माँ की चुदाई बेटे और 1 नोकर से Best Sex Momchudaikahani
Momchudaikahani: यह कहानी 1964 की गर्मियों की है. हमारे परिवार के सभी सदस्य एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे, हम तीन भाई-बहन और मां-बाबूजी. मैंने 12वीं की बोर्ड की परीक्षा दी थी और परिणाम का इंतज़ार कर रहा था.
यह कहानी 1964 की गर्मियों की है. हमारे परिवार के सभी सदस्य एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे, हम तीन भाई-बहन और मां-बाबूजी. मैंने 12वीं की बोर्ड की परीक्षा दी थी और परिणाम का इंतज़ार कर रहा था.
मैं तीनो भाई बहन में सबसे बडा हूं. उस समय मैं 18वें साल में था और अन्य लडकों की तरह मुझे भी चूची और चूत की तलाश थी. लेकिन उस समय तक एक भी औरत या लडकी का मजा नहीं लिया था. बस माल को देखकर तरसता रहता था और लंड हिलाकर पानी निकाल कर संतुष्ट हो जाता था. दोस्तों के साथ हमेशा चूची और चूत की बातें होती थी. मुझसे छोटी बहन, माला है और उससे छोटा एक भाई.
मां का नाम मीना है और उस समय वो 34-35 साल की भरपूर जवान औरत थी. बाबूजी 40 साल के मजबूत कद-काठी के मर्द थे जो किसी भी औरत की जवानी की प्यास को बुझा सकते थे. बाबूजी की तरह मैं भी लम्बा और तगड़ा था लेकिन पता नहीं क्यों मुझे लड़कियों से बात करने में बहुत शरम आती थी, यहाँ तक कि मैं अपनी 16 साल की मस्त जवान बहन के साथ भी ठीक से बात नहीं करता था.
गांव में शादी में बहुत से लोग आये थे. चचेरी बहन की शादी थी, खूब धूमधाम से विवाह सम्पन्न हुआ. विवाह के बाद धीरे-धीरे सभी मेहमान चले गये. मेहमानों के जाने के बाद सिर्फ घरवाले ही रह गये थे. पांच भाईयों में से सिर्फ मेरे बाबूजी गांव के बाहर काम करते थे, बाकी चारों भाई गांव में ही खेती-बाड़ी देखते थे. गांव की आधी से ज्यादा जमीन हमारी थी.
बाबूजी की छुट्टी खत्म होने को थी, हम लोग भी एक दिन बाद जाने वाले थे. हम वहाँ 17-18 दिन रहे. बहुत लड़कियों को चोदने का मन किया, बहुत औरतों की चूची मसलना चाहा लेकिन मैं कोरा का कोरा ही रहा. मेरा लन्ड चूत के लिये तरसता ही रह गया.
लेकिन कहते हैं कि ‘देर है लेकिन अन्धेर नहीं है’
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उस दिन भी ऐसा ही हुआ. उस समय दिन के 11 बजे थे. औरतें घर के काम में व्यस्त थीं, कम उम्र के बच्चे इधर-उधर दौड़ रहे थे और आंगन में कुछ नौकर सफाई कर रहे थे. मेरे बाबूजी अपने भाईयों के साथ खेत पर गये थे. मैं चौकी पर बैठ कर आराम कर रहा था. तभी माँ मेरे पास आई और बगल में बैठ गई.
मेरी माँ मीना ने मेरा हाथ पकड़ कर एक लड़के की तरफ इशारा करके पूछा- वो कौन है?’
वो लड़का आंखें नीची करके अनाज को बोरे में डाल रहा था. उसने सिर्फ हाफ-पैंट पहन रखा था.
‘हाँ, मैं जानता हूँ, वो गोपाल है.. कंटीर का भाई!’ मैंने माँ को जवाब दिया.
कंटीर हमारा पुराना नौकर था और हमारे यहा पिछले 8-9 सालों से काम कर रहा था. माँ उसको जानती थी.
मैंने पूछा- क्यों, क्या काम है उस लड़के से?’
मां ने इधर उधर देखा और बगल के कमरे में चली गई. एक दो मिनट के बाद उसने मुझे इशारे से अन्दर बुलाया. मैं अन्दर गया और मीना ने झट से मेरा हाथ पकड़ कर कहा- बेटा, मेरा एक काम कर दे…’
‘कौन सा काम माँ!’
फिर उसने जो कहा वो सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया.
‘बेटा, मुझे गोपाल से चुदवाना है, उसे बोल कि मुझे चोदे…!’
मैं मीना को देखता रह गया. उसने कितनी आसानी से बेटे के उम्र के लड़के से चुदवाने की बात कह दी…
‘क्या कह रही हो…ऐसा कैसे हो सकता है…’ मैंने कहा.
‘मैं कुछ नहीं जानती, मैं तीन दिन से अपने को रोक रही हूँ, उसको देखते ही मेरी बुर गरम हो जाती है, मेरा मन करता है की नंगी होकर सबके सामने उसे अपने अन्दर ले लूँ!’ माँ ने मेरे सामने अपनी चूची को मसलते हुए कहा- कुछ भी करो, बेटा गोपाल का लन्ड मुझे अभी चूत के अन्दर चाहिए!’
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मीना की बातें सुनकर मेरा माथा चकराने लगा था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मां, बेटे के सामने इतनी आसानी से लण्ड और बुर की बात करेगी. मुझे यह जानकर अचम्भा हुआ कि मैं 18 साल का होकर भी किसी को अब तक चोद नहीं पाया हूँ तो वो गोपाल अपने से 20-22 साल बडी, तीन बच्चे की माँ को कैसे चोदेगा. मुझे लगा कि गोपाल का लन्ड अब तक चुदाई के लिये तैयार नहीं हुआ होगा.
‘मां, वो गोपाल तो अभी छोटा है.. वो तुम्हें नहीं चोद पायेगा…’ मैंने माँ की चूची पर हाथ फेरते हुए कहा- चल तुझे बहुत मन कर रहा है तो मैं तुम्हें चोद दूंगा ..!’
मैं चूची मसल रहा था, माँ ने मेरा हाथ अलग नहीं किया. यह पहला मौका था कि मेरे हाथ किसी चूची को दबा रहा था और वो भी एक मस्त गुदाज़ औरत की, जो लोगों की नजर में बहुत सुन्दर और मालदार थी.
‘बेटा, तू भी चोद लेना, लेकिन पहले गोपाल से मुझे चुदवा दे…अब देर मत कर…बदले में तू जो बोलेगा वो सब करुंगी… तू किसी और लड़की या औरत को चोदना चाहता है तो मैं उसका भी इंतज़ाम कर दूंगी, लेकिन तू अभी अपनी माँ को गोपाल से चुदवा दे.. मेरी बुर एकदम गीली हो गई है.’
मीना ने सामने से चुदाई की पेशकश की है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. मैंने जोर जोर से 3-4 बार दोनों मस्त मांसल चूचियों को दबाया और कहा- तू थोड़ा इन्तज़ार कर…मैं कुछ करता हूँ!’ यह कहकर मैंने माँ को अपनी बांहों में लेकर उसके गालों को चूसा और बाहर निकल कर आ गया. दिन का समय था, सब लोग जाग रहे थे, किसी सुनसान जगह का मिलना आसान नहीं था.
मैं वहाँ से निकल कर ‘कैटल-फार्म’ में आ गया जो आंगन से थोड़ी ही दूर पर सड़क के उस पार था. वहाँ उस समय जानवरों के अलावा और कोई नहीं था. वहाँ एक कमरा भी था नौकरों के रहने के लिये. उस कमरे में भी कोई नहीं था. मैंने सोचा क्यों ना आज माँ की चुदाई इसी कमरे में की जाये.
कमरे में एक चौकी थी और उस पर एक बिछौना भी था. मैं तुरंत आंगन वापस आया. मीना अभी भी बाहर ही बैठी थी और गोपाल को घूर रही थी. मैं उसके बगल में बैठ गया और कहा कि वो दस मिनट के बाद उस नौकर वाले कमरे में आ जाये. वहाँ से उठ कर मैं ग़ोपाल के पास आया और उसकी पीठ थप-थपा कर मेरे साथ आने को कहा. वो बिना कुछ बोले मेरे साथ आ गया. मैंने देखा कि मां के चेहरे पर मुस्कान आ गई है.
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गोपाल को लेकर मैं उस कमरे में आया और दरवाज़ा खुला रहने दिया. मैं आकर बिछौने पर लेट गया और गोपाल से कहा कि मेर पैर दर्द कर रहा है, दबा दे.. यह कहते हुये मैंने अपना पजामा बाहर निकाल दिया. नीचे मैंने जांघिया पहना था. ग़ोपाल पांव दबाने लगा और मैं उससे उसके घर की बातें करने लगा. वैसे तो गोपाल के घरवाले हमारे घर में सालों से काम करते हैं फिर भी मैं कभी उसके घर नहीं गया था.
गोपाल की दादी को भी मैंने अपने घर में काम करते देखा था और अभी उसकी माँ और भैया काम करते हैं. गोपल ने बताया कि उसकी एक बहन है और उसकी शादी की बात चल रही है. वो बोला कि उसकी भाभी बहुत अच्छी है और उसे बहुत प्यार करती है.
अचानक मैंने उससे पूछा कि उसने अपनी भाभी को चोदा है कि नही. ग़ोपाल शरमा गया और जब मैंने दोबारा पूछा तो जैसा मैंने सोचा था, उसने कहा कि उसने अब तक किसी को चोदा नहीं है.
मैंने फिर पूछा कि चोदने का मन करता है या नहीं?
तो उसने शरमाते हुये कहा कि जब वो कभी अपनी माँ को अपने बाप से चुदवाते देखता है तो उसका भी मन चोदने को करता है. ग़ोपाल ने कहा कि रात में वो अपनी माँ के साथ एक ही कमरे में सोता है . लेकिन पिछले एक साल से माँ की चुदाई देख कर उसका भी लन्ड टाईट हो जाता है.
‘फिर तुम अपनी माँ को क्यों नहीं चोदते हो…’ मैंने पूछा, लेकिन गोपाल के जबाब देने के पहले मीना कमरे में आ गई और उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया. ग़ोपाल उठकर जाने लगा तो मैंने उसे रोक लिया. गोपाल ने एक बार मीना के तरफ देखा और फिर मेरा पैर दबाने लगा.
‘क्या हुआ मां?’
‘अरे बेटा, मेरा पैर भी बहुत दर्द कर रहा है, थोड़ा दबा दे!’ मीना बोलते बोलते मेरे बगल में लेट गई. मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा, डर से या माँ को चोदने के खयाल से , मालूम नहीं. मैं उठ कर बैठ गया और माँ को बिछौने के बीचोंबीच लेटने को कहा.
मैं एक पैर दबाने लगा . ग़ोपाल चुपचाप खड़ा था.
‘अरे ग़ोपाल, तुम क्यों खड़े हो, दूसरा पांव तुम दबाओ!’ मैंने ग़ोपल से कहा लेकिन वो खड़ा ही रहा.
मेरे दो-तीन बार कहने के बाद गोपाल दूसरे पांव को दबाने लगा. मैंने माँ को आंख मारी और वो मुस्कुरा दी.
‘मां, कहाँ दर्द कर रहा है?’
‘अरे पूछ मत बेटा, पूरा पाव और छाती दर्द कर रहा है, खूब जोर से पैर और छाती को दबाओ.’
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मां ने खुल कर बुर और चूची दबाने का निमंत्रण दे दिया था. मैं पावं से लेकर कमर तक एक पर को मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि गोपाल सिर्फ घुटनों तक ही दबा रहा था. मैंने गोपाल का एक हाथ पकड़ा और माँ की जांघों के ऊपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से ऊपर तक दबाओ. वो हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी मीना लम्बी लम्बी टांगों को नीचे से ऊपर तक मसलने लगा.
2-3 मिनट तक इस तरह से मजा लेने के बाद मैंने कहा- मां साड़ी उतार दो…तो और अच्छा लगेगा…’
‘हाँ, बेटा, उतार दो…’
‘गोपाल, साड़ी खोल दो.’ मैंने गोपाल से कहा.
उसने हमारी ओर देखा लेकिन साड़ी खोलने के लिये हाथ आगे नहीं बढ़ाया.
‘गोपाल, शरमाते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी माँ को नंगी चुदवाते देखा है…यहाँ तो सिर्फ साड़ी उतारनी है, चल खोल दे.’ और मैंने गोपाल का हाथ पकड़ कर साड़ी की गांठ पर रखा. उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मैंने साड़ी माँ के बदन से अलग कर दी. काले रंग के ब्लाऊज़ और साया में गजब की माल लग रही थी.
‘मालकिन, आप बहुत सुन्दर हैं…’ अचानक गोपाल ने कहा और प्यार से जांघों को सहलाया.
‘तू भी बहुत प्यारा है..’ मीना ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनों से ऊपर खींच लिया. माँ के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये खाफी थे. हम दोनों पैर दबा रहे थे लेकिन हमारी नजर मीना की मस्त, गोल-गोल, मांसल चूचियों पर थी. लग रहा था जैसे कि चूचियाँ ब्लाऊज़ को फाड़ कर बाहर निकल जायेंगी. मेरा मन कर रहा था कि फटाफट माँ को नंगा कर बूर में लन्ड पेल दूं. मेरा लंड भी चोदने के लिये तैयार हो चुका था.
और इस बार घुटनों के ऊपर हाथ बढा कर मैंने हाथ साया के अन्दर घुसेड़ दिया और अन्दरुनी जांघों को सहलाते हुये जिन्दगी में पहली बार बुर को मसला. एक नहीं, दो नहीं, कई बार बुर मसला लेकिन माँ ने एक बार भी मना नहीं किया. माँ साया पहने थी और बुर दिखाई नहीं पर रही थी. साया ऊपर नाभि तक बंधा हुआ था. मैं बुर को देखना चाहता था. एक दो बार बुर को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया.
‘मां, साया बहुत कसा बंधा हुआ है, थोड़ा ढीला कर लो.. ‘
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मैंने देखा कि गोपाल अब आराम से मीना की जांघों को मसल रहा था. मैंने गोपल से कहा कि वो साया का नाड़ा खोल दे. तीन चार बार बोलने के बाद भी उसने नाड़ा नहीं खोला तो मैंने ही नाड़ा खींच दिया और साया ऊपर से ढीला हो गया. मैं पांव दबाना छोड़कर माँ की कमर के पास आकर बैठ गया और साया को नीचे की तरफ ठेला. पहले तो उसका चिकना पेट दिखाई दिया और फिर नाभि. कुछ पल तो मैंने नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला.
अब उसकी कमर और बुर के ऊपर का चिकना चिकना भाग दिखाई पड़ने लगा. अगर एक इंच और नीचे करता तो बुर दिखने लगती.
‘आह बेटा, छाती बहुत दर्द कर रहा है..’ मीना ने धीरे से कहा . साया को वैसा ही छोड़कर मैंने अपने दोनों हाथ माँ की मस्त और गुदाज चूचियों पर रखे और दबाया. गोपाल के दोनों हाथ अब सिर्फ जांघो के ऊपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड़ कर देख रहा था कि एक बेटा कैसे माँ की चूचियाँ मसल रहा है.
‘मां, ब्लाउज खोल दो तो और अच्छा लगेगा.’ मैंने दबाते हुए कहा.
‘खोल दे ‘ उसने जबाब दिया और मैंने झटपट ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया.
मां की गोल-गोल, उठी हुई और मांसल चूची देख कर माथा झनझना गया. मुझे याद नहीं था कि मैंने आखरी बार कब माँ की नंगी चूची देखी थी. मैं जम कर चूची दबाने लगा.
‘कितना टाईट है, लगता है जैसे किसी ने फ़ुटबाल में कस कर हवा भर दी है.’ मैंने घुन्डी को कस कर मसला और ग़ोपाल से कहा- क्यों गोपाल कैसा लग रहा है?’ मैं जोर जोर से चूची को दबाता रहा.
अचानक मैंने देखा कि गोपाल का एक हाथ माँ की दोनों जांघों के बीच साया के ऊपर घूम रहा है. एक हाथ से चूची दबाते हुए मैंने गोपाल का वो हाथ पकड़ा और उसे माँ की नाभि के ऊपर रख कर दबाया.
‘देख, चिकना है कि नहीं?’ मैं उसके हाथ को दोनों जांघों के बीच बुर की तरफ धकेलने लगा. दूसरे हाथ से मैं लगातार चूचियों का मजा ले रहा था. मुझे याद आया कि बचपन में इन चूचियों से ही दूध पीता था. मैं माँ के ऊपर झुका और घुन्डी को चूसने लगा.
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तभी माँ ने फुसफुसाकर कान में कहा- बेटा, तू थोड़ी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये..’
मैं दूध पीते पीते गोपाल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और गोपाल का हाथ माँ के बुर पर आ गया. मैंने गोपाल के हाथों को दबाया और गोपाल बुर को मसलने लगा .
कुछ देर तक हम दोनों ने एक साथ बुर को मसला और फिर मैं खड़ा हो गया. ग़ोपाल का हाथ अभी भी माँ की बुर पर था लेकिन साया के नीचे. बुर दिख नहीं रही थी.
मैंने अपना पजामा पहना और गोपाल से कहा- जब तक मैं वापस नहीं आता, तू इसी तरह मालकिन को दबाते रहना. दोनों चूचियों को भी खूब दबाना.’
मैं दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दिया. आस पास कोई भी नहीं था. मैं इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने का जगह ढूंढने लगा. जैसा हर घर में होता है, दरवाजे के बगल में एक खिड़की थी. उसके दोनों पल्ले बन्द थे. मैंने हलके से धक्का दिया और पल्ला खुल गया. बिस्तर साफ साफ दिख रहा था.
मीना ने गोपाल से कुछ कहा तो वो शरमा कर गर्दन हिलाने लगा.मीना ने फिर कुछ कहा और गोपाल सीधा बगल में खड़ा हो गया. मीना ने उसके लन्ड पर पैंट के ऊपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के ऊपर से बुर को मसलने लगा. एक दो मिनट तक लंड के ऊपर हाथ फेरने के बाद मीना ने पैंट के बटन खोल डाले और गोपाल नंगा हो गया. मीना ने झट से उसका टनटनाया हुआ लंड पकड लिया और उसे दबाने लगी.
मां को मालूम था कि मैं जरूर देख रहा हूँ, उसने खिड़की के तरफ देखा. मुझसे नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लंड को दोनों हाथों से हिलाने लगी. गोपाल का लंड देख कर वो खुश थी. उधर गोपाल ने भी बुर के ऊपर से साया को हटा दिया था और मैंने भी पहली बार एक बुर देखी वो भी अपनी माँ की, जिसे मेरी आंखों के सामने एक लड़का मसल रहा था.
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मीना ने कुछ कहा तो गोपाल ने साया को बाहर निकाल दिया. वो पूरी नंगी थी. उसकी गठी हुई और लम्बी टांगें और जांघ बहुत मस्त लग रही थी. बुर पर बहुत छोटे छोटे बाल थे, शायद 6-7 दिन पहले झांट साफ किया था. मीना लंड की टोपी खोलने की कोशिश कर रही थी. उसने गोपाल से फिर कुछ पूछा और गोपाल ने ना में गर्दन हिलाई. शायद पूछा हो कि पहले किसी को चोदा है या नहीं. मीना ने गोपाल को अपनी ओर खींचा और खूब जोर जोर से चूमने लगी और चूमते-चूमते उसे अपने ऊपर ले लिया.
अब मुझे मीना की बुर नहीं दिख रहा था. मीना ने हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और अपने हाथ से लंड को बुर के छेद पर रखा. मीना ने गोपाल से कुछ कहा और वो दोनों चूची पकड़ कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा.
गोपाल अपने से 20 साल बड़ी गांव की सबसे मस्त और सुन्दर माल की चुदाई कर रहा था. मैं अपने लंड की हालत को भूल गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा. गोपाल जोर जोर से धक्का मार रहा था और मीना भी चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी. यूँ तो गोपाल के लिये चुदाई का पहला मौका था लेकिन वो पिछले साल से हर रात अपनी माँ को नंगी देखता था, बाप से चुदवाते.
मैं देखता रहा और गोपाल जम कर मेरी माँ को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो माँ के ऊपर ढीला हो गया. मैं 2-3 मिनट तक बाहर खड़ा रहा और फिर दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया. मुझे देखते ही गोपाल हड़बड़ा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लंड को ढक लिया. लेकिन मीना ने उसका हाथ अलग किया और मेरे सामने गोपाल के लंड को सहलाने लगी.
मां बिल्कुल नंगी थी. उसने दोनों टांगों को फैला रख्खा था और मुझे बुर का फांक साफ साफ दिख रहा था. लंड को सहलाते हुये मीना बोली- बेटा, गोपाल में बहुत दम है…मेरा सारा दर्द खत्म हो गया.’ फिर उसने गोपाल से पूछा- क्यों, कैसा लगा..?’
मैं उसकी कमर के पास बैठ कर बुर को सहलाने लगा. बुर गोपाल के रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी.
‘बेटा, साया से साफ कर दे.’
मैं साया लेकर बुर के अन्दर बाहर साफ करने लगा और उसने गोपाल से कहा कि वो गोपाल को बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अच्छी की. उसने गोपाल को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे में बात करेगा तो वो बड़े मालिक (मेरे बड़े काका) से बोल देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा गोपाल का लंड बुर में लेती रहेगी. गोपाल ने कसम खाई कि वो किसी से कभी मीना मालकिन के बारे में कुछ नहीं कहेगा. मीना ने उसे चूमा और कपड़े पहन कर बाहर जाने को कहा.
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ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब माँ ने उससे कहा कि वो जल्दी फिर उससे चुदवायेगी. मैंने गोपाल से कहा कि वो आंगन जाकर अपना काम करे. गोपाल के जाते ही मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटाफट नंगा हो गया. मेरा लन्ड चोदने के लिये बेकरार था. माँ ने मुझे नजदीक बुलाया और मेरा लन्ड पकड़ कर सहलाने लगी.
‘हाय बेटा, तेरा लौड़ा तो बाप से भी लम्बा और मोटा है…, लेकिन अपनी माँ को मत चोद. तू घर की जिस किसी भी लड़की को चोदना चहता है, मैं चुदवा दूंगी.. लेकिन मादरचोद मत बन.’
मैंने अपना लंड अलग किया और माँ के ऊपर लेट गया. लंड को बुर के छेद से सटाया और जम कर धक्का मारा…
‘आह्ह्ह्ह्ह…’
मैं माँ के कन्धों को पकड़ कर चोदने लगा.
‘साली, अगर मुझे मालूम होता कि तू इतनी चुदासी है तो मैं तुझे 4-5 साल पहले ही चोद डालता, बेकार का हत्तू मार कर लौड़े को तकलीफ नहीं देता.’ कहते हुये मैंने जम कर धक्का मारा.. ‘आअह्ह्ह्ह्ह्ह…मजा आआआअ ग…याआअ..’
मां ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और मेरा माथा पकड़ कर बोली- बेटा, वो तो गोपाल से चुदवाने के लालच में आज तेरे सामने नंगी हो गई, वरना कभी मुझे हाथ लगाता तो एक थप्पड़ लगा देती.
मैंने धक्का मारते मारते माँ को चूमा और चूची को मसला.
‘साली, सच बोल, गोपाल के साथ चुदाई में मजा आया क्या?’ मेरा लौड़ा अब आराम से अपनी जन्मभूमि में अन्दर-बाहर हो रहा था.
‘सच बोलूं बेटा, पहले तो मैं भी घबरा रही थी कि मैं मुन्ना के उम्र के लड़के के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गई हूँ लेकिन अगर वो नहीं चोद पाया तो!’ माँ ने गोपाल को याद कर चूतड़ उछाले और कहा- गोपाल ने खूब जम कर चोदा, लगा ही नहीं कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है.. मैं तो खुश हो गई और अब फिर उससे चुदवाऊँगी.’
‘और मैं कैसा चोद रहा हूँ मेरी जान?’ मैंने उसके गालों को चूसते हुये पूछा.
‘बेटा, तेरा लौड़ा भी मस्त है और तेरे में गोपाल से ज्यादा दम भी है…मजा आ रहा है…’
और उसके बाद हम जम कर चुदाई करते रहे और आखिर में मेरे लंड ने माँ के बुर में पानी छोड़ दिया.
हम दोनों हाँफ रहे थे. कुछ देर के बाद जब ठण्डे हो गये तो हमने अपने कपड़े पहने और बिस्तर ठीक किया.
‘बाप रे, सब पूछेंगे कि मैं इतनी देर कहा थी, तो क्या बोलूंगी…’ माँ अब दो दो लंड खाने के बाद डर रही थी.
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मैंने उसे बांहों में जकड़ कर कहा- रानी, तुम डरो मत. मैं साथ हूँ ना… किसी को कभी पता नहीं चलेगा तुमने बेटे और नौकर से चुदवाया है.’ मैंने माँ के गालों को चूमा और उससे खुशामद किया कि वो दो-ढाई घंटे के बाद फिर इस कमरे में आ जाये जिसमें से कि मैं उसे दुबारा चोद सकूँ.
‘एक बार में मन नहीं भरा क्या..?’ उसने पूछा..
‘नहीं साली, तुमको रात दिन चोदता रहूँगा फिर भी मन नहीं भरेगा… जरूर आना..’
‘आऊँगी..लेकिन एक शर्त पर…!’ माँ ने मेरा हाथ अपनी चूची पर रखा.
‘क्या शर्त?’ मैंने चूची जोर से मसला…
‘गोपाल भी रहेगा…’ माँ फिर गोपाल का लौड़ा चाहती थी.
‘साली, तू गोपाल की कुतिया बन गई है… ठीक है, इस बार मैं अपनी गोदी में लिटा कर गोपाल से चुदवाऊँगा.
‘तो ठीक है, मैं आऊँगी…’
आंगन के रास्ते में मैंने उससे पूछा कि वो पहले कितने लौड़े खा चुकी है.. तो उसने कहा कि बाद में बतायेगी.
आंगन में पहुंचते ही बड़ी काकी ने पूछा- माँ को लेकर कहाँ गया था. सब खाने के लिये इंतजार कर रहे हैं.
मैंने जबाब दिया कि मैं माँ को गाछी (फार्म हाउस) दिखाने ले गया था. फिर किसी ने कुछ नहीं पूछा.
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Read in English
yah kahaanee 1964 kee garmiyon kee hai. hamaare parivaar ke sabhee sadasy ek vivaah mein shareek hone apane gaanv gaye the, ham teen bhaee-bahan aur maan-baaboojee. mainne 12veen kee bord kee pareeksha dee thee aur parinaam ka intazaar kar raha tha Momchudaikahani.
yah kahaanee 1964 kee garmiyon kee hai. hamaare parivaar ke sabhee sadasy ek vivaah mein shareek hone apane gaanv gaye the, ham teen bhaee-bahan aur maan-baaboojee. mainne 12veen kee bord kee pareeksha dee thee aur parinaam ka intazaar kar raha tha.
main teeno bhaee bahan mein sabase bada hoon. us samay main 18ven saal mein tha aur any ladakon kee tarah mujhe bhee choochee aur choot kee talaash thee. lekin us samay tak ek bhee aurat ya ladakee ka maja nahin liya tha.
bas maal ko dekhakar tarasata rahata tha aur land hilaakar paanee nikaal kar santusht ho jaata tha. doston ke saath hamesha choochee aur choot kee baaten hotee thee. mujhase chhotee bahan, maala hai aur usase chhota ek bhaee Momchudaikahani.
maan ka naam meena hai aur us samay vo 34-35 saal kee bharapoor javaan aurat thee. baaboojee 40 saal ke majaboot kad-kaathee ke mard the jo kisee bhee aurat kee javaanee kee pyaas ko bujha sakate the. baaboojee kee tarah main bhee lamba aur tagada tha lekin pata nahin kyon mujhe ladakiyon se baat karane mein bahut sharam aatee thee, yahaan tak ki main apanee 16 saal kee mast javaan bahan ke saath bhee theek se baat nahin karata tha Momchudaikahani.
gaanv mein shaadee mein bahut se log aaye the. chacheree bahan kee shaadee thee, khoob dhoomadhaam se vivaah sampann hua. vivaah ke baad dheere-dheere sabhee mehamaan chale gaye. mehamaanon ke jaane ke baad sirph gharavaale hee rah gaye the. paanch bhaeeyon mein se sirph mere baaboojee gaanv ke baahar kaam karate the, baakee chaaron bhaee gaanv mein hee khetee-baadee dekhate the. gaanv kee aadhee se jyaada jameen hamaaree thee Momchudaikahani.
baaboojee kee chhuttee khatm hone ko thee, ham log bhee ek din baad jaane vaale the. ham vahaan 17-18 din rahe. bahut ladakiyon ko chodane ka man kiya, bahut auraton kee choochee masalana chaaha lekin main kora ka kora hee raha. mera land choot ke liye tarasata hee rah gaya Momchudaikahani.
lekin kahate hain ki ‘der hai lekin andher nahin hai’
us din bhee aisa hee hua. us samay din ke 11 baje the. auraten ghar ke kaam mein vyast theen, kam umr ke bachche idhar-udhar daud rahe the aur aangan mein kuchh naukar saphaee kar rahe the. mere baaboojee apane bhaeeyon ke saath khet par gaye the. main chaukee par baith kar aaraam kar raha tha. tabhee maan mere paas aaee aur bagal mein baith gaee Momchudaikahani.
meree maan meena ne mera haath pakad kar ek ladake kee taraph ishaara karake poochha- vo kaun hai?’
vo ladaka aankhen neechee karake anaaj ko bore mein daal raha tha. usane sirph haaph-paint pahan rakha tha.
‘haan, main jaanata hoon, vo gopaal hai.. kanteer ka bhaee!’ mainne maan ko javaab diya.
kanteer hamaara puraana naukar tha aur hamaare yaha pichhale 8-9 saalon se kaam kar raha tha. maan usako jaanatee thee Momchudaikahani.
mainne poochha- kyon, kya kaam hai us ladake se?’
maan ne idhar udhar dekha aur bagal ke kamare mein chalee gaee. ek do minat ke baad usane mujhe ishaare se andar bulaaya. main andar gaya aur meena ne jhat se mera haath pakad kar kaha- beta, mera ek kaam kar de…’
‘kaun sa kaam maan!’
phir usane jo kaha vo sunakar main hakka bakka rah gaya Momchudaikahani.
‘beta, mujhe gopaal se chudavaana hai, use bol ki mujhe chode…!’
main meena ko dekhata rah gaya. usane kitanee aasaanee se bete ke umr ke ladake se chudavaane kee baat kah dee…
‘kya kah rahee ho…aisa kaise ho sakata hai…’ mainne kaha.
‘main kuchh nahin jaanatee, main teen din se apane ko rok rahee hoon, usako dekhate hee meree bur garam ho jaatee hai, mera man karata hai kee nangee hokar sabake saamane use apane andar le loon!’ maan ne mere saamane apanee choochee ko masalate hue kaha- kuchh bhee karo, beta gopaal ka land mujhe abhee choot ke andar chaahie! Momchudaikahani.
meena kee baaten sunakar mera maatha chakaraane laga tha. mainne kabhee nahin socha tha ki maan, bete ke saamane itanee aasaanee se land aur bur kee baat karegee. mujhe yah jaanakar achambha hua ki main 18 saal ka hokar bhee kisee ko ab tak chod nahin paaya hoon to vo gopaal apane se 20-22 saal badee, teen bachche kee maan ko kaise chodega. mujhe laga ki gopaal ka land ab tak chudaee ke liye taiyaar nahin hua hoga Momchudaikahani.
‘maan, vo gopaal to abhee chhota hai.. vo tumhen nahin chod paayega…’ mainne maan kee choochee par haath pherate hue kaha- chal tujhe bahut man kar raha hai to main tumhen chod doonga ..!’
main choochee masal raha tha, maan ne mera haath alag nahin kiya. yah pahala mauka tha ki mere haath kisee choochee ko daba raha tha aur vo bhee ek mast gudaaz aurat kee, jo logon kee najar mein bahut sundar aur maaladaar thee Momchudaikahani.
‘beta, too bhee chod lena, lekin pahale gopaal se mujhe chudava de…ab der mat kar…badale mein too jo bolega vo sab karungee… too kisee aur ladakee ya aurat ko chodana chaahata hai to main usaka bhee intazaam kar doongee, lekin too abhee apanee maan ko gopaal se chudava de.. meree bur ekadam geelee ho gaee hai Momchudaikahani.
meena ne saamane se chudaee kee peshakash kee hai to kuchh na kuchh to karana hee padega. mainne jor jor se 3-4 baar donon mast maansal choochiyon ko dabaaya aur kaha- too thoda intazaar kar…main kuchh karata hoon!’ yah kahakar mainne maan ko apanee baanhon mein lekar usake gaalon ko choosa aur baahar nikal kar aa gaya.
din ka samay tha, sab log jaag rahe the, kisee sunasaan jagah ka milana aasaan nahin tha Momchudaikahani.
main vahaan se nikal kar ‘kaital-phaarm’ mein aa gaya jo aangan se thodee hee door par sadak ke us paar tha. vahaan us samay jaanavaron ke alaava aur koee nahin tha. vahaan ek kamara bhee tha naukaron ke rahane ke liye. us kamare mein bhee koee nahin tha. mainne socha kyon na aaj maan kee chudaee isee kamare mein kee jaaye Momchudaikahani.
kamare mein ek chaukee thee aur us par ek bichhauna bhee tha. main turant aangan vaapas aaya. meena abhee bhee baahar hee baithee thee aur gopaal ko ghoor rahee thee. main usake bagal mein baith gaya aur kaha ki vo das minat ke baad us naukar vaale kamare mein aa jaaye.
vahaan se uth kar main gopaal ke paas aaya aur usakee peeth thap-thapa kar mere saath aane ko kaha. vo bina kuchh bole mere saath aa gaya. mainne dekha ki maan ke chehare par muskaan aa gaee hai Momchudaikahani.
gopaal ko lekar main us kamare mein aaya aur daravaaza khula rahane diya. main aakar bichhaune par let gaya aur gopaal se kaha ki mer pair dard kar raha hai, daba de.. yah kahate huye mainne apana pajaama baahar nikaal diya. neeche mainne jaanghiya pahana tha. gopaal paanv dabaane laga aur main usase usake ghar kee baaten karane laga. vaise to gopaal ke gharavaale hamaare ghar mein saalon se kaam karate hain phir bhee main kabhee usake ghar nahin gaya tha Momchudaikahani.
gopaal kee daadee ko bhee mainne apane ghar mein kaam karate dekha tha aur abhee usakee maan aur bhaiya kaam karate hain. gopal ne bataaya ki usakee ek bahan hai aur usakee shaadee kee baat chal rahee hai. vo bola ki usakee bhaabhee bahut achchhee hai aur use bahut pyaar karatee hai Momchudaikahani.
achaanak mainne usase poochha ki usane apanee bhaabhee ko choda hai ki nahee. gopaal sharama gaya aur jab mainne dobaara poochha to jaisa mainne socha tha, usane kaha ki usane ab tak kisee ko choda nahin hai.
mainne phir poochha ki chodane ka man karata hai ya nahin?
to usane sharamaate huye kaha ki jab vo kabhee apanee maan ko apane baap se chudavaate dekhata hai to usaka bhee man chodane ko karata hai. gopaal ne kaha ki raat mein vo apanee maan ke saath ek hee kamare mein sota hai . lekin pichhale ek saal se maan kee chudaee dekh kar usaka bhee land taeet ho jaata hai Momchudaikahani.
‘phir tum apanee maan ko kyon nahin chodate ho…’ mainne poochha, lekin gopaal ke jabaab dene ke pahale meena kamare mein aa gaee aur usane andar se daravaaja band kar diya. gopaal uthakar jaane laga to mainne use rok liya. gopaal ne ek baar meena ke taraph dekha aur phir mera pair dabaane laga Momchudaikahani.
‘kya hua maan?’
‘are beta, mera pair bhee bahut dard kar raha hai, thoda daba de!’ meena bolate bolate mere bagal mein let gaee. mera dil jor jor se dhadakane laga, dar se ya maan ko chodane ke khayaal se , maaloom nahin. main uth kar baith gaya aur maan ko bichhaune ke beechombeech letane ko kaha Momchudaikahani.
main ek pair dabaane laga . gopaal chupachaap khada tha.
‘are gopaal, tum kyon khade ho, doosara paanv tum dabao!’ mainne gopal se kaha lekin vo khada hee raha.
mere do-teen baar kahane ke baad gopaal doosare paanv ko dabaane laga. mainne maan ko aankh maaree aur vo muskura dee.
‘maan, kahaan dard kar raha hai?’
‘are poochh mat beta, poora paav aur chhaatee dard kar raha hai, khoob jor se pair aur chhaatee ko dabao.’
maan ne khul kar bur aur choochee dabaane ka nimantran de diya tha. main paavan se lekar kamar tak ek par ko masal masal kar maja le raha tha jab ki gopaal sirph ghutanon tak hee daba raha tha. mainne gopaal ka ek haath pakada aur maan kee jaanghon ke oopar sahalaaya aur kaha ki tum bhee neeche se oopar tak dabao. vo hichaka lekin mujhe dekh dekh kar vo bhee meena lambee lambee taangon ko neeche se oopar tak masalane lag Momchudaikahani.
2-3 minat tak is tarah se maja lene ke baad mainne kaha- maan sari utaar do…to aur achchha lagega…’
‘haan, beta, utaar do…’
‘gopaal, sari khol do.’ mainne gopaal se kaha.
usane hamaaree or dekha lekin sari kholane ke liye haath aage nahin badhaaya Momchudaikahani.
‘gopaal, sharamaate kyon ho, tumane to kaee baar apanee maan ko nangee chudavaate dekha hai…yahaan to sirph sari utaaranee hai, chal khol de.’ aur mainne gopaal ka haath pakad kar sari kee gaanth par rakha. usane sharamaate huye gaanth kholee aur mainne sari maan ke badan se alag kar dee. kaale rang ke blaooz aur saaya mein gajab kee maal lag rahee thee Momchudaikahani.
‘maalakin, aap bahut sundar hain…’ achaanak gopaal ne kaha aur pyaar se jaanghon ko sahalaaya.
‘too bhee bahut pyaara hai..’ meena ne jabaab diya aur haule se saaya ko apanee ghutanon se oopar kheench liya. maan ke sudaul pair aur pindalee kisee bhee mard ko garm karane ke liye khaaphee the. ham donon pair daba rahe the lekin hamaaree najar meena kee mast, gol-gol, maansal choochiyon par thee.
lag raha tha jaise ki choochiyaan blaooz ko phaad kar baahar nikal jaayengee. mera man kar raha tha ki phataaphat maan ko nanga kar boor mein land pel doon. mera land bhee chodane ke liye taiyaar ho chuka tha Momchudaikahani.
aur is baar ghutanon ke oopar haath badha kar mainne haath saaya ke andar ghused diya aur andarunee jaanghon ko sahalaate huye jindagee mein pahalee baar bur ko masala. ek nahin, do nahin, kaee baar bur masala lekin maan ne ek baar bhee mana nahin kiya. maan saaya pahane thee aur bur dikhaee nahin par rahee thee. saaya oopar naabhi tak bandha hua tha. main bur ko dekhana chaahata tha. ek do baar bur ko phir se masala aur haath baahar nikaal liya Momchudaikahani.
‘maan, saaya bahut kasa bandha hua hai, thoda dheela kar lo.. ‘
mainne dekha ki gopaal ab aaraam se meena kee jaanghon ko masal raha tha. mainne gopal se kaha ki vo saaya ka naada khol de. teen chaar baar bolane ke baad bhee usane naada nahin khola to mainne hee naada kheench diya aur saaya oopar se dheela ho gaya.
main paanv dabaana chhodakar maan kee kamar ke paas aakar baith gaya aur saaya ko neeche kee taraph thela. pahale to usaka chikana pet dikhaee diya aur phir naabhi. kuchh pal to mainne naabhi ko sahalaaya aur saaya ko aur neeche kee or thela Momchudaikahani.
ab usakee kamar aur bur ke oopar ka chikana chikana bhaag dikhaee padane laga. agar ek inch aur neeche karata to bur dikhane lagatee.
‘aah beta, chhaatee bahut dard kar raha hai..’ meena ne dheere se kaha . saaya ko vaisa hee chhodakar mainne apane donon haath maan kee mast aur gudaaj choochiyon par rakhe aur dabaaya. gopaal ke donon haath ab sirph jaangho ke ooparee hisse par chal raha tha aur vo aankhe phaad kar dekh raha tha ki ek beta kaise maan kee choochiyaan masal raha hai Momchudaikahani.
‘maan, blauj khol do to aur achchha lagega.’ mainne dabaate hue kaha.
‘khol de ‘ usane jabaab diya aur mainne jhatapat blauj ke saare batan khol daale aur blauj ko choochee se alag kar diya.
maan kee gol-gol, uthee huee aur maansal choochee dekh kar maatha jhanajhana gaya. mujhe yaad nahin tha ki mainne aakharee baar kab maan kee nangee choochee dekhee thee. main jam kar choochee dabaane laga Momchudaikahani.
‘kitana taeet hai, lagata hai jaise kisee ne futabaal mein kas kar hava bhar dee hai.’ mainne ghundee ko kas kar masala aur gopaal se kaha- kyon gopaal kaisa lag raha hai?’ main jor jor se choochee ko dabaata raha.
achaanak mainne dekha ki gopaal ka ek haath maan kee donon jaanghon ke beech saaya ke oopar ghoom raha hai. ek haath se choochee dabaate hue mainne gopaal ka vo haath pakada aur use maan kee naabhi ke oopar rakh kar dabaaya Momchudaikahani.
‘dekh, chikana hai ki nahin?’ main usake haath ko donon jaanghon ke beech bur kee taraph dhakelane laga. doosare haath se main lagaataar choochiyon ka maja le raha tha. mujhe yaad aaya ki bachapan mein in choochiyon se hee doodh peeta tha. main maan ke oopar jhuka aur ghundee ko choosane laga Momchudaikahani.
tabhee maan ne phusaphusaakar kaan mein kaha- beta, too thodee der ke liye baahar ja aur dekh koee idhar na aaye..’
main doodh peete peete gopaal ke haath ke oopar apana haath rakh kar saaya ke andar thela aur gopaal ka haath maan ke bur par aa gaya. mainne gopaal ke haathon ko dabaaya aur gopaal bur ko masalane laga Momchudaikahani.
kuchh der tak ham donon ne ek saath bur ko masala aur phir main khada ho gaya. gopaal ka haath abhee bhee maan kee bur par tha lekin saaya ke neeche. bur dikh nahin rahee thee.
mainne apana pajaama pahana aur gopaal se kaha- jab tak main vaapas nahin aata, too isee tarah maalakin ko dabaate rahana. donon choochiyon ko bhee khoob dabaana.’
main daravaaja khol kar baahar aa gaya aur palla kheench diya. aas paas koee bhee nahin tha. main idhar udhar dekhane laga aur andar ka najaara dekhane ka jagah dhoondhane laga. jaisa har ghar mein hota hai, daravaaje ke bagal mein ek khidakee thee. usake donon palle band the. mainne halake se dhakka diya aur palla khul gaya. bistar saaph saaph dikh raha tha Momchudaikahani.
meena ne gopaal se kuchh kaha to vo sharama kar gardan hilaane laga.meena ne phir kuchh kaha aur gopaal seedha bagal mein khada ho gaya. meena ne usake land par paint ke oopar se sahalaaya aur gopaal jhuk kar saaya ke oopar se bur ko masalane laga. ek do minat tak land ke oopar haath pherane ke baad meena ne paint ke batan khol daale aur gopaal nanga ho gaya. meena ne jhat se usaka tanatanaaya hua land pakad liya aur use dabaane lagee Momchudaikahani.
maan ko maaloom tha ki main jaroor dekh raha hoon, usane khidakee ke taraph dekha. mujhase najar milate hee vo muskura dee aur land ko donon haathon se hilaane lagee. gopaal ka land dekh kar vo khush thee. udhar gopaal ne bhee bur ke oopar se saaya ko hata diya tha aur mainne bhee pahalee baar ek bur dekhee vo bhee apanee maan kee, jise meree aankhon ke saamane ek ladaka masal raha tha Momchudaikahani.
meena ne kuchh kaha to gopaal ne saaya ko baahar nikaal diya. vo pooree nangee thee. usakee gathee huee aur lambee taangen aur jaangh bahut mast lag rahee thee. bur par bahut chhote chhote baal the, shaayad 6-7 din pahale jhaant saaph kiya tha Momchudaikahani. meena land kee topee kholane kee koshish kar rahee thee.
usane gopaal se phir kuchh poochha aur gopaal ne na mein gardan hilaee. shaayad poochha ho ki pahale kisee ko choda hai ya nahin. meena ne gopaal ko apanee or kheencha aur khoob jor jor se choomane lagee aur choomate-choomate use apane oopar le liya Momchudaikahani.
ab mujhe meena kee bur nahin dikh raha tha. meena ne haath neeche kee or badhaaya aur apane haath se land ko bur ke chhed par rakha. meena ne gopaal se kuchh kaha aur vo donon choochee pakad kar dheere dheere dhakka laga kar chudaee karane laga Momchudaikahani.
gopaal apane se 20 saal badee gaanv kee sabase mast aur sundar maal kee chudaee kar raha tha. main apane land kee haalat ko bhool gaya aur un donon kee chudaee dekhane laga. gopaal jor jor se dhakka maar raha tha aur meena bhee chootad uchhaal uchhaal apane bete kee umr ke ladake se chudaee ka maja le rahee thee. yoon to gopaal ke liye chudaee ka pahala mauka tha lekin vo pichhale saal se har raat apanee maan ko nangee dekhata tha, baap se chudavaate Momchudaikahani.
main dekhata raha aur gopaal jam kar meree maan ko chodata raha aur kareeb 15 minat ke baad vo maan ke oopar dheela ho gaya. main 2-3 minat tak baahar khada raha aur phir daravaaja khol kar andar aa gaya. mujhe dekhate hee gopaal hadabada kar neeche utara aur apane haath se land ko dhak liya. lekin meena ne usaka haath alag kiya aur mere saamane gopaal ke land ko sahalaane lagee Momchudaikahani.
maan bilkul nangee thee. usane donon taangon ko phaila rakhkha tha aur mujhe bur ka phaank saaph saaph dikh raha tha. land ko sahalaate huye meena bolee- beta, gopaal mein bahut dam hai…mera saara dard khatm ho gaya.’ phir usane gopaal se poochha- kyon, kaisa laga..?’
main usakee kamar ke paas baith kar bur ko sahalaane laga. bur gopaal ke ras se pooree tarah se geelee ho gaee thee Momchudaikahani.
‘beta, saaya se saaph kar de.’
main saaya lekar bur ke andar baahar saaph karane laga aur usane gopaal se kaha ki vo gopaal ko bahut pasand karatee hai aur usane chudaee bhee bahut achchhee kee. usane gopaal ko dhamakaaya ki agar vo kisee se bhee isake baare mein baat karega to vo bade maalik (mere bade kaaka) se bol degee aur agar chup rahega to hamesha gopaal ka land bur mein letee rahegee. gopaal ne kasam khaee ki vo kisee se kabhee meena maalakin ke baare mein kuchh nahin kahega. meena ne use chooma aur kapade pahan kar baahar jaane ko kaha Momchudaikahani.
gopaal bahut khush hua jab maan ne usase kaha ki vo jaldee phir usase chudavaayegee. mainne gopaal se kaha ki vo aangan jaakar apana kaam kare. gopaal ke jaate hee mainne daravaaja andar se band kiya aur phataaphat nanga ho gaya. mera land chodane ke liye bekaraar tha. maan ne mujhe najadeek bulaaya aur mera land pakad kar sahalaane lagee Momchudaikahani.
‘haay beta, tera lauda to baap se bhee lamba aur mota hai…, lekin apanee maan ko mat chod. too ghar kee jis kisee bhee ladakee ko chodana chahata hai, main chudava doongee.. lekin maadarachod mat ban.’
mainne apana land alag kiya aur maan ke oopar let gaya. land ko bur ke chhed se sataaya aur jam kar dhakka maara…
‘aahhhhh…’
main maan ke kandhon ko pakad kar chodane laga.
‘saalee, agar mujhe maaloom hota ki too itanee chudaasee hai to main tujhe 4-5 saal pahale hee chod daalata, bekaar ka hattoo maar kar laude ko takaleeph nahin deta.’ kahate huye mainne jam kar dhakka maara.. ‘aaahhhhhh…maja aaaa ga…yaa..Momchudaikahani.
maan ne kamar utha kar neeche se dhakka maara aur mera maatha pakad kar bolee- beta, vo to gopaal se chudavaane ke laalach mein aaj tere saamane nangee ho gaee, varana kabhee mujhe haath lagaata to ek thappad laga detee.
mainne dhakka maarate maarate maan ko chooma aur choochee ko masala.
‘saalee, sach bol, gopaal ke saath chudaee mein maja aaya kya?’ mera lauda ab aaraam se apanee janmabhoomi mein andar-baahar ho raha tha Momchudaikahani.
‘sach boloon beta, pahale to main bhee ghabara rahee thee ki main munna ke umr ke ladake ke saamane randee jaisee nangee ho gaee hoon lekin agar vo nahin chod paaya to!’ maan ne gopaal ko yaad kar chootad uchhaale aur kaha- gopaal ne khoob jam kar choda, laga hee nahin ki vo pahalee baar chudaee kar raha hai.. main to khush ho gaee aur ab phir usase chudavaoongee Momchudaikahani.
‘aur main kaisa chod raha hoon meree jaan?’ mainne usake gaalon ko choosate huye poochha.
‘beta, tera lauda bhee mast hai aur tere mein gopaal se jyaada dam bhee hai…maja aa raha hai…’
aur usake baad ham jam kar chudaee karate rahe aur aakhir mein mere land ne maan ke bur mein paanee chhod diya.
ham donon haanph rahe the. kuchh der ke baad jab thande ho gaye to hamane apane kapade pahane aur bistar theek kiya.
‘baap re, sab poochhenge ki main itanee der kaha thee, to kya boloongee…’ maan ab do do land khaane ke baad dar rahee thee Momchudaikahani.
mainne use baanhon mein jakad kar kaha- raanee, tum daro mat. main saath hoon na… kisee ko kabhee pata nahin chalega tumane bete aur naukar se chudavaaya hai.’ mainne maan ke gaalon ko chooma aur usase khushaamad kiya ki vo do-dhaee ghante ke baad phir is kamare mein aa jaaye jisamen se ki main use dubaara chod sakoon Momchudaikahani.
‘ek baar mein man nahin bhara kya..?’ usane poochha..
‘nahin saalee, tumako raat din chodata rahoonga phir bhee man nahin bharega… jaroor aana..’
‘aaoongee..lekin ek shart par…!’ maan ne mera haath apanee choochee par rakha.
‘kya shart?’ mainne choochee jor se masala…Momchudaikahani.
‘gopaal bhee rahega…’ maan phir gopaal ka lauda chaahatee thee.
‘saalee, too gopaal kee kutiya ban gaee hai… theek hai, is baar main apanee godee mein lita kar gopaal se chudavaoonga.
‘to theek hai, main aaoongee…’
aangan ke raaste mein mainne usase poochha ki vo pahale kitane laude kha chukee hai.. to usane kaha ki baad mein bataayegee.
aangan mein pahunchate hee badee kaakee ne poochha- maan ko lekar kahaan gaya tha. sab khaane ke liye intajaar kar rahe hain Momchudaikahani.
mainne jabaab diya ki main maan ko gaachhee (phaarm haus) dikhaane le gaya tha. phir kisee ne kuchh nahin poochha.
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