Maa ki Antarvasna चुदक्कड़ मां की चूत चुदाई-1 hindisexstory fun

चुदक्कड़ मां की चूत चुदाई-1 Maa ki Antarvasna hindisexstory

Maa ki Antarvasna hindisexstory: हिंदी इन्सेस्ट सेक्स स्टोरीज में पढ़ें कि कैसे मेरे फुफेरे भाई ने मेरी माँ को चोदा. मेरी बुआ का लड़का मेरे घर आया. उसके आने के बाद मुझे अपनी मां की हरकतों पर शक हुआ.

लेखक की पिछली हिंदी इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी: माँ ने मेरे लंड की सील तोड़ी

दोस्तो, मेरा नाम रोहित है और आज मैं आप लोगों को हिंदी इन्सेस्ट सेक्स स्टोरीज में एक सच्चाई बताना चाहता हूं कि कैसे मेरे फुफेरे भाई ने मेरी माँ को चोदा.

एक औरत को जब लंड नहीं मिलता है तो वह बहुत ही चुदासी हो जाती है. उसको हर जगह पर लंड ही लंड दिखाई देने लगते हैं.

मेरा ये अनुभव मुझे मेरी मां से प्राप्त हुआ. हमारे घर में मां और मैं ही रहते हैं. मेरे पिताजी कारोबार के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं इसलिए घर पर बहुत कम रहते हैं.

हमारा घर गांव में बना हुआ है. मेरी एक बुआ भी है. बुआ कई बार घर पर पिताजी और मां से मिलने के लिए आ जाया करती थी. उनका एक बेटा भी है जो 19 साल के करीब हो चुका है.

एक दिन बुआ जी ने अपने बेटे को हमारे घर पर भेज दिया. दरअसल उसकी गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं. बुआ जी रघु को छोड़ने खुद भी आई थी. दो दिन वो हमारे घर रुकी और फिर रघु को छोड़कर वापस चली गयी. मैं भी खुश था क्योंकि रघु और मेरा भाई और दोस्त जैसा था.

मगर रघु भी दूर दराज गांव का रहने वाला था इसलिए वो बहुत शरमाता था और मुझसे भी बहुत कम बातें करता था. फिर भी उसके घर में होने से मन लगा रहता था.

मेरी मां भी काफी खुश रहने लगी थी. मगर उसकी खुशी का राज मुझे कई दिन के बाद ही पता लगा.

पहले दिन से ही मां ने रघु को अपने ही कमरे में सोने के लिए बोल दिया था. दो दिन से यही चल रहा था. मुझे मां का ये बर्ताव अजीब लगा क्योंकि रघु कोई छोटा बच्चा नहीं था. वो जवान हो रहा था.

एक दिन जब मैं सुबह उठा तो मैंने देखा कि रघु मुझसे नजर चुरा रहा था. वो मुझसे कटने की कोशिश कर रहा था और दूरी बना कर रखना चाह रहा था.
मुझे माजरा कुछ समझ में नहीं आया.

उस दिन वो कुछ अलग ही बर्ताव कर रहा था. मैंने देखा कि उसके गालों पर लाल लाल निशान हो गये थे. मैंने सोचा कि कुछ न कुछ गड़बड़ तो है.

मैं उसको अपने साथ खेत पर ले गया. मैं उसके साथ टहलने के बहाने से निकल गया.
खेत पर जाकर मैंने पूछा कि आज वो मुझसे दूर भागने की कोशिश क्यों कर रहा है तो पहले वो मेरी बात को टालने की कोशिश करता रहा.

मगर मैंने उसका पीछा नहीं छोड़ा. मैं उस पर जोर देकर पूछता ही रहा. मैंने उससे गाल के निशान वाली बात पूछी तो वो घबरा गया. उसका चेहरा लाल हो गया. फिर मैंने उसको पैसे देने का लालच दिया. तब जाकर उसने अपना मुंह खोला.

रघु ने जो बात बताई उसको सुन कर मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी. उसने मेरी माँ को चोदा था. मैंने उसको सौ रूपये का नोट थमा दिया और बोला कि कोई बात नहीं, इस बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है.

रघु ने मुझे बताया- रात को मामी जी मेरा कच्छा नीचे कर देती है. फिर मेरे उसको (लंड को) हिलाने लगती है. उसके साथ खेलती रहती है. फिर मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे साथ गन्दा काम करती है.
मैंने पूछा- तो फिर तू क्या करता है?

वो बोला- भैया, मैं तो कुछ नहीं कर सकता. मामी मेरे लंड को अपनी उसमें (चूत में) ले लेती है और फिर मुझे धक्के मारने को कहती है. मुझे भी मामी की बात माननी पड़ती है.
मैंने पूछा- तो तू कितने धक्के मारता है?
वो बोला- ये तो मुझे याद नहीं रहता और मैं गिनता भी नहीं हूं लेकिन मैं थोड़ी ही देर में थक जाता हूं.

फिर मैंने पूछा- तो फिर क्या होता है?
वो बोला- फिर बदन में एक अजीब सनसनाहट होती है और मैं थक जाता हूँ. फिर नींद आ जाती है।

मैंने उसे फिर कुरेदा- मेरी माँ सिसकारती भी है जब तू धक्के मारता है?
उसने कहा- नहीं, मामी मुझे कस कर पकड़ लेती है और हल्के हल्के आवाज करती है।

मैंने कहा- तुझे अच्छा लगता है ये सब?
उसने कहा- हाँ, मगर बाद में बहुत बेकार लगता है, जब मैं थक जाता हूँ।

उसकी बात सुनकर मेरा मन हो रहा था कि देखता हूँ साली को, अगर चीख न निकलवा दी मैंने भी तो मेरा भी नाम नहीं। मगर ये सब इतना आसान नहीं था क्योंकि अगर औरत को रंगे हाथ न पकड़ा जाये तो फिर मुकर जाती है।

रघु की बातें सुनते ही मेरा चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया कि मेरी माँ की चूत इतनी धधक रही थी कि ननद के बेटे को भी नहीं छोड़ा।
मेरे दिमाग में माँ के प्रति गंदे गंदे ख्याल आने लगे. किंतु ये ऐसा मौका था कि मैं भी अपनी प्यास बुझाने की सोचने लगा था. ये सोचते सोचते मुझे अपने ऊपर ग्लानि भी हुई. कि मैं कैसा बेटा हूँ जो अपनी ही माँ को चोदना चाहता हूँ. पर साला मन नहीं मान रहा था मेरा।

मैं मां की चूत की आग को शांत करना चाह रहा था. मुझे पता था कि आज उसने बुआ के लड़के का लंड लिया है और कल को वो किसी पड़ोसी का लंड भी ले बैठेगी. घर की इज्जत माटी में मिल जायेगी.

मैंने रघु से कहा- कोई बात नहीं, तू अपनी मामी के साथ ही सोना आज भी. और जो तू रोज करता है कर लेना. बाकी मैं देख लूंगा.
मां के साथ रघु की आज तीसरी रात थी. रघु सिर्फ चार दिन के लिए आया था. मैं ये सोच रहा था कि अगर रघु चला गया और मैंने देर कर दी तो माँ को रंगे हाथ पकड़ पाना बहुत मुश्किल होगा.

इसलिए मैंने शाम को रघु को विश्वास में लेकर कहा- सुन … तू वैसे ही करना जैसे माँ कहेगी. और ये कह कर मैंने 50 रूपए और दिए. साथ ही चेतावनी भी दी कि आगे से मैं तुझे कोई पैसे नहीं दूंगा जो तूने अपनी मामी को जरा भी इस प्लान के बारे में बताया तो.

रघु को समझा कर मैं अपनी खुद की रात रंगीन करने की प्लानिंग करने लगा.

मैंने खेत से फावड़े का मजबूत बिंटा निकाल कर रख लिया. उसे शाम ढलते ही अपने बेड के नीचे छिपा दिया. फिर मैं इंग्लिश वाइन का हाफ खरीद कर लाया.
चुपचाप मैंने खाना खाने से पहले ही 3 पैग पी लिए और छत पर जाकर प्लानिंग करने लगा।
फिर खाना खाया।

रात के अंधरे में अकेला छत पर खड़ा हुआ मैं अपनी माँ की हरकतों के बारे में सोचने लगा।

ये सोच सोच कर मेरा हाथ बार बार मेरे कुंवारे लण्ड पर जा रहा था. जो मुरझाई हालत में भी करीब चार इंच लम्बा रहता था. कड़क होने के बाद तो सात इंच लम्बा और दो इंच मोटा हो जाता था.

मैं मुठ नहीं मारता था पर कभी कभार जब बहुत जोश आता था तो हिलाता जरूर था. यहाँ तक कि लण्ड की खाल भी पीछे जाती थी खींचने पर और फिर आधा सुपारा उसी में छिप जाता था अगर खाल छोड़ देता था।

मैं 24 साल का नौजवान था और मैंने एम.ए. पास कर लिया था और जॉब ढूंढ रहा था. मेरे अंदर कोई ऐब ऐसा नहीं था जो मैं कमजोर रहता. हाँ इतना जरूर था कि मैं कभी कभार दारू पी लिया करता था. लेकिन वह भी महीने दो महीने में केवल एक या दो बार ही.

जब भी मैं दारू पीकर आता था तो माँ लेटी हुई रहती थी. उसको पता नहीं लगने देता था कि मैं दारू पीकर आया हुआ हूं. वो मेरे लिए खाना निकाल कर रख देती थी और मैं खाकर चुपचप लेट जाता था.

माँ बहुत ही बेसुध होकर सोती थी और गर्मियों के मौसम में तो सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में सोती थी. कभी एक जांघ फैला कर तो कभी सीधी लेट कर दोनों जांघें आधी उठा कर फैला लेती थी. जांघें वैसे पूरी नहीं खुलती थी क्योंकि जांघों के पास पेटीकोट फंस जाता था और एक दो बार तो ऐसा हुआ कि वो औंधे मुंह पड़ी रहती थी और एक जांघ पीछे और दूसरी आगे होती थी.

एक रात में मैं मूतने जा रहा था. मूतने के बाद मुझे प्यास भी लगी तो मैं पानी पीने माँ के कमरे में घुस गया. वो पीने का पानी एक छोटे से स्टूल पर रख देती थी. मेरी नजर माँ की गोरी चिकनी मक्खन जैसी जांघों पर पड़ी तो दिमाग के तोते उड़ गए. मेरे लौड़े के सलवट खुलने शुरू हो गए, पर सब कुछ अचानक से नहीं हो सकता था.

मैं उसके काफी करीब गया और मैंने धीरे से पेटीकोट ऊपर खिसका दिया। आह … क्या मस्त गोरे गोरे सुडौल चूतड़ थे। मैं और नजदीक गया तो गोरी चिकनी जांघ एकदम गोल मोटी और मस्त थी और जांघों के बीच में शकरकंद जैसी गुलाबी उभरी हुई चूत, जिस पर छोटे-छोटे काले घने बाल उगे हुए थे.

ऐसा लग रहा था कि माँ ने जैसे बीस दिन पहले झाँटें बनायीं थी. उसकी गांड का भूरा छेद, जिसमें काफी सारी झुर्रियां एक गड्ढे में समा रही थी, ऐसी मस्त गांड देख कर मेरे से नहीं रहा गया. मैं अपना मुंह उसके चूतड़ों के काफी करीब ले गया और माँ की जवानी की गन्ध सूंघने लगा. मेरी हालत उस कुत्ते के समान हो गयी थी जो हीट पर होती है और उसे हर कुत्ता पूंछ के नीचे सूंघता है चोदने से पहले।

चुदक्कड़ मां की चूत चुदाई-1 Maa ki Antarvasna hindisexstory
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उसके चूतड़ों के बीच में से एक निहायत ही मस्त करने वाली गंध आ रही थी जो मिक्स थी- जिसमें पेशाब, माँस और पुरुष को उत्तेजित करने वाली गन्ध शामिल थी। मेरा तो मन यहाँ तक हुआ कि साली की गांड का छेद चाट लूँ. मगर उस वक्त इतनी हिम्मत नहीं पड़ रही थी.

बस कुछ एक मिनट तक मां की गांड सूंघने के बाद मेरे से रहा नहीं गया. मेरा लौड़ा कामरस में भीग कर पच-पच करने लगा था. मैं तुरंत उठ कर बाथरूम में गया और मैंने अपने लौड़े को तबियत से हिलाया.

chudakkad maa kee choot chudaee-1 Maa ki Antarvasna hindisexstory
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मैंने जोरदार मुठ मारी और लगभग 15 मिनट तक लौड़े को हाथ में लेकर रगड़ने के बाद मेरे वीर्य की धार छूटी.

लंड से वीर्य की धार ऐसी छूटी कि मजा आ गया. सच में दोस्तो, हस्तमैथुन का भी अपना ही एक मजा है. मगर मैं ये ज्यादा नहीं करता था. उस दिन तो मुझसे रुका नहीं गया इसलिए मैंने कर लिया. मुठ मारने के बाद ऐसा लगा कि जैसे मैंने मां की चुदाई कर दी हो.

जो घटना उस रात हुई, वैसी ही घटना कई बार और भी हुई, मगर अभी तक मैं मां की चूत नहीं मार सका था. मैंने कई बार ऐसी सच्ची कहानियां पढ़ी थीं. जिसमें कि एक चार बच्चों की मां चूत मरवा रही थी या एक कर्नल की बीवी नौकर से मरवा रही थी. उनके मर्द इस लायक नहीं थे कि उनकी चूत की प्यास को शांत कर सकें. उनका लंड भी ठीक से खड़ा नहीं होता था.

मगर मेरा लंड तो एकदम चुस्त और दुरुस्त था और मेरी मां की चूत की प्यास को बहुत अच्छे से बुझाने के काबिल भी था.

तो अब कहानी की मुख्य धारा में आते हैं.

उस दिन फिर खाना खाने के बाद 11.30 बज गये. इस समय तक मां टीवी देखती रहती थी. इसलिए मैं इंतजार कर रहा था.

उसके बाद मैंने पाया कि टीवी की आवाज आनी बंद हो गयी थी. टीवी बंद करने के बाद मां कमरे की लाइट भी बंद कर देती थी. मैं इंतजार कर रहा था और दो मिनट के बाद रूम की लाइट भी बंद हो गयी.

मैं पांच मिनट पहले ही उनके रूम के दरवाजे के बाहर जाकर छिप गया था. मेरे हाथ में लकड़ी का बिंटा था. इस डंडे को कभी कभार बैलों को हांकने के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता था.

फिर मेरे कानों में कपड़ों की कुछ सरसराहट सी पड़ी. मैं रोशनदान से कमरे में देखने की कोशिश करने लगा. मां की कमर मेरी तरफ यानि कि दरवाजे की तरफ थी. रघु दूसरी साइड सोया हुआ था.

मुझे माँ का हाथ हिलता हुआ दिखाई दिया और फिर रघु के हाथ भी। शायद माँ उसके कच्छे में हाथ डाल कर उसके लण्ड को खड़ा कर रही थी. दो मिनट बाद माँ ने रघु को करथल देकर सीधा किया और उसका कच्छा नीचे खींच दिया.

फिर दो मिनट बाद कपड़ों की सरसराहट हुई. फिर माँ ने अपना पेटीकोट ऊपर किया और रघु की जांघों के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी. माँ अब धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी. शायद माँ ने रघु का लंड अपनी चूत में ले लिया था.

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जैसे जैसे माँ हिल रही थी रघु की आहें मुझे सुनाई देने लगी। मेरा सर अब चकराने लगा था. मुश्किल से ये खेल अभी एक मिनट ही चला होगा और जैसा कि रघु ने बताया था कि वो जल्दी थक जाता है इसलिए रघु का पानी कभी भी झड़ सकता था.

अब मैं बिलकुल भी देर नहीं करना चाह रहा था क्योंकि अगर एक बार माँ रघु के ऊपर से उतर गयी तो सारा खेल बिगड़ सकता था. मैंने तुरंत ही निर्णय लिया और हाथ में लकड़ी का बिंटा लेकर एकदम से कमरे की लाइट जला दी.

माँ को सपने में भी यह उम्मीद नहीं रही होगी कि ऐसा भी हो सकता है. माँ का पेटीकोट पूरा ऊपर उठा हुआ था और वो नीचे से नंगी थी.
माँ मुझे देखते ही उतरने की कोशिश करने लगी. मैंने तुरंत उसकी चुटिया जड़ से पकड़ी और उसको खींच कर बेड से नीचे उतार लिया.

मेरी नजर रघु के अर्धविकसित लंड पर गयी. उसका लंड मुश्किल से पांच इंच का ही हुआ होगा. उसके लंड का टोपा झाग में भीगा हुआ था. देखने से स्पष्ट पता लग रहा था कि मां उसके साथ यौन क्रिया का मजा लेने में लगी हुई थी.

मैंने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए रघु को डांट कर दूसरे कमरे में भागने के लिए कहा. वो अपनी लोवर को ऊपर खींच कर मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगा और प्लान के मुताबिक बोला- भैया, मेरा कोई दोष नहीं है. मामी रोज मेरे साथ ऐसा ही करती है. मुझे जाने दो भैया, मेरी कोई गलती नहीं है.

मैं बोला- ठीक है, तू जा, तुझसे मैं बाद में बात करूंगा.
रघु जैसे ही रूम से बाहर निकला, माँ ने तेजी से मेरे हाथ से अपनी चुटिया छुड़ाई और दरवाजे की तरफ भागी. मैंने दौड़ कर उसे पकड़ लिया. इससे पहले कि वो बाहर जाकर कहीं बंद हो जाती मैंने चिल्ला कर उससे कहा- मां! अच्छा, तो तू अब रघु से अपनी भोसड़ी ठण्डी करवा रही है?

कहते हुए मैंने अब दरवाजे की चिटकनी बंद कर दी थी. पीछे से मैंने मां को बांहों में जकड़ लिया था.
मां बोली- राहुल छोड़ मुझे.
मैं बोला- नहीं, तेरे अंदर बहुत आग है न … आज मैं तेरी इस आग को शांत करने के बाद ही छोड़ूंगा तुझे.

ये कह कर मैंने हाथ में लिया लट्ठ उसे डराने के लिए बिस्तर पर दे कर मारा तो वो कहने लगी- नहीं राहुल, नहीं, मैं तेरी माँ हूँ.

मैंने कहा- और जो तू कर रही थी वो क्या? एक मासूम से लड़के के साथ?

मेरे सवाल पर वो चुप हो गयी. मैंने उसका मुँह अब अपनी तरफ घुमाया और उसकी गालों की चुम्मियाँ लीं और कहा- देख आज की रात तेरी प्यास मैं बुझाऊंगा. तुझे रघु से जो भी चाहिए था मैं दूँगा।

वो मेरी बात समझ चुकी थी इसीलिए उसने दोनों हथेलियों में अपना चेहरा छुपा लिया. उसे अन्दाजा हो गया था कि आज उसे उसका ही जवान बेटा चोदेगा।

हिंदी इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी का पहला भाग: मेरी चुदक्कड़ मां को चोदा-2

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chudakkad maa kee choot chudaee-1 Maa ki Antarvasna hindisexstory

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bas kuchh ek minat tak maan kee gaand soonghane ke baad mere se raha nahin gaya. mera lauda kaamaras mein bheeg kar pach-pach karane laga tha. main turant uth kar baatharoom mein gaya aur mainne apane laude ko tabiyat se hilaaya Maa ki Antarvasna hindisexstory.

mainne joradaar muth maaree aur lagabhag 15 minat tak laude ko haath mein lekar ragadane ke baad mere veery kee dhaar chhootee.

land se veery kee dhaar aisee chhootee ki maja aa gaya. sach mein dosto, hastamaithun ka bhee apana hee ek maja hai. magar main ye jyaada nahin karata tha. us din to mujhase ruka nahin gaya isalie mainne kar liya. muth maarane ke baad aisa laga ki jaise mainne maan kee chudaee kar dee ho Maa ki Antarvasna hindisexstory.

jo ghatana us raat huee, vaisee hee ghatana kaee baar aur bhee huee, magar abhee tak main maan kee choot nahin maar saka tha. mainne kaee baar aisee sachchee kahaaniyaan padhee theen. jisamen ki ek chaar bachchon kee maan choot marava rahee thee ya ek karnal kee beevee naukar se marava rahee thee. unake mard is laayak nahin the ki unakee choot kee pyaas ko shaant kar saken. unaka land bhee theek se khada nahin hota tha Maa ki Antarvasna hindisexstory.

magar mera land to ekadam chust aur durust tha aur meree maan kee choot kee pyaas ko bahut achchhe se bujhaane ke kaabil bhee tha.

to ab kahaanee kee mukhy dhaara mein aate hain.

us din phir khaana khaane ke baad 11.30 baj gaye. is samay tak maan teevee dekhatee rahatee thee. isalie main intajaar kar raha tha Maa ki Antarvasna hindisexstory.

usake baad mainne paaya ki teevee kee aavaaj aanee band ho gayee thee. teevee band karane ke baad maan kamare kee lait bhee band kar detee thee. main intajaar kar raha tha aur do minat ke baad room kee lait bhee band ho gayee.

main paanch minat pahale hee unake room ke daravaaje ke baahar jaakar chhip gaya tha. mere haath mein lakadee ka binta tha. is dande ko kabhee kabhaar bailon ko haankane ke lie istemaal kar liya jaata tha Maa ki Antarvasna hindisexstory.

phir mere kaanon mein kapadon kee kuchh sarasaraahat see padee. main roshanadaan se kamare mein dekhane kee koshish karane laga. maan kee kamar meree taraph yaani ki daravaaje kee taraph thee. raghu doosaree said soya hua tha Maa ki Antarvasna hindisexstory.

mujhe maan ka haath hilata hua dikhaee diya aur phir raghu ke haath bhee. shaayad maan usake kachchhe mein haath daal kar usake land ko khada kar rahee thee. do minat baad maan ne raghu ko karathal dekar seedha kiya aur usaka kachchha neeche kheench diya Maa ki Antarvasna hindisexstory.

phir do minat baad kapadon kee sarasaraahat huee. phir maan ne apana peteekot oopar kiya aur raghu kee jaanghon ke oopar baithane kee koshish karane lagee. maan ab dheere dheere apanee gaand oopar neeche karane lagee. shaayad maan ne raghu ka land apanee choot mein le liya tha Maa ki Antarvasna hindisexstory.

jaise jaise maan hil rahee thee raghu kee aahen mujhe sunaee dene lagee. mera sar ab chakaraane laga tha. mushkil se ye khel abhee ek minat hee chala hoga aur jaisa ki raghu ne bataaya tha ki vo jaldee thak jaata hai isalie raghu ka paanee kabhee bhee jhad sakata tha Maa ki Antarvasna hindisexstory.

ab main bilakul bhee der nahin karana chaah raha tha kyonki agar ek baar maan raghu ke oopar se utar gayee to saara khel bigad sakata tha. mainne turant hee nirnay liya aur haath mein lakadee ka binta lekar ekadam se kamare kee lait jala dee Maa ki Antarvasna hindisexstory.

maan ko sapane mein bhee yah ummeed nahin rahee hogee ki aisa bhee ho sakata hai. maan ka peteekot poora oopar utha hua tha aur vo neeche se nangee thee.
maan mujhe dekhate hee utarane kee koshish karane lagee. mainne turant usakee chutiya jad se pakadee aur usako kheench kar bed se neeche utaar liya Maa ki Antarvasna hindisexstory.

meree najar raghu ke ardhavikasit land par gayee. usaka land mushkil se paanch inch ka hee hua hoga. usake land ka topa jhaag mein bheega hua tha. dekhane se spasht pata lag raha tha ki maan usake saath yaun kriya ka maja lene mein lagee huee thee Maa ki Antarvasna hindisexstory.

mainne banaavatee gussa dikhaate hue raghu ko daant kar doosare kamare mein bhaagane ke lie kaha. vo apanee lovar ko oopar kheench kar mere saamane gidagidaane laga aur plaan ke mutaabik bola- bhaiya, mera koee dosh nahin hai. maamee roj mere saath aisa hee karatee hai. mujhe jaane do bhaiya, meree koee galatee nahin hai Maa ki Antarvasna hindisexstory.

main bola- theek hai, too ja, tujhase main baad mein baat karoonga.
raghu jaise hee room se baahar nikala, maan ne tejee se mere haath se apanee chutiya chhudaee aur daravaaje kee taraph bhaagee. mainne daud kar use pakad liya. isase pahale ki vo baahar jaakar kaheen band ho jaatee mainne chilla kar usase kaha- maan! achchha, to too ab raghu se apanee bhosadee thandee karava rahee hai Maa ki Antarvasna hindisexstory.

kahate hue mainne ab daravaaje kee chitakanee band kar dee thee. peechhe se mainne maan ko baanhon mein jakad liya tha.
maan bolee- raahul chhod mujhe.
main bola- nahin, tere andar bahut aag hai na … aaj main teree is aag ko shaant karane ke baad hee chhodoonga tujhe Maa ki Antarvasna hindisexstory.

ye kah kar mainne haath mein liya latth use daraane ke lie bistar par de kar maara to vo kahane lagee- nahin raahul, nahin, main teree maan hoon.

mainne kaha- aur jo too kar rahee thee vo kya? ek maasoom se ladake ke saath Maa ki Antarvasna hindisexstory.

mere savaal par vo chup ho gayee. mainne usaka munh ab apanee taraph ghumaaya aur usakee gaalon kee chummiyaan leen aur kaha- dekh aaj kee raat teree pyaas main bujhaoonga. tujhe raghu se jo bhee chaahie tha main doonga Maa ki Antarvasna hindisexstory.

vo meree baat samajh chukee thee iseelie usane donon hatheliyon mein apana chehara chhupa liya. use andaaja ho gaya tha ki aaj use usaka hee javaan beta chodega.

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maan ko choda kahaanee par apanee raay dene ke lie aap mujhe neeche dee gaee eemel par maisej karen. isake saath hee apane kaments mein bhee apane vichaar rakh sakate hain. mujhe aap logon ke pheedabaik ka intajaar rahega. aur seks vidiyo aur naiw kahaanee padhane ke liye tailaigram grup join kar sakate hai.
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1 thought on “Maa ki Antarvasna चुदक्कड़ मां की चूत चुदाई-1 hindisexstory fun”

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