my sister-in-law. Then I started talking about children.
Sister-in-law started saying – We got the test done in many places but nothing could be found where there is a shortage.
I was already in the position of bhabhi’s pussy fucking. So Lund was repeatedly standing up and encouraging me to take initiative the Kamuk stories.
I woke up with an excuse to urinate so that the sister-in-law could see my erect cocks. When I woke up, my sister-in-law saw my cock taut in my lower and then started looking at the TV.
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When I came back from the bathroom, sister-in-law was looking at my cock. Now I too thought that what will happen will be seen. I have to take the initiative. I came and sat near her sister-in-law and I laid my hands on her sister-in-law. He looked at me with strange eyes but I did not give up. I was looking into sister’s eyes and she was in my eyes.
I slowly moved my lips to her sister-in-law’s lips and then I kissed her lips. He hiccuped a little, but now a storm started coming in me. I started sucking her lips vigorously and within two minutes the sister-in-law started supporting me for Kamuk stories.
I was in a hurry to fuck. I nailed her sister-in-law with fire. Threw her gown and broke it. I spread her legs and started licking her pussy the Kamuk stories.
She started taking hers. After licking her sister’s pussy for a long time, I also removed my clothes and Kamuk stories.
While sucking her lips, I put my cock on her sister-in-law’s pussy and licked the cock in her pussy. Sister-in-law took my cock in her pussy. Without delay, I began to fuck her pussy. Erotic Siskaris started coming out of her mouth ‘Ummh… Ahhh… Hahh… Ohhh… ’In between, I was also pressing Bhabhi’s nipples and was ever drinking her nipples in Kamuk stories.
Rani bhabhi was a very hot item. Her pussy was also very hot. I was feeling the heat of her pussy separately on my cock. I fuck her in law’s pussy for about ten minutes and then I fell in her pussy.
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Now there was no distance between us. That night the sister-in-law stopped me at her house and I fuck her sister-in-law three times in the night and I made her happy by fucking her pussy in different positions. Then at 4 o’clock in the morning I went to my room because sister-in-law had said that no one should know that I was staying at her house at night enjoy Kamuk stories.
In this way our honeymoon continued for the next three days. I have a lot of pussy in law. Then on the fourth day his mother-in-law and father-in-law came back for Kamuk stories.
Then we could not get much opportunity to fuck. A couple of times I killed her sister-in-law in the car itself. She too started being happy with my cock. Then I finished my work from there and I went back to my village. After that I tried to call him but his number had stopped.
Then I did not even try to contact him. But whenever I fuck her pussy, she gave me a lot of fun.
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