ससुर बहू की चुदाई की Sex Story – New Antarvasna
New Antarvasna: ससुर बहू की चुदाई की इस गंदी कहानी में पढ़ें कि कैसे ट्रेन के सफर में भीड़ के कारण मुझे अपनी बहू से सट कर खड़ा होना पड़ा तो मेरी कामवासना जाग उठी और …
दोस्तो, मैं MastHindiStory की कहानियां पढ़ने का काफी समय से शौकीन हूं. मैंने MastHindiStory की बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. मुझे इसकी सेक्सी कहानियां पढ़ कर बहुत मजा आता है. फिर मैंने अपने एक दोस्त को भी इसकी कहानियों के बारे में बताया. उसे भी गंदी कहानी पढ़ कर मजा आया.
एक दिन ऐसे ही जब हम दोनों दोस्त साथ में बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे तो उसने मुझसे अपने दिल की एक बात बताई. सेक्सी कहानियों पर बात चल रही थी. उसने एक बार ससुर बहू की चुदाई की गंदी कहानी पढ़ी थी. उस दिन नशे में उसने मुझसे अपने साथ घटित एक घटना का जिक्र किया.
मैं उसी की गंदी कहानी को अपने शब्दों में आप तक पहुंचा रहा हूं. इसलिए आप कहानी को पढ़ते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह गंदी कहानी मेरी नहीं है बल्कि मेरे दोस्त की है और उसी की जुबानी मैं इस घटना को बयां कर रहा हूं. अब मैं अपने दोस्त की जगह ले लेता हूं और बिना किसी देरी के कहानी को शुरू कर रहा हूं.
मेरे परिवार में मेरे दो बेटे हैं. बड़े वाले की शादी को आठ साल हो चुके हैं. बीच वाली एक लड़की है जिसकी शादी पांच साल पहले हो गई थी. सबसे छोटे वाला लड़का है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं लेकिन अब तक उसे सन्तान का सुख प्राप्त नहीं हो पाया है.
हमारा परिवार एक संयुक्त परिवार है और सब एक ही घर में रहते हैं. घर काफी बड़ा है और सबके लिए अलग-अलग कमरे हैं इसलिए बड़ा परिवार होते हुए भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है. चूंकि मैं परिवार का मुखिया हूं इसलिए जब भी परिवार में कोई शादी-ब्याह का कार्यक्रम होता था या फिर किसी अनहोनी के कारण किसी की मृत्यु के पश्चात क्रियाकर्म पर जाने की बात होती थी तो मैं ही सब जगह पर जाता था.
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मैं सरकारी नौकरी से रिटायर्ड हूं. इसलिए आस-पड़ोस और गली मौहल्ले में मैंने काफी प्रतिष्ठा बना रखी थी. हमारे परिवार का सब लोग काफी आदर करते थे. अगर किसी को मेरी मदद की जरूरत होती थी तो मैं कभी मना भी नहीं करता था. इसलिए सब लोगों के साथ अच्छा मेल-जोल था.
यह घटना तब की है जब एक बार मेरी छोटी बहू को मायके से लाने के लिए जाना था. चूंकि मेरे दोनों बेटे नौकरी करते थे इसलिए उनको छुट्टी नहीं थी. मैं घर पर फ्री ही रहता था इसलिए बहू को लाने का काम मुझे सौंप दिया गया. मेरे परिवार के बारे में जान कर आपको मेरी उम्र का अंदाजा भी हो ही गया होगा.
उस दिन जब मैं बहू के मायके के शहर में पहुंचा तो उसके घर वाले स्टेशन पर उसको छोड़ने के लिए आये हुए थे क्योंकि वापिसी की ट्रेन आधे घण्टे बाद की ही थी. सब कुछ पहले से तय था इसलिए ज्यादा बात-चीत करने का मौका नहीं मिला. बस दुआ-सलाम होने के बाद ट्रेन भी आ गई थी.
वैसे तो उस स्टेशन पर भीड़ कम ही रहती थी लेकिन उस दिन पता नहीं संयोगवश कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. ट्रेन आकर रुक गई और हम सामान लेकर जल्दी से चढ़ने लगे क्योंकि ट्रेन को वहां पर केवल दो मिनट के लिए ही रुकना था. यही उस स्टेशन का निर्धारित समय था.
जब मैं बहू के पीछे-पीछे चढ़ा तो मेरे पीछे बीस-पच्चीस सवारियां और चढ़ गईं. भगदड़ सी मची हुई थी जो हम दोनों को आगे की तरफ धकेल कर ले जाने का आमादा थी. उस भीड़ के धक्के से बचने के लिए हमने सामने वाले गेट की तरफ सरक लेना ही ठीक समझा.
हमारे कस्बे के स्टेशन पर प्लेटफॉर्म भी उसी तरफ आना था इसलिए हम सीधे ही सामने वाले दरवाजे के पास जाकर खड़े हो गये. बहू ने घर की मर्यादा को कायम रखते हुए मुझसे घूंघट किया हुआ था. छोटी बहू को मैं ऊषा कह कर ही पुकारता था. वो मेरी बेटी के समान ही थी.
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पीछे से चढ़ती हुई भीड़ के कारण हम दोनों ससुर बहू को संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा था. ट्रेन का वो कोच एकदम से पैक हो गया. फिर जब ट्रेन चली तो धीरे-धीरे सब लोग अपने आप ही एडजस्ट हो गये. मैं बहू के पीछे ही खड़ा हुआ था लेकिन जब मेरा ध्यान भीड़ से हट कर मेरे शरीर पर गया तो मैंने पाया कि मेरा लंड बहू की गांड पर नीचे सट गया था.
लंड की तरफ ध्यान जाते ही बहू की गांड का अहसास पाते ही मेरे लंड में तनाव आना शुरू हो गया. मैं थोड़ा शर्मिंदा भी हो रहा था क्योंकि मैंने अपनी बहू को कभी वासना की नजर से नहीं देखा था. मगर उस वक्त के हालात ही ऐसे हो गये थे कि न चाहते हुए भी मन में वासना हिलोरे मारने लगी थी.
मेरा लंड एकदम से तन कर बहू की गांड की दरार से चिपक ही गया. उत्तेजना के मारे मैंने भी बहू की गांड पर हल्का सा दबाव बना ही दिया. सोचा कि बहू को कुछ पता नहीं चलेगा क्योंकि उसके सामने भी दो जवान लड़के खड़े हुए थे. मेरी बहू की चूचियां उन लड़कों की छाती से सटी हुई थी.
कुछ देर के बाद बहू को जब उन मुस्टंडों से परेशानी होने लगी तो उसने पीछे मुंह करके मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- बापू जी, ये जो सामने खड़े हुए हैं, मुझे इनके पास खड़ा होना ठीक नहीं लग रहा है. आप जरा पीछे हो जाओ ताकि मैं आपकी तरफ मुंह करके खड़ी हो सकूं.
मैं बहू के मन की दशा समझ गया. मैंने अपने खड़े लंड को बहू की गांड से हटाया और पीछे धकेलते हुए उसको घूमने की जगह दे दी. बहू मेरी तरफ मुंह को करके घूम कर खड़ी हो गई. अब उसका घूंघट भी उतर गया था. वो अपने घूंघट को ठीक करने लगी तो मैंने कह दिया कि ऊषा ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. अभी हालात ही ऐसे हैं कि इन सब रिवाजों का भार अपने कंधे से कुछ समय के लिए उतार दो.
बहू ने मेरी आंखों में देखा और हल्की सी मुस्कान के साथ मेरे बदन से लग कर खड़ी हो गई. उसकी और मेरी लम्बाई में तीन-चार इंच का ही अंतर था इसलिए दोनों की सांसों का आदान-प्रदान एक दूसरे की नासिका के द्वारा होने लगा था.
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बहू के वक्षों के कटाव को देख कर मेरा लंड फिर से तनतना गया और मैंने बहाने से बहू की कमर पर हाथ रख दिया क्योंकि उत्तेजना जंगल की आग की तरह आगे बढ़ रही थी जिसको रोक पाना मेरे वश में नहीं था. मेरा लंड बार-बार बहू की चूत के आस-पास वाले एरिया पर छू रहा था. पता नहीं था कि वो मेरे बारे में क्या सोच रही होगी, बस मैं अपनी हवस को किसी तरह काबू करने की जुगत में लगा था.
फिर जब अगला स्टेशन आया तो अंदर से निकल रहे यात्री दरवाजे में आकर फंस गये जिससे कि मेरा बदन ऊषा के जिस्म से बिल्कुल चिपक ही गया. उसके चूचों को मेरी छाती एकदम भींचने लगी. इधर लंड का अकड़ कर बुरा हाल हो चला था.
मैंने उत्तेजना वश बहू की गांड पर हाथ रख दिया तो उसने मेरे चेहरे पर देखा. शायद उसको मेरे मन के भावों का पता लग गया था. उसने फिर से नजर झुका ली. लेकिन अबकी बार वह नीचे मेरे लंड की तरफ झांकने की कोशिश कर रही थी. शायद उसको भी मेरे लंड की छुअन अपने जिस्म पर महसूस हो रही थी.
फिर मुझसे रहा न गया तो मैंने धीरे उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया. वो भी समझदार निकली. उसने धीरे से अपना हाथ नीचे कर लिया. मेरी पैंट की जेब के पास लाकर जैसे कुछ ढूंढने लगी. एक दो बार हाथ मारते हुए उसका हाथ मेरे लंड पर जा लगा. उसने मेरे तने हुए लंड पर हाथ रख लिया.
अब ससुर और बहू का सुर एक हो चला था. मेरे हाथ उसकी गांड को सहलाने लगे और उसका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा.
अब मैंने अपनी छवि को कलंकित होने से बचाने के लिए एक भावनात्मक चाल चली.
मैंने ऊषा के कान में कहा- बहू, माफ कर देना, हालात ही ऐसे हैं कि ये सब हो रहा है. तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा है?
वो बोली- नहीं पिता जी, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है.
उसका जवाब सुन कर मेरे मन को तसल्ली हो गई कि अब बात हम दोनों के बीच में ही रहने वाली थी.
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फिर उसने मेरी पैंट की चेन को खोल कर हाथ अंदर डाल लिया. उसके नर्म कोमल हाथ मेरे लंड को पकड़ने और दबाने लगे. उसकी छाती के ऊपर नीचे होते उभार मेरी छाती पर रगड़ रहे थे. मेरे हाथ उसकी गांड को भींचने लगे. मैं पास खड़े लोगों पर नजर भी बनाये हुए था कि कहीं कोई हमें यह रासलीला करते हुए देख न रहा हो.
काफी देर से मेरी बहू ऊषा मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी इसलिए मेरी उत्तेजना पूरे उफान पर थी. पैंट गीली होने का खतरा होने लगा था. इसलिए मैंने ऊषा के कान में कहा- बस बहू. इससे आगे मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा. वो भी समझ गयी कि उम्रदराज लंड की लाज खतरे में है.
उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और फिर मेरे कान में धीरे फुसफुसाते हुए बोली- घर पहुंच कर रात को आपका इंतजार करूंगी. जब मेरे पति और सासूजी सो चुके होंगे तो मिस कॉल का इशारा दे दूंगी. आप भी मौका देख कर आ जाना.
मैंने कहा- ये जगह बात करने के लिए सही नहीं है. अभी सफर का मजा लो.
वो चुपचाप खड़ी हो गई. कुछ देर के बाद मैंने फिर से उसकी गांड पर हाथ रख दिये और वो दोबारा से मेरे लंड का नाप-तोल लेने लगी. इस तरह मस्ती करते हुए कब स्टेशन आ गया हमें पता भी नहीं चला.
स्टेशन से नीचे उतर कर टैक्सी की. मैंने बहू को व्हाट्स एप पर मैसेज करना शुरू किया क्योंकि आमने-सामने टैक्सी वाले के साथ होते हुए इस तरह की बात करना ठीक नहीं था.
अब ससुर बहू की चुदाई की सेटिंग करनी थी तो मैंने चैट में लिखा- तुम सोते समय सबके लिए दूध लेकर आना. मैं तुम्हें गोली दे दूंगा. सबके दूध में गोली डाल देना. दूध को अच्छी तरह हिला कर ले आना. लेकिन हमारे गिलास को अलग रखना. जब सब दूध पी लेंगे तो आधे घंटे के अंदर ही कुंभकर्ण की नींद सो जायेंगे.
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बहू मेरी बात समझ गयी. घर पहुंच कर रात को उसने ऐसा ही किया. सबको दूध पिला कर आ गयी. फिर सबको हिला कर देखा उसने. कोई भी नहीं हिल रहा था. सब के सब गहरी नींद में सो चुके थे.
उसने गेस्ट रूम को पहले से ही तैयार कर लिया था. एक सिंदूर की डिब्बी भी रख दी थी. वो मेरे लंड के साथ अपनी चूत की सुहागरात मनाना चाहती थी. ट्रेन में भी उसने कहा था कि ससुर जी काश आप मेरी सुहागरात में मेरे साथ होते. आज उसका यह सपना पूरा करने जा रही थी वो.
सारी तैयारी होने के बाद मुझसे आकर बोली- पापा, सब तैयार है. आप भी आ जाओ.
मैंने कहा- हां बेटी, मैं बस नहा कर आता हूं.
मैं नहा कर नंगा ही गेस्ट रूम में चला गया. वहां जाकर देखा कि उसने वाइन तैयार कर रखी थी.
मैंने उससे कहा- ये सब बाद में कर लेना, पहले एक राउंड चुदाई का कर लेते हैं.
वो बोली- पिताजी, आपसे ज्यादा उतावली तो मैं हो रही हूं. इसे पीकर आपको मस्ती चढ़ जायेगी. फिर आप मुझे भी वैसे ही रुलाना जैसे सासूजी को रुलाते हो.
मैंने हैरानी से पूछा- तुमने कब देखा बहू?
बोली- जब आप ड्रिंक लेते हैं और सासूजी को रुलाते हैं तो मैं दरवाजे के छेद से देख लेती हूं. पिछले तीन साल से आपका ये आठ इंची हथियार अपनी चूत में लेना चाह रही थी. आज जाकर मेरी प्रार्थना पूरी हुई है.
मैं ऊषा के चेहरे की तरफ हैरानी से देख रहा था. मुझे नहीं पता था कि वो मेरा लंड लेने के लिए इतनी बेचैन है और इतने लंबे समय से इसके लिए तड़प रही है.
मैंने कहा- तो तुमने कभी मुझसे कहा क्यों नहीं?
वो बोली- कैसे कहती पिताजी, बहू जो हूं. लेकिन मैंने कई बार आपको सिग्नल देने की कोशिश की लेकिन आप मेरे इशारों को समझ ही नहीं पाये. झाड़ू लगाते हुए अपनी गांड को आपके सामने उठा कर रखती थी. पोछा लगाते हुए अपने कबूतर भी आपको दिखाये. लेकिन आपने कभी ध्यान नहीं दिया.
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मैंने कहा- ठीक है, अब एक राउंड कर लो बहू … उसके बाद जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे.
वो बोली- लेकिन पिताजी, ये ससुर बहू की चुदाई का वीडियो जो आप बनाने जा रहे हो इसको संभाल कर रख लेना. अगर किसी के हाथ लग गया तो घर में भूचाल आ जायेगा. उसने मेरे हाथ में मोबाइल फोन की तरफ देख कर कहा.
मैं बोला- तुम चिंता न करो. ये सुरक्षित रहेगा.
वो बोली- पिताजी, पहले घूंघट और सिंदूर की रस्म तो कर लो.
मैंने जल्दी से उसके चेहरे से घूंघट हटाया और उसकी मांग में सिंदूर भर दिया. फिर उसका लहंगा उठा दिया.
एकदम से उठते हुए वो दारू और गिलास लेकर आ गयी और कहने लगी- पिताजी, एक बार दो पैग लगा लो.
मैंने कहा- मैं अकेले नहीं पी सकता. मुझे किसी का साथ चाहिए.
वो दौड़कर किचन से एक गिलास और ले आई.
मैंने पैग बना दिया. वो सूंघने लगी तो मैंने कहा- बहू, इसे एक ही घूंट में खत्म करना होता है.
उसने पैग मुंह से लगाया और पेट तक पहुंचा कर मुंह बिगाड़ कर बोली- पिताजी, कैसे पी लेते हो इतनी कड़वी चीज?
मैंने कहा- ये सब बातें बाद में करेंगे, आज मैं तुम्हें बीस-पच्चीस आसनों में चोदूंगा. घर में घूम घूम कर चुदाई करेंगे. चार घंटे में तुम्हारी चूत का चबूतरा न बना दूं तो कहना. गोली का असर चार घंटे ही रहेगा.
फिर वो मेरे सामने नंगी हो गई. मेरा लौड़ा तो पहले से ही तना हुआ था. मैंने बहू को बेड पर पटका और उसके चूचों को दबाते हुए उसके होंठों के रस को पीने लगा. वो नीचे से अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ धकेलने लगी. बेचारी लंड लेने के लिए बहुत तड़प रही थी.
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उसकी तड़प देख कर मैंने बिना देरी किये अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया. वो मुझसे लिपट गई और मेरे बदन को बांहों में भरते हुए यहां-वहां चूमने लगी. उसकी टांगों को मोड़ कर मैंने उसकी चूत की पोजीशन बनाई और उसकी टांगों के बीच में आकर बहू की चूत की चुदाई शुरू कर दी.
दो मिनट में ही ऊषा की आंखें बंद होने लगीं. उसका बदन अकड़ने लगा. फिर दो मिनट के बाद वो झटके देते हुए झड़ गई. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
इस तरह ससुर बहू की चुदाई का पहला दौर समाप्त हुआ.
फिर हम उठ कर बाथरूम में चले गये. अंदर जाकर एक दूसरे के जिस्मों को चूमने लगे.
पांच मिनट में मेरा लौड़ा फिर से तन गया. मैंने उसको नीचे फर्श बैठा लिया और अपना लंड चुसवाने लगा. उसके होंठों में लंड मुश्किल से समा रहा था.
किसी तरह उसने तीन-चार मिनट का समय काटा. फिर मैंने उसे दीवार से लगा दिया और शावर चालू कर दिया.
मेरी बहू के नंगे बदन से बहता पानी चूत से होकर नीचे गिरने लगा. मैंने अपनी बहू की चूत में जीभ दे दी और मेरी बहू मेरे सिर को अपनी गर्म चूत में दबाने लगी.
उसने टांग मेरे कंधे पर रख ली और अब पूरी जीभ उसकी चूत में अंदर तक घुसने लगी. मुझे तो चूत चाटने की पुरानी लत थी. पांच-सात मिनट तक चाटने के बाद उसको ऐसी गर्म किया कि उसने मेरे मुंह में अपना फेंक दिया.
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फिर मैं उसके बदन को पोंछ कर हॉल में ले आया. सोफे पर लेटा कर उसकी एक टांग ऊपर रख दी. खुद उसके बीच में आ गया. मोटा लंड उसकी चूत में पेला और गपा-गप चुदाई चालू कर दी. उसके चूचे इधर-उधर डोलने लगे. मैंने उसके झूलते चूचों को कस कर पकड़ा और उसके ऊपर लेट कर उनको काटते हुए उसकी चूत को फाड़ने लगा.
दस मिनट तक ऐसे ही उसकी चूत को खोला. फिर उसको उठा कर सीढ़ियों पर ले गया. खुद नीचे बैठ गया और उसे अपनी जांघों के बीचे में बैठा लिया. वो भी खुशी-खुशी मेरा लंड अपनी चूत में लेकर उस पर उछलने लगी. अबकी बार पांच मिनट के बाद दोनों साथ में झड़े.
फिर कुछ देर तक आराम किया. फिर घर में बाकी जो भी जगह दिखी मैंने उसकी चूत को खूब बजाया. किचन में, बैठक में, स्टोर रूम में जहां भी मन किया उसकी चूत का कुआं खोद डाला. वो बेचारी थक कर चूर हो गई. जब ससुर बहु की चुदाई खत्म हुई तो उससे चला नहीं जा रहा था. मैं खुद ही उसको अपने छोटे बेटे के कमरे में छोड़ कर आया.
वापस आकर मैंने दो पैग फिर लगाये और अपने कपड़े पहन कर सो गया. कई दिनों तक तो मैंने बहू की चुदाई के वीडियो को देख कर लंड हिलाया. फिर जब उसकी चूत में फिर आग लगी तो उसने खुद ही बाकी घर वालों को नींद की गोली खिला कर फिर से चूत चुदवाने का प्रोग्राम बना लिया.
इस तरह अब उसकी चूत की प्यास बुझने लगी और मुझे भी एक टाइट चूत का मजा मिलने लगा. चार महीने के बाद वो प्रेग्नेंट हो गई और अब डिलीवरी के लिए अस्पताल गई हुई है. मैं उसके वापस आने का इंतजार कर रहा हूं.
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Sasur bahu ki chudai ki story – New Antarvasna
New Antarvasna: Read in this dirty story of father-in-law’s daughter-in-law, how I had to stand close to my daughter-in-law due to the crowd in the train journey, then my sex woke up and…
Friends, I have been fond of reading MastHindiStory stories for a long time. I have read a lot of MastHindiStory stories. I enjoy reading its sexy stories. Then I also told one of my friends about its stories. He also enjoyed reading a dirty story for New Antarvasna.
One day when both our friends were sitting together having a drink, he told me one thing of his heart. There was talk of sexy stories. He had once read the dirty story of father-in-law’s daughter-in-law Chudai. On that day, while drunk, he told me about an incident that happened to him like New Antarvasna.
I am conveying his dirty story to you in my own words. Therefore, while reading the story, keep in mind that this dirty story is not mine but my friend’s and I am narrating the incident. Now I take the place of my friend and start the story without any delay for v
I have two sons in my family. The elder has been married for eight years. The middle one is a girl who got married five years ago. The youngest is a boy who has been married for three years, but till now he has not got the happiness of children than New Antarvasna.
Our family is a joint family and all live in the same house. The house is quite big and there are separate rooms for everyone, so despite being a big family, there is no problem of any kind for New Antarvasna. Since I am the head of the family, whenever there was a marriage program in the family or there was talk of going to a function after someone’s death due to something untoward, I used to go everywhere.
new antarvasna I am retired from a government job. That is why I had built up a lot of prestige in the neighborhood and street neighborhood. Everybody of our family respected him a lot. If anyone needed my help, I would never refuse. So there was a good interaction with everyone in New Antarvasna.
This incident happened once when my younger daughter-in-law had to go to the maternal home. Since both my sons worked, they did not have leave the New Antarvasna. I used to stay free at home, so the task of bringing the daughter-in-law was handed to me. Knowing about my family, you must have guessed my age too New Antarvasna.
That day, when I reached the daughter-in-law’s town, her housemates had come to the station to leave her as the return train was half an hour later. Everything was pre-decided so there was no opportunity to talk much. The train also arrived after the bus was prayed the v
Although there was less crowd at that station, but it was not known that day, incidentally there was too much crowd then i enjoy New Antarvasna. The train came and stopped and we started hurrying with luggage as the train had to stop there for only two minutes. This was the scheduled time of that station.
When I followed the daughter-in-law, twenty-twenty-five riders followed me. There was a stampede, which was intended to push both of us forward. To avoid that mob attack, we thought it was right to move towards the front gate then New Antarvasna.
The platform at our town station was also to come on the same side, so we went straight to the front door. The daughter-in-law veiled me while maintaining the dignity of the house but i got New Antarvasna. I used to call the younger daughter-in-law as Usha. She was the same as my daughter.
new antarvasna Due to the crowd climbing from behind, we both father-in-law daughter-in-law were finding it difficult to balance. That coach of the train was completely packed. Then when the train ran, gradually everyone adjusted itself. I stood behind the daughter-in-law, but when my attention shifted from the crowd to my body, I found that my cock was lying down on the daughter-in-law’s ass in New Antarvasna.
New Antarvasna As soon as the attention was paid to the cocks, my cocks started feeling tense as soon as I realized the daughter’s ass. I was also feeling a little embarrassed because I had never seen my daughter-in-law with lust. But at that time the circumstances had become such that even after not wanting, lust started hitting the mind in New Antarvasna.
New Antarvasna My cock got tanned and got stuck with daughter-in-law’s crack. Due to excitement, I also put a slight pressure on the daughter-in-law’s ass. Thought that the daughter-in-law would not know anything because two young boys stood in front of her. My sister-in-law’s cunt was adjacent to those boys’ chests in New Antarvasna.
After some time, when the daughter-in-law started having problems with those mustards, she turned her back and whispered in my ear- Bapu ji, those who have been standing in front, I do not feel right to stand near them. Just follow me so that I can stand facing you on New Antarvasna.
I understood the condition of the daughter-in-law’s mind in New Antarvasna. I removed my standing cocks from the daughter-in-law’s ass and pushed her back and gave her a place to roam. The daughter-in-law turned around and stood at me. Now his veil was also removed. When she started fixing her veil, I said that Usha need not be worried. Right now the circumstances are such that take the burden of all these customs off your shoulder for some time in New Antarvasna.
New Antarvasna The daughter-in-law looked into my eyes and stood up from my body with a slight smile. There was a difference of three to four inches between him and my length, so both the breaths were exchanged through each other’s nostrils.
new antarvasna Seeing the erosion of the daughter-in-law’s breasts, my cocks were again stretched and I laid my hands on the daughter-in-law’s waist with excuses, because the excitement was moving like a forest fire, which was not under my control. My cock was repeatedly touching the area around the daughter-in-law’s pussy. I did not know what she would be thinking about me, I was just trying to control my lust in some way.
Then when the next station came, the passengers leaving from inside got trapped in the door so that my body was completely stuck with Usha’s body. My chest started sucking her breasts. Here, the condition of cocks was bad on the New Antarvasna.
When I put my hand on the ass of the daughter-in-law under excitement, she looked at my face. Perhaps he had come to know my feelings. He caught sight again. But this time she was trying to peek down towards my cock. Perhaps he too was feeling the touch of my cock on his body.
If I could not keep up with it then I slowly started pressing her ass. She also turned out to be sensible. He slowly lowered his hand. I started looking for something like bringing it near my pants pocket. Hitting his hand a couple of times, his hand hit my cock. He placed his hand on my trunk cock.
Now father-in-law and daughter-in-law had become one. My hands started caressing her ass and her hand started caressing my cock in New Antarvasna.
Now I did an emotional trick to keep my image from being tarnished.
I said in Usha’s ear- daughter-in-law, forgive, the situation is such that all this is happening. Do you not mind?
She said- No father, whatever happens is for good in New Antarvasna.
After listening to his answer, my mind was satisfied that now the matter was going to be between us.
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Then he opened my pants chain and put his hand inside. His soft and tender hands started catching and pressing my cock. The bulge below his chest was rubbing on my chest. My hands started touching her ass. I was also keeping an eye on the people standing nearby, that no one was watching us doing this well.
For a long time my daughter-in-law Usha was holding my cock and stroking it, so my excitement was in full swing. There was a danger of wetting of pants. That’s why I said in Usha’s ear – just daughter-in-law. I will not be able to bear beyond this. She also understood that the shame of aging cocks is in danger and enjoy New Antarvasna.
He took out his hand and then whispered softly in my ear, bidding- I will reach home and wait for you at night. When my husband and Sasuji are asleep, I will give a hint of a missed call. You also come to see the opportunity in New Antarvasna.
I said – this place is not right for talking. Enjoy the journey now
She stood quietly. After some time I again put my hand on her ass and she started weighing my penis again. We did not even know when the station arrived while having fun like this but I understand New Antarvasna.
Got down from the station and got a taxi. I started messaging the daughter-in-law on the WhatsApp because it was not right to talk like this with face to face taxi the New Antarvasna.
Now the father-in-law’s daughter-in-law had to set up sex, I wrote in the chat – bring milk for everyone while you sleep. I will give you a shot Put a pill in everyone’s milk. Shake the milk well. But keep our glass separate. When everyone will drink milk, then within half an hour, Kumbhakarna will fall asleep.
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Daughter-in-law understood me On reaching home he did the same at night. She has given milk to everyone. Then he shook everyone. Nobody was moving. All of them had fallen asleep deeply for New Antarvasna.
He had already prepared the guest room. A vermilion box was also kept. She wanted to celebrate the pleasure of her pussy with my cock. On the train too, he said that father-in-law, wish you were with me in my honeymoon. Today she was going to fulfill her dream like New Antarvasna.
After all the preparations came and said to me – Dad, everything is ready. you can also come.
I said – yes daughter, I just take a shower for New Antarvasna.
I took a shower and went naked to the guest room. Going there, saw that he had prepared the wine.
I told him to do all this later, first let’s do a round of fucking in New Antarvasna.
She said- Father, I am getting more anxious than you. You will enjoy yourself after drinking it. Then you make me cry the same way Sasuji makes you cry.
I asked surprised – when did you see daughter-in-law?
Bid- When you take a drink and make Sasuji cry, I see through the hole in the door. For the last three years, you wanted to take this eight inch weapon in your pussy. Today, my prayer has been fulfilled the New Antarvasna.
I was looking at Usha’s face with surprise. I did not know that she is so desperate to take my cock and has been yearning for it for so long.
I said – so why didn’t you ever tell me?
She said – how would you say father, daughter-in-law. But I tried to give you signal many times but you could not understand my gestures in New Antarvasna. She used to keep her ass in front of you while sweeping. Show your pigeons while you mop. But you never paid attention.
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I said – Okay, now do a round daughter-in-law… After that you will do as you say.
She said- But father, keep this in-law video of the father-in-law’s fuck, which you are going to make. If someone gets caught, then there will be earthquake in the house. He said looking at the mobile phone in my hand on New Antarvasna.
I said don’t worry. It will be safe.
She said- Father, first do the veil and sindoor ritual like New Antarvasna.
I quickly removed the veil from her face and filled the vermilion in her demand. Then he lifted his kilt.
Waking up immediately, she brought with the wine and glass and started saying- Father, apply two pegs once on New Antarvasna.
I said – I can not drink alone. I need someone to support me.
She ran and brought another glass from the kitchen then New Antarvasna.
I made a peg. When she started sniffing, I said – daughter-in-law, it has to be finished in a single sip.
He applied the peg to the mouth and reached the stomach and said spoiling it – Dad, how do you drink such a bitter thing?
I said – I will do all these things later, today I will fuck you in twenty-five rugs. Fucking while walking around the house. If I do not make a platform for your pussy in four hours, then say it. The effect of the bullet will remain for four hours for New Antarvasna.
Then she was naked in front of me. My Aloda was already taut. I banged the daughter-in-law on the bed and started pressing the juices of her lips while pressing her boobs. She started pushing her pussy from below towards my cock. The poor girl was suffering a lot to get cocks.
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Seeing her yearning, I inserted my Aloda in her pussy without delay. She hugged me and started kissing me, filling my body with arms. By turning her legs, I made her pussy position and came in between her legs and started fucking her daughter-in-law’s pussy.
Within two minutes, Usha’s eyes started closing. His body began to stiffen. Then after two minutes, she collapsed giving shock. His pussy left water on New Antarvasna.
In this way the first round of father-in-law’s fuck ended.
Then we got up and went to the bathroom. He went inside and kissed each other’s body then New Antarvasna.
In five minutes my Aloda got tanned again. I sat him down on the floor and started licking his cock. Lund was barely penetrating his lips.
Somehow he spent three to four minutes. Then I put it on the wall and started the shower.
The water flowing from my daughter-in-law’s bare body started falling down through her pussy. I gave my daughter-in-law’s tongue and my daughter-in-law started pressing my head in her hot pussy.
He put the leg on my shoulder and now the whole tongue started penetrating into his pussy. I had a chronic addiction to licking pussy. After licking him for five-seven minutes, he made him so hot that he threw himself in my mouth.
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Then I wiped his body and brought it to the hall. Laying on the couch, put one of his legs up. He got himself in the middle. Thick cocks made her fuck her pussy and started gossiping. His feet started moving around here and there. I caught her swinging legs tightly and lying on her, cutting them started tearing her pussy.
Opened her pussy just like this for ten minutes. Then took him up the stairs. He sat down and seated it in the middle of his thighs. She also happily took my cock in her pussy and started jumping on it. After five minutes this time both of them clashed together.
Then rested for some time. Then whatever place I saw in the house, I played her pussy a lot. In the kitchen, in the meeting, in the store room, wherever he wished, he dug his well. The poor thing got tired and crushed. When the father-in-law Bahu’s fuck was over, he was not going to leave. I myself left him in my younger son’s room.
After coming back, I applied two pegs again and went to sleep wearing my clothes. For several days, I moved the cocks after watching the video of the daughter-in-law’s fuck. Then when his pussy caught fire again, he himself made a program to fuck the rest of the family by feeding them sleeping pills again.
In this way, the thirst of her pussy started quenching and I also started enjoying a tight pussy. After four months she became pregnant and now she has gone to the hospital for delivery. I am waiting for him to come back.
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